दुनिया में है अपना देश महान
आज के पुजारी बन बैठे भगवान ।
करुणा, दया,और धर्म से वंचित
मानवता को करते ये लज्जित
प्रभु के ऊपर खुद होते सुशोभित
कहते जग में हम सबसे विद्वान
आज के पुजारी बन बैठे भगवान ॥
शील समाधि प्रज्ञा सबसे वंचित
सभी को पता है इनकी हकीकत
अज्ञानता से चलती है सियासत
वेद ज्ञान से विमुख ये पुरोहित
देश में चहुं दिश फैला अज्ञान
आज के पुजारी बन बैठे भगवान ॥
देव दासी प्रथा खूब थी…
ContinueAdded by Ram Ashery on February 4, 2017 at 5:30pm — 5 Comments
सीढ़ियाँ – लघुकथा -
"सर, यह क्या सुन रही हूँ।आप तो डाइरेक्टर बनने वाले थे।मगर आप को जी एम से डिमोट कर के मैनेजर बना दिया"।
"यह सब तुम्हारी वज़ह से हुआ है लीला", वर्मा जी अपनी सैक्रेटरी पर झल्ला पड़े।
"सर, मैंने क्या किया। मैं तो सदैव वही करती रही हूं, जो आप कहते रहे हो"।
"पर इस बार नहीं किया ना,मैंने तुम्हें शनिवार को सी एम डी के बंगले पर जाने को कहा था"।
"सर, मैंने सुना था कि नया सी एम डी बहुत खड़ूस है।मैं डर गयी थी।पर आपने मेरी जगह दूसरी लड़की भेज दी थी…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on February 4, 2017 at 1:44pm — 15 Comments
घनाक्षरी में आज का प्रयास
***
चेहरा चमक रहा
बटुआ खनक रहा
सबका है मन काला
देश ये महान है
.
योजनाएं बड़ी बड़ी
बनाते है हर दिन
कैसे करना घोटाला
देश ये महान है
.
हर योजना में यहॉ
देश के खजाने पर
हुआ गड़बड़ झाला
देश ये महान है
.
बेटियां सुबक रही
डर के…
Added by अलका 'कृष्णांशी' on February 4, 2017 at 11:00am — 9 Comments
22222222
तीर चले चुन-चुन के कस-कस
मन तो भूला जाता सरबस।1
बूढ़ा बरगद बौराया है
अँगिया- गमछा करते सरकस।2
छौंरा- छौंरी छुछुआये हैं
पुरवा घर-घर करती बतरस।3
बढ़नी लेकर काकी दौड़ी
सच तो सहना पड़ता बरबस।4
फागुन की फुनगी अँखुआयी
चौरा-चौरा होता चौकस।5
आतुर होकर आज हवाएँ
ढूँढ़ रहीं निज मरकज,बेकस।6
मन का मीत कहीं मिल जाये
मनुआ दौड़ चला जस का तस।7
रंग चढ़ा जिसको,वह उछले
बाकी कहते,रहने दो…
Added by Manan Kumar singh on February 4, 2017 at 8:30am — 22 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on February 3, 2017 at 11:30pm — 8 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on February 3, 2017 at 8:56pm — 5 Comments
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 3, 2017 at 8:30pm — 26 Comments
हर पर्व से पहले आते थे तुम
हँसती-हँसती, मैं रंगोली सजा देती ...
नाउमीदी में भी कोई उमीद हो मानो
मेरी अकुलाती इच्छाएँ तुम्हारी राह तकती थीं
श्रद्धा के द्वार पर अभी भी मेरे प्रिय परिजन
सूर्य की किरणें ठहर जाती हैं
चाँद जहाँ भी हो, पर्व की रातों कोई आस लिए
आकर छत पर रुक जाता है
तन्हा मैं, सोच-सोच में
ढूँढती हूँ बाँह-हाथ तुम्हारे
स्पर्श से पूर्व विलीन हो जाते हैं स्पर्श
उदास साँवले दिन की…
ContinueAdded by vijay nikore on February 3, 2017 at 11:50am — 15 Comments
1.
सौंधी महक
मिट्टी पड़ी गिरवी
विदेशी चाल ।
2.
बाज़ार भाव
रोज़ की घट-बढ़
है सोची चाल ।
3.
होली दस्तक
अब रंगों में हिंसा
फैला तनाव ।
4.
नंगा बदन
फैशन का कमाल
धन की लूट ।
5.
कहाँ को जाएँ
लूटी हुई है शांति
दिशा बेहाल ।
.
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Mohammed Arif on February 3, 2017 at 8:30am — 10 Comments
सजनी ने साजन को, खींच लिया पास |
अमराई फूल गई, आया मधुमास ||
धूप खिली निखरी-सी, आयी मुस्कान |
बागों में छेड़ दिया, भँवरों ने तान ||
कलियों के मन जागी, खिलने की आस.........
खिड़की से झाँक रही, जिद्दी है धूप |
रंग बिना लाल हुआ, गोरी का रूप ||
सखियों की सुधियों में, कौंधा परिहास...........
डाली है अल्हड पर , फिरभी है भान |
बौराए महुए के , खींच रही कान ||
महक रहे वन-कानन, महका…
ContinueAdded by Ashok Kumar Raktale on February 2, 2017 at 11:00pm — 21 Comments
Added by Rahila on February 2, 2017 at 10:16pm — 10 Comments
122 122 122 12
कि जब आप उनके कहाने लगे
मुझे सारे वादे बहाने लगे
किया चाक दिल था हमारा अभी
महल ख्वाब का क्यूँ ढहाने लगे
यकीं था मुझ्र भूल जाओगे अब
गमे याद तुम तो तहाने लगे
कहा था अगम एक सागर हूँ मैं
गजब है कि सागर थहाने लगे
चिता ठीक से जल न पाई अभी
मगर आप गंगा नहाने लगे
(मौलिक/अप्रकाशित)
Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 2, 2017 at 8:00pm — 8 Comments
Added by दिनेश कुमार on February 2, 2017 at 4:13pm — 4 Comments
Added by Dr.Prachi Singh on February 2, 2017 at 1:13pm — 10 Comments
1222 1222 1222 1222
जुबाँ पर वो नहीं चढ़ता मनन उसका नहीं होता
जो बाँटा खौफ करता हो भजन उसका नहीं होता।1।
जो करता बात जयचंदी वतन उसका नहीं होता
जिसे हो प्यार पतझड़ से चमन उसका नहीं होता।2।
जिसे लालच हो कुर्सी का जो करता दोगली बातें
वतन हित में कभी लोगों कथन उसका नहीं होता।3।
गगन उसका हुआ करता जो दे परवाज का साहस
जो काटे पंख औरों के गगन उसका नहीं होता।4।
समर्पण माँगता है प्यार निश्छल भाव वाला बस
नजर हो सिर्फ दौलत…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 2, 2017 at 11:21am — 6 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 2, 2017 at 9:30am — 8 Comments
22 22 22 22 22 2 ( बहरे मीर )
किसी हाथ में अब तक खंज़र ज़िन्दा है
***********************************
सबके अंदर एक सिकंदर ज़िन्दा है
इसीलिये हर ओर बवंडर ज़िन्दा है
सब शर्मिन्दा होंगे, जब ये जानेंगे
अभी जानवर सबके अंदर ज़िन्दा है
मरा मरा सा बगुला है बे होशी में
लेकिन अभी दिमाग़ी बन्दर ज़िन्दा है
फूलों वाला हाथ दिखा असमंजस में
किसी हाथ में अब तक खंज़र ज़िन्दा है
परख नली की बातों…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on February 2, 2017 at 8:30am — 15 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 1, 2017 at 12:25pm — 6 Comments
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on February 1, 2017 at 11:42am — 3 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on February 1, 2017 at 11:00am — 14 Comments
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