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कौन आया काम जनता के लिए
कह गये सब राम जनता के लिए।१।
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सुख सभी रखते हैं नेता पास में
हैं वहीं दुख आम जनता के लिए।२।
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देख पाती है नहीं मुख सोच कर
बस बदलते नाम जनता के लिए।३।
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छाँव नेताओं के हिस्से हो गयी
और तपता घाम जनता के लिए।४।
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अच्छे वादे और बोतल वोट को
हो गये तय दाम जनता के लिए।५।
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न्याय के पलड़े में समता है कहाँ
भोर नेता साम …
Posted on April 8, 2021 at 10:01pm — 3 Comments
२२१/२१२१/१२२१/२१२
हमने कहीं पे लौट आ बचपन क्या लिख दिया
बोली जवानी क्रोध में दुश्मन क्या लिख दिया।१।
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घर के बड़े भी काट के पेड़ों को खुश हुए
बच्चों ने चौड़ा चाहिए आँगन क्या लिख दिया।२।
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तस्कर तमाम आ गये गुपचुप से मोल को
माटी को यार देश की चन्दन क्या लिख दिया।३।
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आँखों से उस की धार ये रुकती नहीं है अब
भाता है जब से आपने सावन क्या लिख दिया।४।
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वो सब विहीन रीड़ के श्वानों से बन …
Posted on April 7, 2021 at 1:00pm — 10 Comments
२१२२/२१२२/२१२
सादगी से घर सँभाला कीजिए
लालसा को मत उछाला कीजिए।१।
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यह धरा तो रौंद डाली जालिमों
चाँद का मुँह अब न काला कीजिए।२।
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करके सूरज से उधारी आब की
चाँद से कहते उजाला कीजिए।३।
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जब नया देने की कुव्वत ही नहीं
मत फटे में पाँव डाला कीजिए।४।
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गर तबीयत जाननी है देश की
सबसे पहले ठीक आला कीजिए।५।
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चाँद तारे सिर्फ महलों को न दो
झोपड़ी में भी उजाला कीजिए।६।…
Posted on April 6, 2021 at 6:30pm — 4 Comments
१२२२/१२२२/१२२२/१२२२
कोई गर रंग डाले तो न खाना खार होली में
भिगाना भीगना जी भर बढ़ाना प्यार होली में।१।
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मिलन का प्रीत का सौहार्द्र का त्योहार है ये तो
न हो ताजा पुरानी एक भी तकरार होली में।२।
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मँजीरे ढोल की थापें पड़ा करती हैं फीकी सच
करे पायल जो सजनी की मधुर झन्कार होली में।३।
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जमाना भाँग ठंडायी पिलाये पर सनम तुम तो
दिखाकर मदभरी आँखें करो सरशार होली में।४।
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चले हैं मारने हम तो दिलों से दुश्मनी…
Posted on March 28, 2021 at 2:00pm — 8 Comments
मुसाफिर सर प्रणाम स्वीकार करें आपकी ग़ज़लें दिल छू लेती हैं
जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’ जी
प्रिय भ्राता धामी जी सप्रेम नमन
आपके शब्द सहरा में नखलिस्तान जैसे - हैं
शुक्रिया लक्ष्मण जी
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