120 members
173 members
119 members
210 members
168 members
२१२२/२१२२
मत निकल तलवार लेकर
जय मिलेगी प्यार लेकर।१।
*
युद्ध नित बर्बाद करता
जी तनिक यह सार लेकर।२।
*
जग मिटा कर दुख सुनाने
जायेगा किस द्वार लेकर।३।
*
इस भवन का क्या करूँगा
तुम गये आधार लेकर।४।
*
नेह की दुनिया अलग है
हो जा हल्का भार लेकर।५।
*
बोझ सा हरपल है लगता
दब गये आभार लेकर।६।
*
कर गया कंगाल सब को
हर भरा सन्सार लेकर।७।
*
टूटती रिश्तों की माला
जोड़ ले कुछ तार…
Posted on February 26, 2021 at 10:38pm — 2 Comments
२२१/२१२२/२२१/२१२२
वैसे तो उसके मन की बातें बहुत सरस हैं
पर काम इस चमन में फैला रहे तमस हैं।१।
*
पहले भी थीं न अच्छी रावण के वंशजों की
अब राम के मुखौटे कैसी लिए हवस हैं।२।
*
ये दौर कैसा आया मर मिट गये सहारे
चहुँदिश यहाँ जो दिखतीं टूटन भरी वयस हैं।३।
*
पसरी जो आँगनों में उन से हवा लड़ेगी
इन से लड़ेंगे कैसे जो मन बसी उमस हैं।४।
*
उस गाँव में हैं अब भी बेढब सुस्वाद…
Posted on February 21, 2021 at 9:19am — 7 Comments
२१२२/२१२२/२१२२
बेड़ियाँ टूटी हैं बोलो कब स्वयम् ही
मुक्ति को उठना पड़ेगा अब स्वयम् ही।१।
*
बाँधकर उत्साह पाँवों में चलो बस
पथ सहज होकर रहेंगे सब स्वयम् ही।२।
*
पहरूये ही सो गये हों जब चमन के
है जरूरत जागने की तब स्वयम् ही।३।
*
अब न आयेगा यहाँ अवतार हमको
करने होंगे मान लो करतब स्वयम् ही।४।
*
कल जो सेवक हैं कहा करते थे देखो
हो गये है आज वो साहब स्वयम्…
Posted on February 19, 2021 at 7:30am — 12 Comments
काँटा चुभता अगर पाँव को धीरे धीरे
आ जाते हम यार ठाँव को धीरे धीरे।१।
*
कच्ची कलियाँ क्यों मरती बिन पानी यूँ
सूरज छलता अगर छाँव को धीरे धीरे।२।
*
खेती बाड़ी सिर्फ कहावत होगी क्या
निगल रहा है नगर गाँव को धीरे धीरे।३।
*
कौन दवाई ठीक करेगी बोलो राजन
पेट देश के लगी आँव को धीरे धीरे।४।
*
जीत कठिन भी हो जाती है सरल उन्हें
जो…
Posted on February 14, 2021 at 7:38am — 8 Comments
मुसाफिर सर प्रणाम स्वीकार करें आपकी ग़ज़लें दिल छू लेती हैं
जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’ जी
प्रिय भ्राता धामी जी सप्रेम नमन
आपके शब्द सहरा में नखलिस्तान जैसे - हैं
शुक्रिया लक्ष्मण जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2021 Created by Admin.
Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |