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PHOOL SINGH
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"आ. भाई फूल सिंह जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
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Rachna Bhatia commented on PHOOL SINGH's blog post सब खैरियत
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सब खैरियत

कहाँ रहते वो कैसे रहतेउनसे न होती अपनी बातवैर भाव की बात नही ये, अब उनसे न कोई दुआ-सलाम।। खैरियत भी वो नहीं पूछतेक्या प्रेमभाव की करूँ मैं बातअच्छे-खासे रिश्ते उनसे, न जानें क्यूँ वो रहते नाराज।। हसी-मजाक, टिटौली चलतीहमारी कौन सी लगी उन्हें बुरी बातकल तक थे जो अपनों से बढ़कर, है आज उसने दूरी खास।। आना-जाना लगा रहता थामिलजुल कर पहले रहते साथसही सलामत है कि नही वें, अब मिलता नहीं है कोई समाचार।। जीवन है चलता रहेगाघबराने की न इसमे बातसुख-दुख होते वक़्त के पहिये, आज तेरे कल उसके साथ|| समस्या है तो…See More
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"लक्ष्मण भाई को सादर प्रणाम और बहुत बहुत धन्यवाद की आपने मेरी रचना को अपना कीमती वक़्त दिया"
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14 फरवरी

प्यार-शहादत का दिन ये क्यूं जज़्बात से किसी के खेले एक ओर है पुलवामा की घटना उधर, ले प्रेमियों के दिल हिचकोले।।कितनों के सुहाग उजड़ गए दुनियाँ, कितनों के लाल थे छोड़े भाई बिन कितनी बहनें रोती कितने, पिता की याद में रोते।।कोई खुश है प्रेम को पाकर कोई इंतजार में इत-उत डोले रात-दिन है कोई जागता कुछ प्रेमी की याद में रोते।।बड़ा है दिन ये दोनों का ही क्यूं अहमियत न इसकी समझें श्रृद्धा-सुमन तू अर्पित करके शहीदों को नमन तू कर लें।।बिछडे न कोई दिल का टुकड़ा दुआ खुदा से कर लें प्रेम की कर बरसात जहां…See More
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Feb 12
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अंगराज कर्ण

सूर्य कहलाएं पिता थे जिसकेमाता सती कुमारीजननी का क्षीर चखा न जिसनेवो वीर अद्भुत धनुर्धारी।। निज समाधि में निरत रहा जोस्वयं विकास किया था भारीपालना बनी थी आब की धाराबिछौना बनी पिटारी।। ज्ञानी-ध्यानी, प्रतापी-तपस्वीजिसका पौरुष था अभिमानीकोलाहल से दूर नगर केजो सम्यक अभ्यास का था पुजारी।। नतमस्त्क करता प्रतिबल कोलगाता घात विजय की खूब दिखाप्रचंडतम धूमकेतु-सा आताचाहे कुंज्ज-कानन में कहीं दूर पला।। वन्यकुसुम सा खिला कर्णछटा सूर्य के तेज की सुनहरीअस्त्र-शस्त्र विद्या में जो परांगतउसका सच जानने को;…See More
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Sep 3, 2022

Profile Information

Gender
Male
City State
DELHI
Native Place
DELHI
Profession
KALSHANIA CONSULTANCY
About me
NOTHING MUCH

जीवन संगिनी

हार हार का टूट चुका जब

तुमसे ही आश बाँधी है

मैं नहीं तो तुम सही

समर्थ जीवन की ठानी है||

 

मजबूर नहीं मगरूर नहीं मैं 

मोह माया में चूर नहीं मैं

साथ तुम्हारा मिल जाए तो

लक्ष्य से भी दूर नहीं मैं ||

 

सुख दुःख की घटना तो

जीवन में घटती रहती है

छोटी छोटी नोक झोंक भी

हर रिश्ते में होती है 

छोड़ न देना साथ निभाना

तुमसे, प्रेम की डोर जो बाँधी है||

 

गलत किये थे कुछ निर्णय

ये बात भी स्वीकारी है

मैं  गलत और तुम सही

गलती मैंने मानी है

मझधार में फसीं जिंदगी की

नैया पार लगानी है||

 

जीवन संगिनी बनकर,

मेरी जिंदगी, सँवारी है

घर नहीं मेरे दिल में रहना

बस ख़्वाहिश ये हमारी है

मैं नहीं तो तुम सही

समर्थ जीवन की ठानी है||

 

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सब खैरियत

कहाँ रहते वो कैसे रहते

उनसे न होती अपनी बात

वैर भाव की बात नही ये, अब उनसे न कोई दुआ-सलाम।।

 

खैरियत भी वो नहीं पूछते

क्या प्रेमभाव की करूँ मैं बात

अच्छे-खासे रिश्ते उनसे, न जानें क्यूँ वो रहते नाराज।।

 

हसी-मजाक, टिटौली चलती

हमारी कौन सी लगी उन्हें बुरी बात

कल तक थे जो अपनों से बढ़कर, है आज उसने दूरी खास।।

 

आना-जाना लगा रहता था

मिलजुल कर पहले रहते…

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Posted on February 21, 2023 at 9:38am — 3 Comments

14 फरवरी

प्यार-शहादत का दिन ये

क्यूं जज़्बात से किसी के खेले

एक ओर है पुलवामा की घटना

उधर, ले प्रेमियों के दिल हिचकोले।।

कितनों के सुहाग उजड़ गए

दुनियाँ, कितनों के लाल थे छोड़े

भाई बिन कितनी बहनें रोती

कितने, पिता की याद में रोते।।

कोई खुश है प्रेम को पाकर

कोई इंतजार में इत-उत डोले

रात-दिन है कोई जागता

कुछ प्रेमी की याद में रोते।।

बड़ा है दिन ये दोनों का ही

क्यूं अहमियत न इसकी समझें

श्रृद्धा-सुमन तू…

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Posted on February 14, 2023 at 9:30am

शांति दूत श्री कृष्ण

अज्ञातवास जब समाप्त हुआ

पांडवों में साहस भरा

कनक सदृश तप कर आए

उनमें प्रखर उत्साह का तेज बड़ा।।

कायर दहलता विपत्ति में अक्सर

शूरमा विचलित न कभी हुआ

गले लगाकर हर दुःख-विध्न को

धीरज से उसका तेज हरा।।

कांटो भरी राह पर चलकर

उफ्फ तक न वो कभी किया

धूल के गहने पहन चरण में

साहस के सहारे बढ़ता गया।।

उद्योग निरत नित करता रहता

उसने सब सुख-सुविधाओ का त्याग किया

शूलों के सदा समूल विनाश को

राह स्वयं के विकास की…

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Posted on February 12, 2023 at 8:29am — 2 Comments

भगवान परशुराम और कर्ण

हवन की अग्नि बुझ चुकी थी

शिक्षा प्राप्ति की आई बात

गुरू द्रोण ने जब इंकार किया तो

भगवान परशुराम की आई याद।।

नीड़ो में था कोलाहल जारी

फूलों से महका उपवन

ज्ञान की जिज्ञासा थी मन में भड़की

निकला खोज में जिसकी कर्ण।।

द्वार तृण-कुटी पर परशु भारी

आभाशाली-भीषण जो भारी भरकम

धनुष-बाण एक ओर टंगे थे

पालाश, कमंडलू, अर्ध अंशुमाली एक पड़ा लौह-दंड।।

अचरज की थी बात निराली

तपोवन में किसनें वीरता पाली

धनुष-कुठार…

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Posted on February 11, 2023 at 7:21am

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"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति, स्नेह एवं मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए आभार। "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय."
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"सादर"
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"बात तो उचित है. आप संशोधित रचना यहीं, इसी आयोजन में पोस्ट कर दें, आदरणीय."
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सदस्य टीम प्रबंधन
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अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
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