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Nilesh Shevgaonkar
  • Male
  • Indore
  • India
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Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. गुरप्रीत भाई. आपसे शिक़ायत यह है कि हमें आपकी ग़ज़लें पढ़ने को नहीं मिल रही हैं. इस का जल्दी निवारण कीजिये  "
Friday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. समर सर की इस्लाह से तक़ाबुल ए रदीफ़ दूर हो गया है.शेर अब यूँ पढ़ा जाए .कड़कना बर्क़ का चर्बा तेरा हैतेरी अंगड़ाइयों से याद आया. आभार "
Friday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. लक्ष्मण जी,वैसे तो आ. तिलकराज सर ने विस्तार से बातें लिखीं हैं फिर भी मैं थोड़ी गुस्ताखी करना चाहता हूँ..पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफ़र बस आबलों से याद आया।१। .चहकती तितलियों से याद आया।३।,,, चिड़िया चहकती है…"
Friday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,जल्दबाज़ी में मतले को परिवर्तित करने के चलते अभी संभावनाएं बन रही हैं कि समय के साथ इसे और बेहतर किया जा सके..हसरत अपने आप में मनोभाव है..अत: उस का याद आना थोड़ा खटक रहा है.. अभी ज़िंदा हैं मुझ में हसरतें कुछ  तेरी अटखेलियों से याद…"
Friday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. तिलकराज सर,आपकी विस्तृत टिप्पणी ने संबल मिला है.मैं स्वयं के अशआर को बहुत कड़ी परीक्षा से गुज़ारना चाहता हूँ ताकि किसी भी तरह से उन पर आँच न आ सके. यही इस मंच ने मुझे सिखाया है. इसी परिपेक्ष्य में मैंने स्वयं यह घोषित किया है कि एक शेर में…"
Friday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
Friday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
Thursday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को तरमीम किया है.. शेर अब यूँ पढ़ा जाए .अजी!! विष-गुरु तो कब के बन चुके हैं ये शाही मसख़रों से याद आया.सादर "
Thursday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. . समुन्दर ने नदी को ख़त लिखा है मुझे इन बदलियों से याद आया. . तेरा चर्बा है बिजली का कड़कना तेरी अंगड़ाइयों से याद आया.   (तक़ाबुल-ए-रदीफ़ को स्वीकार करते हुए- बेहतर सुझाव अपेक्षित) .…"
Thursday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. जयहिन्द रायपुरी जी,पहली बार आपको पढ़ रहा हूँ.तहज़ीब हाफ़ी की इस ग़ज़ल को बाँधने में दो मुख्य मुश्किलें हैं.1) मतला और सार्थक मतला कहना मुश्किल है 2) बह्र छोटी है और रदीफ़ लम्बी जिससे सानी मिसरा ठीक होने में अडचन पेश आती है.आपने जो प्रयास किया है…"
Thursday
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सुझाव एवं शिकायत

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Sep 29
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आपने ठीक ध्यान दिलाया. ख़ुद के लिए ही है. यह त्रुटी इसलिए हुई कि मैंने पहले अपने लिए लिखा था... अपने हटा तो ख़ुद टाइप कर दिया लेकिन के रह गया.अशआर की कसावट भी हमेशा बेहतर हो सकती है .. सहमत हूँ. व्यस्तता  के चलते सहभागिता…"
Aug 23
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद आ. चेतन प्रकाश जी..ख़ुर्शीद (सूरज) ..उगता है अत: मेरा शब्द चयन सहीह है.भूखे को किसी ही दुरुस्त है ... कभी यानी एकाध बार, भिले बिसरे कभी.. मैं स्पेसिफिक बात कह रहा हूँ ... मंदिर, मस्जिद के बाहर कई भूखे बैठे रहते हैं.. उनमे से किसी भी एक के लिए…"
Aug 23
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
". तू है तो तेरा जलवा दिखाने के लिए आ नफ़रत को ख़ुदाया! तू मिटाने के लिए आ. . ज़ुल्मत ने किया घर तेरे बन्दों के दिलों में उम्मीद का ख़ुर्शीद उगाने के लिए आ. . मर-कट गए इंसान तेरे नाम पे कितनें उजड़ी हुई हर बस्ती बसाने के लिए आ. . बाहर भी निकल दैर-ओ-हरम…"
Aug 23
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. लक्ष्मण जी,मतला भरपूर हुआ है .. जिसके लिए बधाई.अन्य शेर थोडा बहुत पुनरीक्षण मांग रहे हैं. .आऊंगा कहा तूने; जो हो धर्म पे संकटसौगंध को अपनी तू निभाने के लिए आ.   इसी तरह हर शेर को थोडा और गुनने की आवश्यकता है .ग़ज़ल के लिए…"
Aug 23
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. आज़ी तमाम भाई,मतला जैसा आ. तिलकराज सर ने बताया, हो नहीं पाया है. आपको इसे पुन: कहने का प्रयास करना चाहिये.  दिल भूल गया है सभी इल्ज़ाम पुराने  कोई नई तुहमत ही लगाने के लिए आ/२ तुहमत ही नई कोई लगाने के लिए आ/२ इससे तुहमत ही…"
Aug 23
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. आज़ी तमाम भाई "
Aug 22
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आ. आज़ी भाई मतले के सानी को लयभंग नहीं कहूँगा लेकिन थोडा अटकाव है . चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के हो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केफिर हो जाएं आसाँ रस्ते मंज़िल के .हर पल अपना खून  जलाना पड़ता है...ख़्वाब दिखाते हैं साहिब मुस्तक़बिल…"
Aug 22
Aazi Tamaam commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बेहद ख़ूबसुरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय निलेश सर मतला बेहद पसंद आया बधाई स्वीकारें"
Aug 22
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आ. आज़ी तमाम भाई,अच्छी ग़ज़ल हुई है .. कुछ शेर और बेहतर हो सकते हैं.जैसे  इल्म का अब हाल ये है सोचते हैं नौजवाँ डिग्रियाँ लेते रहे यूँ ही तो फिर खावेंगे क्या... यहाँ इल्म और डिग्री का खाने से सीधा सम्बन्ध नहीं है .. नौकरी न मिलने का रेफरेंस होना…"
Aug 22

Profile Information

Gender
Male
City State
Indore-MP
Native Place
Indore-MP
Profession
Civil Engineer

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ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं

.

सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं 

जहाँ मक़ाम है मेरा वहाँ नहीं हूँ मैं.

.

ये और बात कि कल जैसी मुझ में बात नहीं    

अगरचे आज भी सौदा गराँ नहीं हूँ मैं.

.

ख़ला की गूँज में मैं डूबता उभरता हूँ   

ख़मोशियों से बना हूँ ज़बां नहीं हूँ मैं.

.

मु’आशरे के सिखाए हुए हैं सब आदाब  

किसी का अक्स हूँ ख़ुद का बयाँ नहीं हूँ मैं.

.

सवाली पूछ रहा था कहाँ कहाँ है तू

जवाब आया उधर से कहाँ नहीं हूँ मैं?

.

परे हूँ जिस्म से अपने…

Continue

Posted on June 11, 2025 at 1:08pm — 23 Comments

ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं

मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं

मगर पाण्डव हैं मुट्ठी भर, खड़े हैं.

.

हम इतनी बार जो गिर कर खड़े हैं

मुख़ालिफ़ हार कर शश्दर खड़े हैं.      शश्दर-आश्चर्यचकित, स्तब्ध

.

कभी कोई बसेगा दिल-मकां में

हम इस उम्मीद में जर्जर खड़े हैं.

.

ऐ रावण! अब तेरा बचना है मुश्किल

तेरे द्वारे पे कुछ बंदर खड़े हैं.

.

उसे लगता है हम को मार देगा

हम अपने जिस्म से बाहर खड़े हैं.

.

मुझे क़तरा समझ बैठा है नादाँ

मेरे पीछे…

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Posted on May 29, 2025 at 6:45pm — 13 Comments

ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे

.

ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे

दुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे.

.

जादू टोना यूँ लब ओ रुख़्सार भी करते रहे

जो मुदावा थे वही बीमार भी करते रहे.

.

उस की सुहबत के असर में हो गए उस की तरह  

फिर उसी के लहजे में गुफ़्तार भी करते रहे.

.

जिस्म को जीते रहे हम एक क़िस्सा मान कर  

और अपनी रूह को तैय्यार भी करते रहे.

.

हर क़िले के द्वार अन्दर ही से खोले जाते हैं

दुश्मनों का काम चौकीदार भी करते रहे.

.

‘नूर’ ऐसा…

Continue

Posted on May 25, 2025 at 6:00pm — 10 Comments

ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.

ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा,

मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा.

.

इश्क़ के रस्ते पर चलना है तेरी मर्ज़ी; लेकिन सुन

इस रस्ते को श्राप मिला है राही पगला जाएगा.

.

उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो तो

ज़ख़्म हमारे सीते सीते दर्ज़ी पगला जाएगा.  

.

उस को समुन्दर जैसी छोटी मोटी जगहें भाती हैं

इन आँखों में आएगा तो पानी पगला जाएगा.

.

जिससे बदला लूँगा उस को इतना याद करूँगा मैं

मेरे नाम की लेते लेते…

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Posted on May 15, 2025 at 2:59pm — 17 Comments

Comment Wall (7 comments)

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At 2:21pm on September 16, 2017, Afroz 'sahr' said…
आदरणीय निलेश जी आपने ख़ाकसार की बात की ताईद की बहुत आभार प्रकट करता हूँ !सादर
At 9:50pm on March 3, 2017, Hemant kumar said…
आदरणीय सर प्रणम ! मै ओ बी ओ मे काफीया पढ़ रहा हूं पर पल्ले कुछ भी नही पड़ रहा है ।
सर आपसे विनम्र आग्रह है काफीया निर्धारण पर पुनः प्रकाश डालने की अनुकंपा करें ।सादर..
At 2:37am on June 29, 2014, Adesh Tyagi said…
जनाबे-मोहतरम निलेश शेव्गाँवकर साहब, अल्फ़ाज़े-तहसीन का तहे-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।
At 4:47am on November 11, 2013, Abhinav Arun said…

महीने का सक्रिय सदस्य (Active Member of the Month)चुने जाने पर आ. नीलेश जी आपको दिली मुबारकबाद !

At 1:45pm on November 7, 2013, केवल प्रसाद 'सत्यम' said…

आ0 नीलेश भाई जी, आपको महीने का सकिय सदस्य चुने जाने पर आपको हार्दिक बधाई।  सादर,

At 1:14pm on November 6, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी
said…

आदरणीय नीलेश भाई , सक्रिय सदस्य चुने जाने के लिये आपको हार्दिक बधाईयाँ  !!!!!!

At 12:32pm on November 6, 2013,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करे | कृपया अपना पता और नाम (जिस नाम से ड्राफ्ट/चेक निर्गत होगा), बैंक खता विवरणी एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |

सादर । 


आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

 
 
 

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