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गिरिराज भंडारी
  • 70, Male
  • भिलाई , (छत्तीस गढ़ )
  • India
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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई "
Saturday

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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अजय भाई , आपका बहुत शुक्रिया "
Saturday

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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीया रिचा जी आपका बहुत आभार "
Saturday

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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"तरही ग़ज़ल  का आयोजन जो पहले  १०० - २००  पेज  तक पहुँच जाता था उसका  ८ -१० पेज पर सिमट जाने  के लिए  शायद  आदरणीय अमित भाई  की भाषा  का बड़ा हांथ  है"
Saturday

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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरर्नीय नीलेश भाई , आपने वो सब कुछ कह दिया जो मेरे मन में  थी , आपसे सहमत होते हुए एक बात और कहना चाहता हूँ अमित जी से बिना हिन्दी  के , कर्ता  , क्रिया , सहायक  क्रिया , कर्म , संज्ञा , सर्वनाम , संयोजक शब्द…"
Saturday

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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय नीलेश भाई . ग़ज़ल पर उपस्थिति के लिए आपका  आभार आदरणीय अमित जी की बात समझ में आ गयी है , मूसीकी  को मौसीकी  लिखे जाने के लिए कह रहा था क्यों कि उन्होंने  सलाह  दी थी कि  सही शब्द मूसीकी है …"
Saturday

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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अमित भाई ,  अब मुझे समझ आ गया है , आप मौसीकी   की  मात्रिकता पर  सलाह दे रहे थे , अर्थात  मौसीकी  को २२२  में बांधना चाहिए  और मैं उस पर जिद कर रहा था जिसे आपने बोल्ड लेटर में  लिख कर…"
Saturday

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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय , आपका अपने उस्ताद पर गर्व समझ  में  आता है , जो ठीक भी है आप रखता के मुहताज नहीं ये भी ठीक है पर मैं तो हूँ , इसमे देखिये मैं ने ये माना ग़म-ए-हस्ती मिटा सकता है तूमैं ने माना तेरी मौसीक़ी है इतनी…"
Saturday

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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अमित भाई , ग़ज़ल पर प्रतिक्रिया  के लिए आभार  1 - मौशिकी -- गलत नहीं है  , रेख्ता में ऐसे कई उदाहरण मिल जायेंगे , जिनमे से  एक ये है  डूबता है ख़ाक में जो रूह दौड़ाता हुआमुज़्महिल ज़र्रों की मौसीक़ी को चौंकाता हुआ जोश…"
Saturday

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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"शुक्रिया , आदरणीय मयंक भाई आपका "
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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय नीलेश भाई , बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है , हार्दिक बधाई स्वीकार करें लम्बी गैरहाजिरी के बाद आपको पढ़ के अच्छा लगा तमाम रात अकेला लड़ा अँधेरे सेमेरे चिराग़ से सूरज की रौशनी न मिला.   .. इस शेर का जवाब नहीं , बहुत बधाई "
Saturday

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"आदरणीय मयंक भाई , ग़ज़ल का बढ़िया प्रयास हुआ है , बधाई गुणी जन की सलाहों पर ध्यान दीजिएगा "
Saturday

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"आदरणीय अजय भाई , ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरनीया रिचा जी , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाइयां "
Saturday

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"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बढ़िया ग़ज़ल कही है , बधाई "
Saturday

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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय  बाग़पतवी जी  अच्छी ग़ज़ल कही आपने। बधाई स्वीकार करें।"
Saturday

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Male
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bhilai
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अवकाश प्राप्त , भिलाई स्टील प्लांट कर्म चारी
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एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है  

********************************

२१२२    २१२२     २१२२ 

'मन के कोने में इक इच्छा पल रही है'

पर वो चुप है, आज तक निश्चल रही है

 

एक  चुप्पी  सालती है रोज़ मुझको

एक चुप्पी है जो अब तक खल रही है

 

बूँद जो बारिश में टपकी सर पे तेरे    

सच यही है बूंद कल बादल रही…

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Posted on April 19, 2025 at 5:46pm — 2 Comments

ग़ज़ल - हम रह सकें ऐसा जहाँ तलाश रहा हूँ ( गिरिराज भंडारी )

22   22   22   22   22   2 

तू पर उगा, मैं आसमाँ तलाश रहा हूँ

हम रह सकें ऐसा जहाँ तलाश रहा हूँ

 

ज़र्रों में माहताब का हो अक्स नुमाया

पगडंडियों में कहकशाँ तलाश रहा हूँ

 

खामोशियाँ देतीं है घुटन सच ही कहा है    

मैं इसलिये तो हमज़बाँ तलाश रहा हूँ

 

जलती हुई बस्ती की गुनहगार हवा अब    

थम जाये वहीं,.. वो बयाँ तलाश रहा हूँ

 

मैं खो चुका हूँ शह’र तेरी भीड़ में ऐसे

हालात ये, कि ज़िस्म ओ जाँ तलाश रहा…

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Posted on November 7, 2017 at 8:22am — 35 Comments

तरही ग़ज़ल - " पहले ये बतला दो उस ने छुप कर तीर चलाए तो '‘ ( गिरिराज भंडारी )

22  22  22  22  22 22  22 2

वो जितना गिरता है उतना ही कोई गिर जाये तो

उसकी ही भाषा में उसको सच कोई समझाये तो

 

सूरज से कहना, मत निकले या बदली में छिप जाये

जुगनू जल के अर्थ उजाले का सबको समझाये तो

 

मैं मानूँगा ईद, दीवाली, और मना लूँ होली भी   

ग़लती करके यार मेरा इक दिन ख़ुद पे शरमाये तो

 

तेरी ख़ातिर ख़ामोशी की मैं तो क़समें खा लूँ, पर  

कोई सियासी ओछी बातों से मुझको उकसाये तो

 

कहा तुम्हारा मैनें माना,…

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Posted on October 29, 2017 at 6:11pm — 25 Comments

तरही ग़ज़ल - "ये वो क़िस्मत का लिखा है जो मिटा भी न सकूँ ‘ ( गिरिराज भंडारी )

2122/1122   1122  1122   22 /112

जीभ ख़ुद की है तो दांतों से दबा भी न सकूँ

कैसे खामोश रहे इस को सिखा भी न सकूँ 

 

उनका वादा है कि ख़्वाबों में मिलेंगे मुझसे

मुंतज़िर चश्म को अफसोस सुला भी न सकूँ

 

तश्नगी देख मेरी आज समन्दर ने कहा

कितना बदबख़्त हूँ मैं प्यास बुझा भी न सकूँ



मेरे रस्ते में जो रखना तो यूँ पत्थर रखना

कोशिशें लाख करूँ यार हिला भी न सकूँ 

 

यहाँ तो सिर्फ अँधेरों के तरफदार बचे

छिपा रक्खा है,…

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Posted on September 27, 2017 at 9:00am — 31 Comments

Comment Wall (46 comments)

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At 12:02pm on May 11, 2020, TEJ VEER SINGH said…

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी को जन्म दिन की हार्दिक बधाई एवम असीमित शुभ कामनायें। ईश्वर सदैव सुख, शाँति और समृद्धि प्रदान करें। स्वस्थ रहें। दीर्घायु बनें।जीवन में हमेशा उन्नति के पथ पर अग्रसर रहें।

 

At 7:03pm on January 3, 2016, Sushil Sarna said…

नूतन वर्ष 2016 आपको सपरिवार मंगलमय हो। मैं प्रभु से आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने की कामना करता हूँ।

सुशील सरना

At 9:17am on May 11, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आदरणीय गिरिराज सर,  आपको जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें !

आपके स्वस्थ, शांतिमय, सुखी एवं उज्जवल जीवन की कामना करता हूँ.

At 9:40am on April 21, 2015, Dr. Vijai Shanker said…
आपका ह्रदय से स्वागत है , सादर।
At 11:15am on January 4, 2015, दिनेश कुमार said…
Shukriya sir ji
At 8:17am on October 10, 2014, somesh kumar said…

आदरणीय 

           आप को इस मंच पे पाकर सुखद अहसास हुआ |निसन्देह शुरु से आप के मार्गदर्शन के कारण ही मैं f -बुक पे लगतार लिखने और आगे बढ़ने का साहस जुटा सका हूँ |कई दिनों से आप का आशीष न मिलने से मेरे लेखन-कर्म में बिखराव आने लगा है |अभी यहीं से विदित हुआ की आप सम्पूर्ण परिवार समेत वायरल फ़ीवर से जूझ रहे हैं |सम्पूर्ण परिवार के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ |आप की रचनाओं से हमेशा मार्गदर्शन मिलता है |आप को और आप की सुंदर भावपूर्ण रचनाओं को प्रेम |

At 9:43pm on September 5, 2014, Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' said…

भंडारी जी ,

आपकी एक से एक उच्च कोटि की  रचनाएँ पढ़कर मन आनंद से भर गया....भावों की सहज अभिव्यक्तियों से सजी ....जीवन की सच्चाइयों से सामना कराती ......अपने युग का बोध कराती ..........................................गंगा धर शर्मा 'हिंदुस्तान'

At 1:33pm on April 2, 2014, Neelam Madiratta said…

अप का शुक्रिया ..हार्दिक आभार ...नीलम 

At 3:54pm on March 21, 2014, Mukesh Verma "Chiragh" said…

धन्यवाद

At 7:58pm on March 10, 2014, अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव said…

छोटे भाई,

सात दोहे को  "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना"  से  सम्मानित किया गया है।

यह जानकर  प्रसन्नता हुई, हृदय से बधाई 

 
 
 

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