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दोहा पंचक. . . . .
महफिल में तनहा जले, खूब हुए बदनाम ।
गैरों को देती रही, साकी भर -भर जाम ।।
गज़ब हया की सुर्खियाँ, अलसाए अन्दाज़ ।
सुर्खी सारे कह गई, बीती शब के राज़ ।।
साथी है अब वेदना, विरही मन की यार ।
विस्मृत होता ही नहीं, वो अद्भुत संसार ।।
उसे भुलाने के सभी, निष्फल हुए प्रयास ।
मदन भाव उन्नत हुए, मन में मचली प्यास ।।
कोई पागल हो गया, किसी ने खोये होश ।
आशिक को घायल करे, मदमाती आगोश…
Posted on March 18, 2024 at 4:03pm
दोहा पंचक. . . .
कर्मों के परिणाम से, गाफिल क्यों इंसान ।
ऐसे जीता जिंदगी, जैसे हो भगवान ।।
भौतिक युग की सम्पदा, कब देती आराम ।
अर्थ पाश में जिंदगी , भटके चारों याम ।।
नश्वर तन को मानता, अजर -अमर परिधान ।
बस में समझे साँस को, यह दम्भी इंसान ।।
साथ चली किसके भला, अर्थ दम्भ की शान।
खाक चिता पर हो गई, इंसानी पहचान ।।
कहे स्वयंभू स्वयं को , माटी का इंसान ।
मुट्ठी भर अवशेष बस,मैं -मैं की पहचान ।।
सुशील सरना /…
ContinuePosted on March 10, 2024 at 3:13pm
दोहा पंचक. . . नारी
नर नारी से श्रेष्ठ है, हुई पुरानी बात ।
जीवन के हर क्षेत्र में, नारी देती मात ।।
नर नारी के बीच अब, नहीं जीत अरु हार ।
बनी शक्ति पर्याय अब, वर्तमान की नार ।।
कंधे से कंधा मिला, दे जीवन को अर्थ ।
नारी अब हर क्षेत्र में, लगने लगी समर्थ ।।
अनुपम कृति है ईश की, इस जग का आधार ।
लगे अधूरा सृष्टि का , नारी बिन शृंगार ।।
आसमान छूने चली, कल की अबला नार ।
देख…
Posted on March 9, 2024 at 5:35pm
दोहा पंचक . . .
बातें करते प्यार की, करें न सच्चा प्यार ।
इस स्वार्थी संसार में, सब मतलब के यार ।।
सच्चे- झूठे सब यहाँ, कैसे हो पहचान ।
कई मुखौटों में छिपा,कलियुग का इंसान ।।
सच्चा मन का मीत वो, सच्ची जिसकी प्रीति ।
वो क्या जाने प्रीति जो, सिर्फ निभाये रीत ।।
छलते हैं क्यों आजकल, व्याकुल मन को मीत ।
सिर्फ देह को भोगना, समझें अपनी जीत ।।
कैसे यह अनुबंध हैं, कैसे यह संबंध ।
देह क्षुधा के दौर में,…
Posted on March 5, 2024 at 3:45pm — 2 Comments
आदरणीय सुशील सरना जी ,
सादर अभिवादन , आपके नाम और सावन पर लिखे सभी दोहे मन मोह गए । दोनों कविताएं 'मौसम को' व प्रश्न गंभीर भावों को लिए हुए है। साधुवाद ।
आदरणीय सुशील सरना जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी "कविता : कितना अच्छा होता" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको प्रसस्ति पत्र यथा शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
आपका मेल बॉक्स ब्लॉक होने के कारण मेल सेंड नहीं हो रहा है.
आदरणीय सुशील सरना सर, विलम्ब से प्रत्युत्तर हेतु क्षमा. आपको मेल कर दिया है. सादर
आ० सरना भाई जी, सादर प्रणाम!
आपका हार्दिक स्वागत है. मित्रता से भाग्योदय होता है , मैं धन्य हुआ. सादर
आदरणीय सुशील जी ..महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर
आ० सुशील सरना भाई जी, सादर प्रणाम! आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" चुने जाने पर बहुत-बहुत बधाई. सादर
आदरणीय
सुशील सरना जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
मोहतरम जनाब सुशील सरना साहिब , यह आप सब की हौसला अफ़ज़ाई का नतीजा है , जिसके लिए आप का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
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