एक राजस्थानी मुसल्सल ग़ज़ल ***यादड़ल्याँ रा घोड़ां ने थे पीव लगावो एड़ | सुपणे मांयां आय पिया जी छोड़ो म्हासूँ छेड़ | १| ***इंया तो म्हें गेली प्रीतड़ली में थांरी भोत चालूँ थांरे लारे लारे ज्यूँ सीधी सी भेड़…Continue
Started by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' Jan 11.
सावण सूखो क्यूँ !इबकाळ रामजी न जाण के सूझी, क बरसण क दिनां मं च्यारूँ कान्या तावड़ की बळबळती सिगड़ी सिलागायाँ बठ्यो है | जठे देखो बठे…Continue
Started by Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' Mar 4, 2016.
बिठाऊँ केइया नाव म- - -- - - छोटी सी या म्हारी है नाँव,जादू भरया लागे थारा पाँव |मनै डर सता रह्यों है राम,थानै बिठाऊँ केइया नाँव में | म्हारी तो या लकड़ी री नाँव,थे बणाद्यों भाटा न भी नार |ई सूं मनै…Continue
Started by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला Jun 27, 2015.
राजस्थानी साहित्य प्रेमियों को यह जानकार प्रसन्नता होगी कि साहित्य अकादमी, दिल्ली और राजस्थान अध्ययन केंद्र, राजथान यूनिवर्सिटी, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में 26 से 28 फरवरी,2015 तक राजस्थान…Continue
Started by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला. Last reply by डिम्पल गौड़ 'अनन्या' Feb 27, 2015.
धरती रंग सुरंगी सी मन मां रस जगावे रे ऊँचा ऊँचा टीबा इण रांजीवण री आस जगावे रेलहर लहर लहरियों उड़ उड़आसमान पर छावे रेपंछी भी तो गीत धरा का मधुर स्वरां म गावे रे धरती रंग सुरंगी सी मन मां रस जगावे…Continue
Tags: कविता
Started by डिम्पल गौड़ 'अनन्या' Feb 15, 2015.
थारे बिण म्हारो जियो रे भटके सुण क्यूं न लेवे तू म्हारी पुकार म्हाने रात्यां में नींद कोणी आवे रे थारी ओल्युं ढोला म्हाने जगावे रे बन मां व्याकुल घुमे रे हिरणीकस्तूरी री महक लागे मनभावन आ…Continue
Started by डिम्पल गौड़ 'अनन्या'. Last reply by डिम्पल गौड़ 'अनन्या' Feb 2, 2015.
म्हारी आँख्यां बाट जोवे थारी ओ सावरिया म्हारा गिरधारी मीरा रे मन री बातां समझे रे कुणआ तो दरस निहारे थारी ओ बनवारीवीणां रां तार बाज्ये जद जद नाच्युं म तो प्रेम म दिवानी होकर लीलाधर री लीला जाणे…Continue
Started by डिम्पल गौड़ 'अनन्या'. Last reply by डिम्पल गौड़ 'अनन्या' Jan 31, 2015.
म्हूं तेरै पांती रैमेह मांय भीजै हो जणा तू तपै ही मेरै हिस्सै रै तावड़ै मांय।आज भी तूं म्हारी याद रै मरूथळ मांय बळै है दिन-रात अर म्हे बैठ्यो हूं तेरी याद री ओढ्यां बादळी।मौलिक/ अप्रकाशितContinue
Started by Krishan Vrihaspati Sep 13, 2013.
लाल सुरंगो सूरज ऊग्यौ, सुरंगो हुयौ असमान।कहे बिरकाळी भायां नै, सुप्रभात राजस्थान।।बात बताऊं एक पते गी, सुणल्यौ ध्यान लगाय।आपणी भाषा राजस्थानी री, सरकारी मान्यता दिलाय।।अनुसूचि अठारवीं में, जुङै…Continue
Started by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' Feb 28, 2013.
राजस्थानी भाषारी मान्यता र वास्ते विकास बारे में राजस्थान साहित्य अकादमी न पुरजोर मांग कर राजस्थानी भाषा न मान्यता दिलाबा र वास्ते जितरी कोशिश करनी चाहिए, कोणी हो रही।रानी लक्ष्मी कुमारी चुडावत रा…Continue
Started by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला Feb 19, 2013.
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