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ग़ज़ल की बहरें समझना बहुत टेढ़ी खीर है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि बहर के बारे में जानकारी तो बहुत ज्यादा मिल जाती है अंतर्जाल पर पर कहीं भी व्यवस्थित ढंग से नहीं मिलती। तो जहाँ सूचना ज्यादा हो वहाँ उसको…Continue
Started this discussion. Last reply by Admin Jan 30, 2011.
काश कहीं से मिल जाती इक जादू की हाथ घड़ी
मैं दस साल घटा लेता तू होती दस साल बड़ी
माथे से होंठों तक का सफर न मैं तय कर पाया
रस्ता ऊबड़-खाबड़ था ऊपर से थी नाक बड़ी
प्यार मुहब्बत की बातें सारी भूल चुका था मैं
किस मनहूस घड़ी में…
ContinuePosted on July 12, 2020 at 11:29pm — 1 Comment
बह्र : २२ २२ २२ २२ २२ २२ २
जब चाहें तब इश्क़ करें तो कितना अच्छा हो
दुनिया में सब इश्क़ करें तो कितना अच्छा हो
ये दुनिया बेहतर हो दिन भर ऐसे काम करें
फिर सारी शब इश्क़ करें तो कितना अच्छा हो
अट्ठारह घंटे खटते जो…
ContinuePosted on January 18, 2020 at 11:25pm — 4 Comments
जब तक रहना जीवन में
फुलवारी बन रहना
पूजा बनकर मत रहना
तुम यारी बन रहना
दो दिन हो या चार दिनों का
जब तक साथ रहे
इक दूजे से सबकुछ कह दें…
ContinuePosted on November 25, 2019 at 7:33pm — 5 Comments
ट्रेन समय की
छुकछुक दौड़ी
मज़बूरी थी जाना
भूल गया सब
याद रहा बस
तेरा हाथ हिलाना
तेरे हाथों की मेंहदी में
मेरा नाम नहीं…
ContinuePosted on October 31, 2019 at 8:07pm — 12 Comments
आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी,
ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...
" जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें " आदरणीय धर्मेन्द्र जी
स्वागत है धर्मेन्द्र जी
भाई धर्मेन्द्रजी,
सरल, सफल, सहज, सुगढ़
सुफल, सुमिल, सुधी
सस्वर.. .
संयत, सुहृद, सुभाव, सशब्द
संभव सदा
सबल-प्रखर.. .
शुभभावना-शुभकामना-सुसंस्मरण संप्रेष्य है !
अनेकानेक बधाइयाँ.
कविता शुचिता शिल्प से, शोभित मित्र कविन्द्र.
जन्मदिवस शुभकामना, भाई जी धर्मेन्द्र.. सादर
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीय धर्मेन्द्र सर.........
जन्म दिन की हार्दिक शुभ कामनाए स्वीकारे आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी,
प्रभु आपको समाज और देश निर्माण में योगदान देने की शक्ति प्रदान करे | आपका
हमारा स्नेह बना रहे |
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