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Shyam Narain Verma
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Profile Information

Gender
Male
City State
BHIWANDI-MH
Native Place
BALLIA
Profession
SERVICE
About me
श्री श्याम नारायण वर्मा का जन्म एक जुलाई सन् १९६८ में उत्तर पर्देश में बलिया जनपद के मनियर ब्लाक के पिलुई गांव में हुआ । इनके पिता का नाम श्री सुदर्शन वर्मा और माता का नाम श्रीमती सुनरी देवी था तथा आपके बाबा का नाम श्री फूलेना वर्मा था। आपकी एक बड़ी बहन , एक बड़े भाई , और एक छोटे भाई भी हैं । सन् १९८५ में आपकी शादी हीरावती वर्मा से हुई । आपका एक बेटा तथा दो बेटियाँ हैं । आप ने सन् १९८३ में हाई स्कूल तथा सन् १९८५ में इण्टरमीडिएट की परिक्षा यू पी बोर्ड इलाहाबाद से पास की तथा उस्मानिया यूनिवरसीटी हैदराबाद से बी ए किया । आप सन् १९८९ में मेसर्स ट्रान्सपोर्ट कार्पोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड में भर्ती होकर हैदराबाद गये तथा हैदराबाद और दिल्ली तथा हरियाणा प्रदेश के गुड़गाँव में काम किया ! आप अभी महाराष्टर में थाने जिले के भिवांडी तहसील के अंतर्गत डापोडा में आपरेशन आफिसर के पद पर कायर्रत हैं।

Shyam Narain Verma's Blog

अबला सहे हर अत्याचार |

घर चलता है नर नारी से , नर का चले  सारा अधिकार |
 घर का  काम करे सब  नारी , फिर भी रहे नर से  लाचार | 
 
संग  रहे भाई  बचपन में  , बात  बात में देता ताना |
एक दिन ससुराल जाओगी , वहाँ होगा   तेरा ठिकाना |
सदा  कहा  भाई की होती , बहन का नहीं  चले बहाना |
रोकर चुप हो जाती बहना , दबा लेती आंसू की धार…
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Posted on June 1, 2019 at 2:30pm

जो पले हैं उसी छाया में |

माता  की ममता की तुलना  , कभी कोई कर सकता नहीं |
जग में जो खुशी माँ से मिले  ,  कोई और  दे सकता नहीं |
हर कोई माँ से ही आया ,        मां बिना कोई आया नहीं |
ये ज़िंदगी जो  माँ से मिली  , कोई   कर्ज  भर पाया नहीं |
प्रसव में  जो पीड़ा   माँ सहे , पिता उसे कहाँ बाँट पाये |
सटा कर रखे जो सीने से ,  ये मजा शिशु को  कहाँ आये | 
अपने गीले में…
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Posted on June 14, 2018 at 3:51pm

जब ये तपन दूर हो जाये |

दहक  रहा हर कोना कोना   ,  सूरज बना आग का गोला |
मुश्किल  हुआ निकलना घर से ,  लू ने आकर धावा बोला |
तर बदन होता पसीने से   ,  बिजली  बिना तरसता   टोला  |
बाहर कोई कैसे जाये    , विकट   तपन  ने जबड़ा  खोला |
 
पशु पक्षी ब्याकुल गरमी से , जान बचाते हैं   छाया में |
चले राही लाचार होकर    ,  आग लगी है  जब काया में  |
तेज…
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Posted on May 26, 2018 at 3:30pm — 2 Comments

काल चले ऐसी ही चाल |

एक  एक  कर  काटे   डाली  , ठूंठ खड़ा  मन  करे  विचार |
बीत  गए  दिन   हरियाली  के  ,  निर्जन  बना  पेड़ फलदार |
दिन भर  चहल पहल रहती थी ,  जब  होता था    छायादार | 
पास   नहीं   अब    आये  कोई , सूखा   तब   से  है  लाचार |
भरा  रहा जब  फल फूलों  से ,  लोग  आते तब  सुबह शाम |
कोई  खाये   मीठे  फल को  ,  कोई   पौध   लगा   ले दाम  | 
रंग…
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Posted on May 4, 2018 at 2:30pm — 8 Comments

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At 10:21pm on March 18, 2015, Dr. Vijai Shanker said…
आपका ह्रदय से स्वागत है , आदरणीय।
At 6:15pm on November 7, 2014, Hari Prakash Dubey said…
आपका हार्दिक आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी
At 1:04pm on May 23, 2014, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

मित्र कुछ लेखन में व्यस्त था  i अब कुछ राहत में हूँ सबसे विचार का साझा  करने हेतु i सस्नेह i

At 11:55am on November 22, 2013, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

आपकी मित्रता से मै गौरवान्वित  हूँ  i  सस्नेह  i

At 5:44pm on October 21, 2013, Dr Dilip Mittal said…

मेरे छोटे से प्रयास को मान देने के लिए सादर आभार
बहुत दिनों बाद समय निकल पाया हूँ क्षमा करें

At 8:33pm on September 5, 2013, mrs manjari pandey said…

     

       धन्यवाद आदरणीय श्यामनारायण जी

At 9:36pm on August 13, 2013, केवल प्रसाद 'सत्यम' said…

आ0 श्याम नारायण सर जी,  सादर प्रणाम!  आपका हार्दिक अभिनन्दन और स्वागत सहित हृदय तल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

At 7:42am on June 19, 2013, D P Mathur said…

आदरणीय श्याम जी आपका सादर आभार ।

At 3:27pm on June 7, 2013, बृजेश नीरज said…

आदरणीय आपका आभार कि आपने मुझे मित्रता योग्य समझा!

At 12:47pm on April 27, 2013, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

मित्रता हेतु सादर आभार सर जी 

 
 
 

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