For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Aazi Tamaam
  • Male
  • Bareilly, UP
  • India
Share on Facebook MySpace

Aazi Tamaam's Friends

  • Mamta gupta
  • अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी
  • Rachna Bhatia
  • शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"
  • Krish mishra 'jaan' gorakhpuri
  • Samar kabeer
  • लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
  • Anita Maurya
  • Saurabh Pandey
 

Aazi Tamaam's Page

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कौन हुआ आजाद-(दोहा गीत)
"वाह वाह बेहतरीन गीत हुआ दोहा के रूप में आ धामी सर"
Aug 15
Aazi Tamaam posted a blog post

दोहे : बैठ एक की आस में, कब तक रहें उदास

बैठ एक की आस में, कब तक रहें उदासचल दिल चल के ढूँढ लें, दूजा और निवासये जग है मायानगर, कौन करे विश्वासइस झूठे बाजार में, टूटी सब की आसपल भर में मेला लगे, पल भर में वनवासअभी पराया हो गया, अभी हुआ जो खासरहते थे हम ठाठ से, सब था अपने पासछोड़ जिसे, आवारगी, हमको आई रासश्वेत रंग की प्रीत का, उनको क्या एहसासरंगों के शौकीन तो, बदलें रोज लिबास(मौलिक व अप्रकाशित) See More
Aug 11
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाबू जी (दोहे)
"बहुत सुंदर दोहे हुए आ धामी सर बेहतरीन मैंने पाँच दोहे लिखे नानी याद आ गयी 😊"
Aug 9
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post दोहे : बैठे एक की आस में, कब तक रहें उदास
"सहृदय शुक्रिया आ धामी सर आपकी इस्लाह का दिल से शुक्र गुज़ार हूँ आपने बेहतरीन सुझाव दिये हैं आ मैं दुरुस्त करता हूँ"
Aug 9
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post दोहे : बैठे एक की आस में, कब तक रहें उदास
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। दोहों का प्रयास अच्छा हुआ है। बधाई। कुछ दोहों में मात्राएँ अधिक हैं। देखिएगा... *** बैठ एक की आस में, कब तक रहें उदास चल दिल चल के ढूँढ लें, दूजा और निवास ये जग है मायानगर, कौन करे विश्वास इस झूठे बाजार में, टूटी सब की…"
Aug 8
Aazi Tamaam posted a blog post

दोहे : बैठ एक की आस में, कब तक रहें उदास

बैठ एक की आस में, कब तक रहें उदासचल दिल चल के ढूँढ लें, दूजा और निवासये जग है मायानगर, कौन करे विश्वासइस झूठे बाजार में, टूटी सब की आसपल भर में मेला लगे, पल भर में वनवासअभी पराया हो गया, अभी हुआ जो खासरहते थे हम ठाठ से, सब था अपने पासछोड़ जिसे, आवारगी, हमको आई रासश्वेत रंग की प्रीत का, उनको क्या एहसासरंगों के शौकीन तो, बदलें रोज लिबास(मौलिक व अप्रकाशित) See More
Aug 8
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post विरह के दोहे
"वाह वाह बहुत ख़ूब आ मज़ा आ गया धामी सर पढ़ कर दोहे "
Aug 6
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल : मिज़ाज़-ए-दश्त पता है न नक़्श-ए-पा मालूम
"बहुत बहुत शुक्रिया आ धामी सर इस ज़र्रा नवाज़ी का"
Jul 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल : मिज़ाज़-ए-दश्त पता है न नक़्श-ए-पा मालूम
"आ. भाई आज़ी तमाम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Jul 30
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल : मिज़ाज़-ए-दश्त पता है न नक़्श-ए-पा मालूम

१२१२ ११२२ १२१२ २२मिज़ाज़-ए-दश्त पता है न नक़्श-ए-पा मालूमहमारे दर्द-ए-जिगर का भी किसको क्या मालूमकरेगा दर्द से आज़ाद या जिगर छलनीतुम्हारे तीर-ए-नज़र की किसे रज़ा मालूमन जाने कैसे थमेगा ये सिलसिला ग़म काकोई बताये किसी को हो गर ज़रा मालूमझुकाएं कौन से दर पर ज़बीं ये दीवानेवफ़ा का कौन सा घर है किसी को क्या मालूमक़फ़स में क़ैद परिंदे की बेबसी देखोन हश्र-ए-क़ैद पता है न है ख़ता मालूमडरेगा वो जो सतायेगा बेगुनाहों कोहमें ख़ुदा का पता है न कुफ़्र का मालूमफ़ज़ा में हमको महब्बत लुटाना आता हैकिसी दुआ का…See More
Jul 29
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"सुधार- न जाने आज हुआ क्या है इस दिवाने को जला रहा है बदन दर्द-ए-दिल मिटाने को तबाहियों में नज़ाकत से मुस्कुराने को शराब चाहिए थोड़ी सी ग़म भुलाने को हम अपनी जान की बाजी लगा के खेलेंगे हमारे पास अभी कुछ नहीं गँवाने को वही रवाज़ वही जातियों की…"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"सहृदय शुक्रिया आ धामी सर ग़ज़ल पर ज़र्रा नवाज़ी का"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"सादर प्रणाम 🙏सहृदय शुक्रिया आ गुरु जी इस ज़र्रा नवाज़ी का ग़ज़ल पर अपने कीमती समय से वक़्त निकाल कर इस्लाह करने के लिए बहुत बहुत आभार गुरु जी ग़ज़ल न लिख पाने का कारण University में आज एक सेमिनार था व पिछले कई दिनों से Research Thesis तैयार करने व…"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"सहृदय शुक्रिया आ Euphonic Amit जी इस ज़र्रा नवाज़ी का ग़ज़ल पर अच्छी इस्लाह करने के लिए अलग से शुक्रिया"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"सहृदय शुक्रिया आ मिथिलेश जी ज़र्रा नवाज़ी का और ग़ज़ल अच्छे से पढ़ने के लिए आपकी इस्लाह पसंद आई बाक़ी गुणीजनों की रॉय भी देखते हैं"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"१२१२ ११२२ १२१२ २२ न जाने क्या हुआ है आज इस दीवाने को जला रहा है बदन दर्द-ए-दिल मिटाने को तबाहियों में नज़ाकत से मुस्कुराने को शराब चाहिए थोड़ी सी ग़म भुलाने को हम अपनी जान की बाजी लगा के खेलेंगे हमारे पास अभी कुछ नहीं गँवाने को वही रिवाज़ वही…"
Jul 27

Profile Information

Gender
Male
City State
Uttar Pradesh
Native Place
CHANDAUSI
Profession
Poet, Lawer, Engineer
About me
Poetic Nature

Aazi Tamaam's Photos

  • Add Photos
  • View All

Aazi Tamaam's Blog

दोहे : बैठ एक की आस में, कब तक रहें उदास

बैठ एक की आस में, कब तक रहें उदास

चल दिल चल के ढूँढ लें, दूजा और निवास

ये जग है मायानगर, कौन करे विश्वास

इस झूठे बाजार में, टूटी सब की आस

पल भर में मेला लगे, पल भर में वनवास

अभी पराया हो गया, अभी हुआ जो खास

रहते थे हम ठाठ से, सब था अपने पास

छोड़ जिसे, आवारगी, हमको आई रास

श्वेत रंग की प्रीत का, उनको क्या एहसास

रंगों के शौकीन तो, बदलें रोज लिबास

(मौलिक व अप्रकाशित) 

Posted on August 6, 2024 at 12:00am — 2 Comments

ग़ज़ल : मिज़ाज़-ए-दश्त पता है न नक़्श-ए-पा मालूम

१२१२ ११२२ १२१२ २२

मिज़ाज़-ए-दश्त पता है न नक़्श-ए-पा मालूम

हमारे दर्द-ए-जिगर का भी किसको क्या मालूम

करेगा दर्द से आज़ाद या जिगर छलनी

तुम्हारे तीर-ए-नज़र की किसे रज़ा मालूम

न जाने कैसे थमेगा ये सिलसिला ग़म का

कोई बताये किसी को हो गर ज़रा मालूम

झुकाएं कौन से दर पर ज़बीं ये दीवाने

वफ़ा का कौन सा घर है किसी को क्या मालूम

क़फ़स में क़ैद परिंदे की बेबसी देखो

न हश्र-ए-क़ैद पता है न है ख़ता…

Continue

Posted on July 14, 2024 at 11:30am — 10 Comments

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२

ग़मज़दा आँखों का पानी

बोलता है बे-ज़बानी

मार ही डालेगी हमको

आज उनकी सरगिरानी

आपकी हर बात वाजिब

और हमारी लंतरानी

जाने किसकी बद्दुआ है

वक़्त-ए-गर्दिश जाँ-सितानी

दर्द-ओ-ग़म रास आ रहे हैं

बुझ रही है ज़िंदगानी

कौन जाने कब कहाँ से

आये मर्ग-ए-ना-गहानी

ले के फागुन आ गया फिर

फ़स्ल-ए-गुल की छेड़खानी

कैसे मैं समझाऊँ ख़ुद…

Continue

Posted on April 1, 2024 at 5:30pm — 6 Comments

ग़ज़ल: सही सही बता है क्या

1212 1212

सही सही बता है क्या

भला है क्या बुरा है क्या

न इश्क़ है न चारागर

तो दर्द की दवा है क्या

लहू सा लाल लाल है

ये आँख में जमा है क्या

बुझे बुझे से लोग हैं

ये ज़िंदगी सज़ा है क्या

अजीब कशमकश सी है

ये दिल तुझे हुआ है क्या

सुकून है न चैन है

यूँ जीने में मज़ा है क्या

जो खाक़ हो रहे हैं हम

किसी कि बद्दुआ है क्या

जला दिया तो…

Continue

Posted on March 6, 2024 at 7:00pm

Comment Wall (3 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 10:44am on April 9, 2024, Erica Woodward said…

I need to have a word privately, please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com) Thanks.

At 1:08pm on January 16, 2021, लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' said…

आ. भाई आज़ी तमाम जी, सादर अभिवादन । मेरी गजलें आपको अच्छी लगीं यह हर्ष का विषय है । आपके इस स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद।

मंच पर अपनी रचनाओं का आनन्द लेने का अवसर प्रदान करें और अन्य रचनाकारों का भी अपनी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन करते रहिए ।

At 8:15pm on January 12, 2021, Samar kabeer said…

जनाब आज़ी साहिब,तरही मुशाइर: में शामिल सभी ग़ज़लों पर लाइव ही तफ़सील से गुफ़्तगू होती है, शिर्कत फ़रमाएँ, और कोई उलझन हो तो मुझसे 09753845522 पर बात कर सकते हैं ।

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
4 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
4 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"वाहहहहहह गुण पर केन्द्रित  उत्तम  दोहावली हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । हार्दिक…"
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service