For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Aazi Tamaam
  • Male
  • Bareilly, UP
  • India
Share on Facebook MySpace

Aazi Tamaam's Friends

  • Mamta gupta
  • अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी
  • Rachna Bhatia
  • शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"
  • Krish mishra 'jaan' gorakhpuri
  • Samar kabeer
  • लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
  • Anita Maurya
  • Saurabh Pandey
 

Aazi Tamaam's Page

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"२१२ १२२२ २१२ १२२२ रंग-ए-शब बदलने में देर कितनी लगती है शम'अ दिल की जलने में देर कितनी लगती है दिल में सादगी रखना चाहे जो बुलंदी हो आफ़ताब ढलने में देर कितनी लगती है इक नज़र ही काफी है आतिश-ए-मुहब्बत की बर्फ़ के पिघलने में देर कितनी लगती…"
19 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: सही सही बता है क्या

1212 1212सही सही बता है क्याभला है क्या बुरा है क्यान इश्क़ है न चारागरतो दर्द की दवा है क्यालहू सा लाल लाल हैये आँख में जमा है क्याबुझे बुझे से लोग हैंये ज़िंदगी सज़ा है क्याअजीब कशमकश सी हैये दिल तुझे हुआ है क्यासुकून है न चैन हैयूँ जीने में मज़ा है क्याजो खाक़ हो रहे हैं हमकिसी कि बद्दुआ है क्याजला दिया तो जल गयाये जिस्म बे-वफ़ा है क्याबहक रहे हैं देख करबदन तेरा नशा है क्याहरेक शय मलंग हैबहार में अदा है क्याउसी की आरज़ू है क्यों'तमाम' वो ख़ुदा है क्या(मौलिक व अप्रकाशित) See More
Mar 19
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल - ये जो खंडरों सा मकान है
"बहुत बहुत शुक्रिया आ धामी सर ग़ज़ल पर आपकी बधाई के लिए 🙏"
Mar 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल - ये जो खंडरों सा मकान है
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: बाद एक हादिसे के जो चुप से रहे हैं हम

221 2121 1221 212बाद एक हादिसे के जो चुप से रहे हैं हमअपनी ही सुर्ख़ आँख में चुभते रहे हैं हमये और बात है की मुकम्मल न हो सकाइक ख़त किसी के नाम जो लिखते रहे हैं हमसबसे जरूरी काम में पीछे रहे मगरबाक़ी हर एक बात में आगे रहे हैं हमवैसे तो हमसे जीतना मुमकिन न था मगरअपनी रज़ा से आप से पीछे रहे हैं हमइक रोज़ तन्हा छोड़ गए आप तो हमेंदर्द उम्र भर ये हिज़्र का सहते रहे हैं हमये सच है हमने तेग़ उठाई नहीं कभी'आज़ी' लहू में फिर भी नहाये रहे हैं हममौलिक व अप्रकाशितSee More
Feb 25
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"वाह आ अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
Feb 24
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"जी ज़ैफ आ बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करें ख़ास पसंद आया- "मैं बेवफ़ा नहीं था बस इतना कहूँगा दोस्त कुछ फ़ैसले नहीं थे मेरे इख़्तियार में""
Feb 24
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"जी आ अच्छी ग़ज़ल हुई है गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी बधाई स्वीकार करें"
Feb 24
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ धामी सर ग़ज़ल पर हौसला अफ़ज़ाई के लिए 🙏"
Feb 24
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"बहुत बहुत शुक्रिया आ ग़ज़ल पर बारीकी से इस्लाह करने के लिए व की एवं कि का संशय दूर करने के लिए अच्छी जानकारी आपसे प्राप्त हुई ग़ज़ल में आपकी इस्लाह से और निखार आ जायेगा सहृदय शुक्रिया आ 🙏"
Feb 24
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"जी आ बहुत बहुत शुक्रिया ग़ज़ल पर नज़र ए करम व अच्छी इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई करने के करने के लिए पर मतले पर समझ नहीं आया मुआफ़ कीजियेगा आ आपने क्या सुझाव दिया और क्यों दिया 🙏"
Feb 24
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"जी सहृदय शुक्रिया नमस्कार आ ग़ज़ल पर हौसला अफ़ज़ाई का दिल से आभार 🙏"
Feb 24
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"सहृदय शुक्रिया आ टंकण त्रुटियों की और ध्यानाकर्षण व हौसला अफ़ज़ाई के लिए 🙏"
Feb 24
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल पर हौसला अफ़ज़ाई के लिए आभार  आपने नाम ग़लत लिखा है शायद या टिप्पणी ग़लत जगह हो गयी है 🙏"
Feb 24
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"जी सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल तक आने व हौसला अफ़ज़ाई करने के लिए 🙏"
Feb 24
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"जी आ ग़ज़ल की अच्छी कोशिश के लिए हार्दिक बधाई गुणीजनों की इस्लाह से निखार आयेगा"
Feb 24

Profile Information

Gender
Male
City State
Uttar Pradesh
Native Place
CHANDAUSI
Profession
Poet, Lawer, Engineer
About me
Poetic Nature

Aazi Tamaam's Photos

  • Add Photos
  • View All

Aazi Tamaam's Blog

ग़ज़ल: सही सही बता है क्या

1212 1212

सही सही बता है क्या

भला है क्या बुरा है क्या

न इश्क़ है न चारागर

तो दर्द की दवा है क्या

लहू सा लाल लाल है

ये आँख में जमा है क्या

बुझे बुझे से लोग हैं

ये ज़िंदगी सज़ा है क्या

अजीब कशमकश सी है

ये दिल तुझे हुआ है क्या

सुकून है न चैन है

यूँ जीने में मज़ा है क्या

जो खाक़ हो रहे हैं हम

किसी कि बद्दुआ है क्या

जला दिया तो…

Continue

Posted on March 6, 2024 at 7:00pm

ग़ज़ल: बाद एक हादिसे के जो चुप से रहे हैं हम

221 2121 1221 212

बाद एक हादिसे के जो चुप से रहे हैं हम

अपनी ही सुर्ख़ आँख में चुभते रहे हैं हम

ये और बात है की मुकम्मल न हो सका

इक ख़त किसी के नाम जो लिखते रहे हैं हम

सबसे जरूरी काम में पीछे रहे मगर

बाक़ी हर एक बात में आगे रहे हैं हम

वैसे तो हमसे जीतना मुमकिन न था मगर

अपनी रज़ा से आप से पीछे रहे हैं हम

इक रोज़ तन्हा छोड़ गए आप तो हमें

दर्द उम्र भर ये हिज़्र का सहते रहे हैं…

Continue

Posted on January 26, 2024 at 9:30pm — 2 Comments

ग़ज़ल - ये जो खंडरों सा मकान है

11212    11212

इसी में तो मेरा जहान है

ये जो खंडरों सा मकान है

यूँ ही बोलने से बचा करें

यूँ कि तुंद-ख़ू ये ज़बान है

नया खून है वो है जोश में

अभी ज़िंदगी में उफान है

न है आसमाँ न है तू ज़मीं

तुझे ख़ुद पे कितना गुमान है

तेरी जाति क्या है बिसात क्या

तेरा ज़िस्म ख़ाक समान है

न क़ुसूर कोई 'तमाम' अब

न बची उमंग न जान है

मौलिक व अप्रकाशित

(आज़ी…

Continue

Posted on January 18, 2024 at 4:30am — 6 Comments

फ़स्ल-ए-गुल है समाँ है मस्ताना

2122 1212 22

फ़स्ल-ए-गुल है समाँ है मस्ताना

आज फिर दिल हुआ है दीवाना

यूँ तो हर आँख में नशा लेकिन

उनकी आँखों में पूरा मयखाना

जबसे आये हैं उनको महफ़िल में

भूल बैठे…

Continue

Posted on December 11, 2022 at 9:30pm — 2 Comments

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 1:08pm on January 16, 2021, लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' said…

आ. भाई आज़ी तमाम जी, सादर अभिवादन । मेरी गजलें आपको अच्छी लगीं यह हर्ष का विषय है । आपके इस स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद।

मंच पर अपनी रचनाओं का आनन्द लेने का अवसर प्रदान करें और अन्य रचनाकारों का भी अपनी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन करते रहिए ।

At 8:15pm on January 12, 2021, Samar kabeer said…

जनाब आज़ी साहिब,तरही मुशाइर: में शामिल सभी ग़ज़लों पर लाइव ही तफ़सील से गुफ़्तगू होती है, शिर्कत फ़रमाएँ, और कोई उलझन हो तो मुझसे 09753845522 पर बात कर सकते हैं ।

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
16 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
21 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service