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Aazi Tamaam
  • Male
  • Bareilly, UP
  • India
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"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
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"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
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"बारीकी से इस्लाह व ज़र्रा-नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया आ इक नज़र ही काफी है आतिश-ए-महब्बत की बर्फ़-ए-दिल पिघलने में दर कितनी लगती है हमको भी बता दीजे आपने किया कैसे इस तरह संभलने में देर कितनी लगती है आज आप करते हैं हमसे मीठी बातें पर ज़ह्र-ए-दिल…"
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Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"२१२ १२२२ २१२ १२२२ रंग-ए-शब बदलने में देर कितनी लगती है शम'अ दिल की जलने में देर कितनी लगती है दिल में सादगी रखना चाहे जो बुलंदी हो आफ़ताब ढलने में देर कितनी लगती है इक नज़र ही काफी है आतिश-ए-मुहब्बत की बर्फ़ के पिघलने में देर कितनी लगती…"
yesterday
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ग़ज़ल: सही सही बता है क्या

1212 1212सही सही बता है क्याभला है क्या बुरा है क्यान इश्क़ है न चारागरतो दर्द की दवा है क्यालहू सा लाल लाल हैये आँख में जमा है क्याबुझे बुझे से लोग हैंये ज़िंदगी सज़ा है क्याअजीब कशमकश सी हैये दिल तुझे हुआ है क्यासुकून है न चैन हैयूँ जीने में मज़ा है क्याजो खाक़ हो रहे हैं हमकिसी कि बद्दुआ है क्याजला दिया तो जल गयाये जिस्म बे-वफ़ा है क्याबहक रहे हैं देख करबदन तेरा नशा है क्याहरेक शय मलंग हैबहार में अदा है क्याउसी की आरज़ू है क्यों'तमाम' वो ख़ुदा है क्या(मौलिक व अप्रकाशित) See More
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"बहुत बहुत शुक्रिया आ धामी सर ग़ज़ल पर आपकी बधाई के लिए 🙏"
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"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
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ग़ज़ल: बाद एक हादिसे के जो चुप से रहे हैं हम

221 2121 1221 212बाद एक हादिसे के जो चुप से रहे हैं हमअपनी ही सुर्ख़ आँख में चुभते रहे हैं हमये और बात है की मुकम्मल न हो सकाइक ख़त किसी के नाम जो लिखते रहे हैं हमसबसे जरूरी काम में पीछे रहे मगरबाक़ी हर एक बात में आगे रहे हैं हमवैसे तो हमसे जीतना मुमकिन न था मगरअपनी रज़ा से आप से पीछे रहे हैं हमइक रोज़ तन्हा छोड़ गए आप तो हमेंदर्द उम्र भर ये हिज़्र का सहते रहे हैं हमये सच है हमने तेग़ उठाई नहीं कभी'आज़ी' लहू में फिर भी नहाये रहे हैं हममौलिक व अप्रकाशितSee More
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"वाह आ अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
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Male
City State
Uttar Pradesh
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CHANDAUSI
Profession
Poet, Lawer, Engineer
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Poetic Nature

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ग़ज़ल: सही सही बता है क्या

1212 1212

सही सही बता है क्या

भला है क्या बुरा है क्या

न इश्क़ है न चारागर

तो दर्द की दवा है क्या

लहू सा लाल लाल है

ये आँख में जमा है क्या

बुझे बुझे से लोग हैं

ये ज़िंदगी सज़ा है क्या

अजीब कशमकश सी है

ये दिल तुझे हुआ है क्या

सुकून है न चैन है

यूँ जीने में मज़ा है क्या

जो खाक़ हो रहे हैं हम

किसी कि बद्दुआ है क्या

जला दिया तो…

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Posted on March 6, 2024 at 7:00pm

ग़ज़ल: बाद एक हादिसे के जो चुप से रहे हैं हम

221 2121 1221 212

बाद एक हादिसे के जो चुप से रहे हैं हम

अपनी ही सुर्ख़ आँख में चुभते रहे हैं हम

ये और बात है की मुकम्मल न हो सका

इक ख़त किसी के नाम जो लिखते रहे हैं हम

सबसे जरूरी काम में पीछे रहे मगर

बाक़ी हर एक बात में आगे रहे हैं हम

वैसे तो हमसे जीतना मुमकिन न था मगर

अपनी रज़ा से आप से पीछे रहे हैं हम

इक रोज़ तन्हा छोड़ गए आप तो हमें

दर्द उम्र भर ये हिज़्र का सहते रहे हैं…

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Posted on January 26, 2024 at 9:30pm — 2 Comments

ग़ज़ल - ये जो खंडरों सा मकान है

11212    11212

इसी में तो मेरा जहान है

ये जो खंडरों सा मकान है

यूँ ही बोलने से बचा करें

यूँ कि तुंद-ख़ू ये ज़बान है

नया खून है वो है जोश में

अभी ज़िंदगी में उफान है

न है आसमाँ न है तू ज़मीं

तुझे ख़ुद पे कितना गुमान है

तेरी जाति क्या है बिसात क्या

तेरा ज़िस्म ख़ाक समान है

न क़ुसूर कोई 'तमाम' अब

न बची उमंग न जान है

मौलिक व अप्रकाशित

(आज़ी…

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Posted on January 18, 2024 at 4:30am — 6 Comments

फ़स्ल-ए-गुल है समाँ है मस्ताना

2122 1212 22

फ़स्ल-ए-गुल है समाँ है मस्ताना

आज फिर दिल हुआ है दीवाना

यूँ तो हर आँख में नशा लेकिन

उनकी आँखों में पूरा मयखाना

जबसे आये हैं उनको महफ़िल में

भूल बैठे…

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Posted on December 11, 2022 at 9:30pm — 2 Comments

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At 1:08pm on January 16, 2021, लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' said…

आ. भाई आज़ी तमाम जी, सादर अभिवादन । मेरी गजलें आपको अच्छी लगीं यह हर्ष का विषय है । आपके इस स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद।

मंच पर अपनी रचनाओं का आनन्द लेने का अवसर प्रदान करें और अन्य रचनाकारों का भी अपनी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन करते रहिए ।

At 8:15pm on January 12, 2021, Samar kabeer said…

जनाब आज़ी साहिब,तरही मुशाइर: में शामिल सभी ग़ज़लों पर लाइव ही तफ़सील से गुफ़्तगू होती है, शिर्कत फ़रमाएँ, और कोई उलझन हो तो मुझसे 09753845522 पर बात कर सकते हैं ।

 
 
 

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