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Aazi Tamaam
  • Male
  • Bareilly, UP
  • India
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Aazi Tamaam posted a blog post

फ़स्ल-ए-गुल है समाँ है मस्ताना

2122 1212 22फ़स्ल-ए-गुल है समाँ है मस्तानाआज फिर दिल हुआ है दीवानायूँ तो हर आँख में नशा लेकिनउनकी आँखों में पूरा मयखानाजबसे आये हैं उनको महफ़िल मेंभूल बैठे हैं यार घर जानाउनकी महफ़िल में वो सुकून ए दिलजैसे महफ़िल नहीं हो बुत़खानाक़ातिलाना है हर अदा उनकीजान-लेवा है उनका शर्मानाहमसे पूछो न ज़ीस्त का आज़ीहमने कैसे पिया है पैमानामौलिक व अप्रकाशितआज़ी तमामSee More
Dec 20, 2022
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post तिनका तिनका टूटा मन(गजल) - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ आपकी ग़ज़ल मुझे बेहद पसंद आती है आ बहुत सुंदर लिखते हैं बधाई हो गुरु जी की इस्लाह सर आँखों पर"
Dec 14, 2022
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post फ़स्ल-ए-गुल है समाँ है मस्ताना
"सादर प्रणाम आ गुरु जी  ग़ज़ल तक आने व इस्लाह करने के लिये सहृदय शुक्रिया मैं दुरुस्त करने की कोशिश करता हूँ सादर"
Dec 14, 2022
Samar kabeer commented on Aazi Tamaam's blog post फ़स्ल-ए-गुल है समाँ है मस्ताना
"जनाब आज़ी तमाम जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I  'बैठे बैठे हुए हैं रिंदाना'--- इस मिसरे में क़ाफ़िया काम नहीं कर रहा है, "रिन्दाना" का अर्थ होता है ,रिंद से निस्बत रखने वाला, ग़ौर करें I "
Dec 14, 2022
Aazi Tamaam commented on Anjuman Mansury 'Arzoo''s blog post ग़ज़ल - ये बर्फीली हवाएंँ तेज़ तूफ़ाँ ये मिज़ाजी ठंड
"वाह आ बहुत ख़ूब कही बधाई हो खूबसूरत ग़ज़ल के लिए"
Dec 11, 2022
Aazi Tamaam posted a blog post

फ़स्ल-ए-गुल है समाँ है मस्ताना

2122 1212 22फ़स्ल-ए-गुल है समाँ है मस्तानाआज फिर दिल हुआ है दीवानायूँ तो हर आँख में नशा लेकिनउनकी आँखों में पूरा मयखानाजबसे आये हैं उनको महफ़िल मेंभूल बैठे हैं यार घर जानाउनकी महफ़िल में वो सुकून ए दिलजैसे महफ़िल नहीं हो बुत़खानाक़ातिलाना है हर अदा उनकीजान-लेवा है उनका शर्मानाहमसे पूछो न ज़ीस्त का आज़ीहमने कैसे पिया है पैमानामौलिक व अप्रकाशितआज़ी तमामSee More
Dec 11, 2022
Aazi Tamaam commented on Anjuman Mansury 'Arzoo''s blog post ग़ज़ल - मैं अँधेरी रात हूंँ और शम्स के अनवर-से आप
"वाह आ बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें"
Dec 11, 2022
Anita Maurya and Aazi Tamaam are now friends
Jul 8, 2022
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: सुरूर है या शबाब है ये
"प्रणाम आ गुरु जी ग़ज़ल तक आने व बारीकी से इस्लाह देने और मार्गदर्शन करने के लिए मैं तहे दिल से आपका आभार व्यक्त करता हूँ जी गुरु जी मैं अब ज्यादा वक़्त पढ़ाई को ही देता हूँ पर कभी कभी मन नहीं मानता तो मन को शांत करने के लिए मजबूरीबस कुछ लिखने का…"
Jun 7, 2022
Samar kabeer commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: सुरूर है या शबाब है ये
"जनाब आज़ी तमाम जी आदाब, इस बह्र पर ग़ज़ल कहना आसान नहीं है, फिर भी पने प्रयास किया इसके लिये बधाई I  फ़क़ीर की है या पीर की है के चश्म जो आब-ओ-ताब है ये-- इस शे`र के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है ,और सानी का वाक्य विन्यास भी दुरुस्त नहीं…"
Jun 7, 2022
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: सुरूर है या शबाब है ये
"हौसला अफ़ज़ाई के लिए आ धामी सर का हृदय से स्वागत है सादर"
Jun 1, 2022
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: सुरूर है या शबाब है ये
"आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। बहुत सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
May 31, 2022
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: सुरूर है या शबाब है ये
"आ सूबे जी ग़ज़ल तक आने व हौसला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया"
May 27, 2022
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: सुरूर है या शबाब है ये
" आ gumnaam ji हौसला अफ़ज़ाई व ग़ज़ल तक आने के लिए सहृदय शुक्रिया सादर "
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: सुरूर है या शबाब है ये
"अरे वाह वाह वाह बहुत खूब लिखा है"
May 27, 2022
gumnaam pithoragarhi commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: सुरूर है या शबाब है ये
"वाह बहुत खूब गजल हुई है । बधाई .. "
May 25, 2022

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Uttar Pradesh
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CHANDAUSI
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Poet, Lawer, Engineer
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फ़स्ल-ए-गुल है समाँ है मस्ताना

2122 1212 22

फ़स्ल-ए-गुल है समाँ है मस्ताना

आज फिर दिल हुआ है दीवाना

यूँ तो हर आँख में नशा लेकिन

उनकी आँखों में पूरा मयखाना

जबसे आये हैं उनको महफ़िल में

भूल बैठे…

Continue

Posted on December 11, 2022 at 9:30pm — 2 Comments

ग़ज़ल: सुरूर है या शबाब है ये

12112 12112

सुरूर है या शबाब है ये

के जो भी है ला जवाब है ये

फ़क़ीर की है या पीर की है

के चश्म जो आब-ओ-ताब है ये

कज़ा है अगर सरक गया तो

जो चेहरे पे नकाब है ये

अजीब है सफ़ह-ए-ज़िंदगी भी

न पूछो की क्या जनाब है ये

कभी है ख़ुशी तो है कभी ग़म

बस एक ऐसी किताब है ये

हैं अश्क से आज चश्म जो नम

महब्बतों का हिसाब है ये

न जाने कोई है माज़रा क्या

की…

Continue

Posted on May 22, 2022 at 8:00am — 10 Comments

ग़ज़ल: इक ऐसे ग़म से आज मुलाक़ात हो गई

२२१ २१२१ १२२१ २१२

पाकर जिसे हयात हवालात हो गई

इक ऐसे ग़म से आज मुलाक़ात हो गई

कैसे बताएँ आपके बिन कुछ नहीं हैं हम

कैसे बताएँ आपको क्या बात हो गई

अंजान थी जो आँख मिरी जान अश्क़ से

बाद आपके यूँ रोई की बरसात हो गई

इक पल में खुशनुमा हुई इक पल में रहनुमा

फ़िर एक पल में दर्द की सौग़ात हो गई

कैसी है दास्ताँ ये मिरी जान ज़िंदगी

रौशन हुई कहीं तो कहीं रात हो गई

मौलिक व…

Continue

Posted on February 26, 2022 at 11:30pm — 2 Comments

ग़ज़ल: हर इक दिन इन फ़ज़ाओं में नई अल्बम लगाता है

1222 1222 1222 1222

हर इक दिन इन फ़ज़ाओं में नई अल्बम लगाता है

कोई तो है हरी सी घास पर शबनम लगाता है

कहीं सुनता नहीं महफ़िल में भी अब दर्द ए दिल कोई

किसे आवाज वीराने में तू हमदम लगाता है

अज़ब है वाक़िया या रब अज़ब साकी मिला दिल को

नमक ज़ख़्मों पे दिल के किस क़दर पैहम लगाता है

धुआँ होकर निकलती हैं ये साँसें दिल के अंदर से

किसी की याद में दिल दम व दम फिर दम लगाता…

Continue

Posted on January 15, 2022 at 3:00pm

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At 1:08pm on January 16, 2021, लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' said…

आ. भाई आज़ी तमाम जी, सादर अभिवादन । मेरी गजलें आपको अच्छी लगीं यह हर्ष का विषय है । आपके इस स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद।

मंच पर अपनी रचनाओं का आनन्द लेने का अवसर प्रदान करें और अन्य रचनाकारों का भी अपनी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन करते रहिए ।

At 8:15pm on January 12, 2021, Samar kabeer said…

जनाब आज़ी साहिब,तरही मुशाइर: में शामिल सभी ग़ज़लों पर लाइव ही तफ़सील से गुफ़्तगू होती है, शिर्कत फ़रमाएँ, और कोई उलझन हो तो मुझसे 09753845522 पर बात कर सकते हैं ।

 
 
 

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"वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही खूबसूरत सृजन हुआ है सर । हार्दिक बधाई"
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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।सहमत देखता हूँ"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for Radheshyam Sahu 'Sham'
"आ. भाई राधेश्याम जी, आपका ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत है।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२२२ २२२२ २२२२ २**पर्वत पीछे गाँव पहाड़ी निकला होगा चाँद हमें न पा यूँ कितने दुख से गुजरा होगा…See More
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दो चार रंग छाँव के हमने बचा लिए - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई आशीष जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार।"
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