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Dayaram Methani
  • Male
  • Bhilwara - rajsthan
  • India
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय रिचा जी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Mar 29
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Mar 29
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, विस्तृत टिप्पणी के लिए धन्यवाद। जैसा कि आपने शिकस्त-ए-नारवा दोष बताया है तो यह दोष तो जो मिसरा दिया गया है उसमें भी है। देखिये —रास्ता बदलने में देर कितनी लगती हैइस मिसरे में कितनी का कित एक टुकड़े में तो नी दूसरे टुकड़े में…"
Mar 29
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी लगती है..चोट प्यार की देती है दर्द बहुत सारादर्द को उगलने में देर कितनी लगती है..चाय के बनाने में अब समय नहीं लगतागैस चूल्हा जलने में देर कितनी लगती…"
Mar 29
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी, टिप्पणी एवं सुझाव के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Dec 29, 2023
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-162
"आदरणीय अमित जी, टिप्पणी एवं सुझाव के लिए बहुत बहुत आभार।"
Dec 29, 2023
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-162
"ग़ज़ल मस्ती भरी जवानी बगावत है आजकल माँ बाप के लिए ये कयामत है आजकल चमका हुआ है मुखड़ा अचानक ये किसलिएइक दोस्त की ये हम पे इनायत है आजकल दुख दर्द की कहानी गरीबों की ज़िन्दगीसरकारी योजना से ही राहत है आजकल वो बेवफा मुझे न बताती तो ठीक थादिल क्या…"
Dec 28, 2023
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-158
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पदत्त विषय पर सुंदर दोहे सृजन हेतु बहुत बहुत बधाई।"
Dec 17, 2023
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-158
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Dec 17, 2023
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-158
"अलविदा (छंद मुक्त) एक आ रहा हैएक जा रहा हैजो आया है वो जायेगाइसमें रोना याखुश होना कैसा? ये साल जा रहा हैनया साल आ रहा हैकिसमें कितने दुख मिलेकितने सुख मिलेइसकी गणना से क्या?न सबको सुख मिलेन सबको दुख मिलेफिर किसी के आनेया जाने से क्या? आगत का…"
Dec 16, 2023
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"कृपया वो अपवाद बताने का कष्ट करें।"
Nov 24, 2023
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय समर कबीर जी, आप द्वारा टिप्पणी के के लिए हार्दिक आभार। किंतु नारे या नारा में पहला शब्द यहाँ लघु क्यों नहीं हो सकता यह मैं नहीं जानता। अनेकों ग़ज़लों में पहला शब्द लघु होते देखा है। कृपया आप यह बताने का कष्ट करे कि कौन सा शब्द लघु हो सकता है…"
Nov 24, 2023
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय अजय गुप्ता जी, कृपया देखें ...गरीबों से ....1222नारे लगवा ....1222 यहाँ नारे में ना को लघु माना है।रहा हूँ ....122इसमें बह्र मुझे सही लग रही है। फिर भी कोई गलती है तो अवश्य बताने का कष्ट करें। लेकिन ... निभाये हैं बहुत वादे याद है... इसमें…"
Nov 24, 2023
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय अजय गुप्ता जी, पोस्ट पर आने व टिप्पणी तथा सलाह के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Nov 24, 2023
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"1222 1222 122 नकारा सारा दिन फिरता रहा हूँ चुनावी भाषणों में खो गया हूँ मुझे सुनता न कोई भी कहीं पर मगर मैं बोलता ही जा रहा हूँ कमर तोड़ी है महँगाई ने सबकी गरीबों से नारे लगवा रहा हूँ वफा करता रहा सारी उम्र मैं कहा अब बेवफा सा हो गया हूँ निभाये…"
Nov 24, 2023
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय अमित जी, पोस्ट की समीक्षा कर सुझाव देने के लिए हार्दिक आभार। आपके सुझाव याद रखूंगा। प्रयास कर रहा हूँ और करता रहूंगा। सादर।"
Sep 28, 2023

Profile Information

Gender
Male
City State
BHILWARA
Native Place
BHILWARA
Profession
journlist and writer
About me
I like to read and write kavita, gazal, short stories and artical.

Dayaram Methani's Blog

गज़ल

गज़ल

2122 2122 2122 212

आजकल हर बात पर लड़ने लगा है आदमी,

क्रोध के साये तले पलने लगा है आदमी।

चाह झूठी शान की अब बढ़ गई है बहुत ही,

इस लिये बेचैन सा रहने लगा है आदमी।

आग हिंसा की बहुत झुलसा रही है देश को,

खूब धोखा दल बदल करने लगा है आदमी।

धन कमाया पर बचाया कुछ नहीं अपने लिये,

अब बुढ़ापे में छटपटाने लगा है आदमी।

जिन्दगी भर झगड़ने से क्या मिला इंसान को,

देख ’’मेठानी‘‘ बहुत रोने लगा है आदमी।

मौलिक…

Continue

Posted on January 30, 2022 at 12:16pm — 2 Comments

ग़ज़ल

2122 2122 2122 2



ज़िन्दगी में हर कदम तेरा सहारा हूँ

नाव हो मझधार तो तेरा किनारा हूँ

तुम भटक जाओ अगर अनजान राहों में

पथ दिखाने को तुम्हें रौशन सितारा हूँ

ज़िन्दगी का खेल खेलो तुम निडरता से

हर सफलता के लिए मैं ही इशारा हूँ

राह जीने की सही तुमको दिखाऊंगा

ज़िन्दगी के सब अनुभवों का पिटारा हूँ

साथ क्यों दूं मैं तुम्हारा सोच मत ऐसा

अंश तुम मेरे पिता मैं ही तुम्हारा हूँ

- दयाराम मेठानी…

Continue

Posted on November 6, 2021 at 10:00pm — 6 Comments

ग़ज़ल

 2122 2122 2122 212

नाव है मझधार में नाविक नशे में चूर है

सांझ है होने लगी मंजिल नज़र से दूर है

संकटों से आदमी क्या देव भी बचते नहीं

वक्त के आगे सभी होते यहां मजबूर है

जिन्दगी की कशमकश में जीना’ जिसको आ गया

यों समझ लो हौसलों से वो बहुत भरपूर है

दोष है अपना समय के साथ चल पाये नहीं

बंद मुट्ठी से फिसलना वक्त का दस्तूर है

हाल ‘‘मेठानी’’ बतायंे क्या किसी को अब यहां

आदमी सुनता नहीं अब हो गया मगरूर…

Continue

Posted on August 27, 2019 at 10:00pm — 2 Comments

गज़ल सीख लो

2122 2122 212

दर्द को दिल में दबाना सीख लो

ज़िन्दगी में मुस्कराना सीख लो

आंख से आंसू बहाना छोड़िये

हर मुसीबत को भगाना सीख लो

ज़िन्दगी है खेल, खेलो शान से

खेल में खुद को जिताना सीख लो

फूल को दुनिया मसल कर फैंकती

खुद को कांटों सा दिखाना सीख लो

छोड़ दें अब गिड़गिड़ाना आप भी

कुछ तो कद अपना बढ़ाना सीख लो

थी जवानी जोश भी था स्वप्न भी

दिन पुराने अब भुलाना सीख लो

कौन…

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Posted on July 4, 2019 at 9:30pm — 8 Comments

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