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Chetan Prakash
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Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"2122 1122 1122 22 फ़ासलों से कभी मिलना नहीं आसाँ होगा अजनबी महफिलों को दिल न परेशाँ होगा ( 1 ) होंसलों से ही ज़माने को किया पस्त हमने और थोड़ा चलें पूरा ये भी अरमाँ होगा  ( 2 ) जज़्बा लड़ने का न क़मज़ोर वो होने देना साथ चलते रहेंगे हम मिशन…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post गज़ल ः
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।  सबूतों बात ये कह दी अभी से"" इस पंक्ति का भाव कुछ स्पष्ट नहीं हो सका है।  अकेलापन बड़ी सबसे सज़ा है//इसे ऐसा करने से कुछ प्रभाव बढ़ेगा- अकेलापन सजा सबसे बड़ी है ।…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अजय जी, कुकुभ छंद में आपकी प्रस्तुति मुझे अच्छी लगी  ! लेकिन चौथे छंद की तीसरी और  चौथी पक्ति के पदान्त मुझे नियमानुसार नहीं लगे  ! दोनों ही पंक्तियाँ  के पदान्त  निष्ठा और " प्रतिष्ठा दो- दो गुरु नहीं है…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अजय जी, आपकी  टिप्पणी के आलोक मे  मैंने संशोधित प्रस्तुति दी है, कृपया पुन: अवलोकन करें !"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"संशोधित प्रस्तुति कुकुभ छंद ः यह शालिग्राम शिला नहीं जो, शिव का आह्वान करेगी । बचा लेंगे शिव तुझे आपदा, शिव- शक्ति जान बख्शेगी ।। तूफानी.. लगता .. मौसम ..भी, बादल बरसेंगे भारी । मानव की औक़ात नहीं है, जान बचा कृष्ण मुरारी।। गज को ग्रहण कब लग सका…"
Saturday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बरसों बाद मनायें होली(गीत-२०)-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
" सरसी छंद आधारित सुन्दर  होली गीत,  बधाई,  आ. भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर  ! हाँ, वर्तनी की अशुद्धियां,  जैसे " दसकों "और "तपिष" खलती भी हैं ! "
Mar 18
Chetan Prakash posted a blog post

गज़ल ः

1222 1222 122कहूँ सच आपका कोई नहीं है जहाँ में आश्ना कोई नहीं हैसबूतों बात ये कह दी अभी से वो दुनिया में मिरा कोई नहीं हैये सब माया उसी की जो छुपा है सिवा उसके ख़ुदा कोई नहीं हैअकेलापन बड़ी सबसे सज़ा है अभागा अन्यथा कोई नहीं हैंकिया जो ज़ुर्म उसने वो भरेगा वो मेरा मुँहलगा कोई नहीं हैमुखौटा कब कोई पहना है मैंने बहस ये मुद्दआ कोई नहीं हैजो है इनसान का क़ातिल बुरा है वो मुज़रिम है भला कोई नहीं हैमैं शाइर हूँ यतीमों का वो 'चेतन' भरोसा बस ख़ुदा कोई नहीं हैसज़ा मिलती कैसे मुझको वो यारों"मुझे पहचानता…See More
Mar 12
Chetan Prakash commented on Er. Ganesh Jee "Bagi"'s blog post लघुकथा : पीठ का दाग (गणेश बाग़ी)
""पऱ उपदेश कुशल बहुतेरे" को चरितार्थ करती उल्लेखनीय लघुकथा, बधाई, आदरणीय गणेश बागी जी !"
Mar 12
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-149
"कुकुभ छंदः छीज रहे संस्कार अब तो, उदास मेरी थी होली चढ़ता रहा पारा दिन ब दिन, भीगी न होली रँगोली शोर मचाते कब हुरियारे, बच्चे हुशियार न रहते मर गया उत्साह होली का, गुब्बारे सरों न गिरते कलेजा सूखता धरती का, कम होती जल सप्लाई मत भरना गुब्बारे पानी,…"
Mar 11
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"2122 2122 2122 212 खानदानी आदमी था महरबाँ बनता गया दोस्ती गहरी थी उससे राजदाँ बनता गया लोग जुड़ते ही रहे वो गुलसिताँ बनता गया मुद् दआ था एक सबका कारवाँ बनता गया सामाँ सारा था मुकम्मल तो मकाँ बनता गया कुछ चिनी दीवारें थी क्या आशियाँ बनता…"
Feb 24
Sushil Sarna commented on Chetan Prakash's blog post गज़ल
"वाह आदरणीय चेतन जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है हार्दिक बधाई सर ।"
Feb 19
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post प्यार करने के लिए मौसम नहीं मन चाहिए ( गीत-१७)-
"शुभ प्रभात,  भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर,  सुन्दर गीत लिखा आप ने ! हाँ, चूँकि गीतिका छंद आधारित गीत में सम्पादन का अभाव प्रतीत हुआ  । (1)  पहले अन्तरे की तीसरी पंक्ति में "शती" के स्थान पर 'सती' होना…"
Feb 18
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 142 in the group चित्र से काव्य तक
"कुकुभ छंद : सिमट रही हरियाली अब तो, कंकरीट जंगल उगते । उर्वरा भूमि कृषि की बंधक, किसान के साधन चुकते ।। कृषि-प्रधान देश रहा भारत, खलिहान हैं नहीं चंगे । आउट हाउस बने शहर है, लोग नाचते अधनंगे ।। भाव-शून्य ये भवन खड़े हैं, सम्वेदनहीन बसे जन । बाल-…"
Feb 18
Chetan Prakash posted blog posts
Feb 17
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-148
"गीतिका छंद प्यार का मौसम बसन्ती हैं बहारें अब प्रकृति फूल खिलते हाल रंगों गंग लहरों है विकृति स्वर्ण किरणें सूर्य बँटती सात रंगों धूप में प्रिज्म बनते हैं नदी - नालों तटों बहु रूप में बह रही बादे सबा है बागवाँ खुशहाल है फागुनी है कहकशाँयें और लाली…"
Feb 12
PHOOL SINGH commented on Chetan Prakash's blog post गीत.... असल कामयाबी जीवन की
"बहुत बहुत सुंदर गीत सर बधाई स्वीकारें "
Jan 27

Profile Information

Gender
Male
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Baraut
Native Place
Hapur
Profession
Teaching
About me
I'm a poet rather born than made or trained since my childhood

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गज़ल ः

1222 1222 122

कहूँ सच आपका कोई नहीं है

जहाँ में आश्ना कोई नहीं है

सबूतों बात ये कह दी अभी से

वो दुनिया में मिरा कोई नहीं है

ये सब माया उसी की जो छुपा है

सिवा उसके ख़ुदा कोई नहीं है

अकेलापन बड़ी सबसे सज़ा है

अभागा अन्यथा कोई नहीं हैं

किया जो ज़ुर्म उसने वो भरेगा

वो मेरा मुँहलगा कोई नहीं है

मुखौटा कब कोई पहना है मैंने

बहस ये मुद्दआ कोई नहीं है

जो है इनसान का…

Continue

Posted on March 12, 2023 at 7:44pm — 1 Comment

गज़ल

2122  1212   22 / 112

कारवाँ प्यार का रुका क्यूँ है

हादसा आज ये हुआ क्यूँ है

गुलदस्ता वो नहीं कोई फूल नहीं

दीवाना दोस्त गुमशुदा क्यूँ है

चलनी है रहगुज़र मुझे और भी

बदगुमाँ फिर वो दिलरुबा क्यूँ है

वो जुनूँ प्यार का हवा हो गया

होंसला बारहा हुआ क्यूँ है

कौन जाने वो मसअला क्या है

राय़गाँ हुस्न अब हुआ क्यूँ है

कोई रिश्ता ठहरता ही नहीं याँ

राबतों को ये बद्दुआ क्यूँ…

Continue

Posted on February 17, 2023 at 7:43am — 1 Comment

गीत.... असल कामयाबी जीवन की

असल कामयाबी जीवन की

सहज सरल सादा जीवन हो



बचना होगा वासना लिप्सा

अतिशय कामना नहीं मन हो

चल सकता काम अगर दो रोटी

तो एक गाय कुत्ते को दे दो !

पेट भरा होने पर भैया

उसे कभी अवकाश भी दो

असल कामयाबी जीवन की

सहज सरल सादा जीवन हो

होता सूर्य है उत्तरायण

सुनहला है अब वातावरण

निकली है अब धूप धुंध से

क्षमा भाव अपनाते सज्जन

सहने की सामर्थ्य बढ़ा लो

असल कामयाबी जीवन की

सहज…

Continue

Posted on January 17, 2023 at 10:00pm — 2 Comments

एक गीत

अजब मौसम हुआ है आज वो  सूरज नहीं है

है बर्फीली फज़ा जारी साज़ तो सूरज नहीं है !

मरें मुफ़लिस अभी ठंडी उन्हें घर क्या क़मी है

लगे हैं लाव लश्कर दर अमीरों  क्या ग़मी है

अजब मौसम हुआ है आज वो सूरज नहीं है !

दरीचों पर जमी है बर्फ ठिठुरन हड्डियों है

है बिस्तर गर्म नेताओं के गरमी गड्डियों है

बुलाकर अफसरों को घर अभी फाइल पढ़ी है

है मौसम ये पकोड़ो का अभी दारू उड़ी है

गरीबों को लगे अब ठंड चढ़ती फुरफुरी…

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Posted on January 6, 2023 at 9:00pm

Comment Wall (3 comments)

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At 6:35am on July 22, 2021, रणवीर सिंह 'अनुपम' said…
आदरणीय, चेतन जी, "दोहे : कैसे- कैसे  लोग" शीर्षक के तहत लिखे गए दोहे बहुत सुंदर हैं और बहुत अच्छे लगे।

निम्न चरण विधान में न होने से इनमें लय भंग है। जिसे दूर करने की जरूरत है।

जन्म-भूमि स्वर्ग सम हो
(कारण-नवीं मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

कृतघ्न पक्के लोग
(कारण-आरंभ में जगण "कृतघ्न"आ रहा है, जो नहीं होना चाहिए)

कर रहे बस भोग
(कारण-एक मात्राभार कम है, साथ ही पाँचवीं मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

न हों कभी बदनाम
(कारण-पहली मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

विद्या  हमें  सिखाती है,
(कारण-13 मात्राओं की जगह 14 मात्राएँ हैं, जो नहीं होनी चाहिए)

कर अन्याय प्रतिकार
(कारण-11 की जगह 12 मात्राएँ हैं जो नहीं होनी चाहिए)
At 11:46pm on November 22, 2020, DR ARUN KUMAR SHASTRI said…

भाई चेतन जी
नमन -
इस्लाह का
सलीका आ जायेगा
मैंने आज तलक
मुकम्मल तो कोई देखा नहीं
गलतियां निकालोगे-
तो सीखूंगा ही ।।
मैं तो अधूरा था
अधूरा रहा
और हूँ अब तलक
आज आया हूँ आपकी बज्म में
कुछ सिखा दोगे -
तो सीखूंगा भी ।।

At 11:59am on June 27, 2020, Samar kabeer said…

जनाब चेतन प्रकाश जी,ये टिप्पणी आप मुशाइर: में दें,तो मुझे जवाब देने में आसानी होगी ।

 
 
 

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