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Manan Kumar singh
  • बिहार
  • India
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Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-95
"आज के समय में नकल करने देना भी आशीष ही हो चला है।उससे बढ़कर आशीष तो पर्चा देने के पहले प्रश्न मुहैया करा देना हो गया है,जो ऊँची कीमत पर उपलब्ध होता है। आज की शैक्षणिक एवं प्रतियोगिता परीक्षाओं की स्थिति पर सटीक व्यंग्यात्मक लघुकथा हुई है।बधाई लीजिए…"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-95
"आदरणीय उस्मानी जी,आपका दिली आभार।आपने लघुकथा के साथ -साथ मुझे भी मान बख्शा है।उत्साहित हूं।और अधिक सीखने,समझने और कागज रंगने की ख्वाहिश जीवंत है। निश्चित तौर पर लघुकथा पुनरावलोकन के दौर से गुजरेगी। हां, "परिंदों ने आवाज लगाई", ही…"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-95
"आपका हार्दिक आभार आ. अजय जी।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-95
"आदरणीय अजय जी,गोष्ठी में सहभागिता हेतु बधाई। आजकल आशीर्वाद इस रूप में फलने -फूलने लगा है,ऐसा समझा जा सकता है। हां,यह प्रचलन की बात है।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-95
"आम  "सर्र सर्र....." की आवाज बारंबार होती। रुक -रुक कर होती। सोये परिंदे उनींदे -से बड़बड़ाते "चिहुँ चिहुँ"।गिलहरी करती, " किटू किटू"। फिर सब सो जाते। फिर वही " सर्र सर्र" की ध्वनि सबकी नींद भेदती।सब…"
Feb 27
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आपका हार्दिक आभार आ.अमीरुद्दीन जी।नमन।"
Feb 25
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आपका आभार आ. ऋचा जी।"
Feb 25
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई।नमन।"
Feb 25
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"  जबआग बन बहती हवा ज बेरुखी के खौफ से,......"
Feb 24
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"जनाब समर जी,धन्यवाद के प्रति धन्यवाद प्रेषित है।नमन।"
Feb 24
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय रवि शुक्ला जी,आपका हार्दिक आभार।नमन।"
Feb 24
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आपका आभार भाई अजय जी।"
Feb 24
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय भाई अमित जी, इसी क्रम में एक शेर पनपा है।गौर कर लीजिएगा। "फेंकता फिरता नजर बस देखता कुछ भी नहीं, ऐ बशर तू ही बता कैसा समां बनता गया।" "
Feb 24
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"तब मुहब्बत की हवा थी आशियाँ बनता गया फिर अदा ने चोट की दर्द -ए -जहाँ बनता गया।1 आदमी हूं प्यार करने की सदा  फितरत रही कुछ हुआ तेरे - मिरे में दरमियाँ बनता गया।2 हो गया मुश्किल मनाना प्यार से,मनुहार से, मसखरी लोगों की थी, फिर दास्ताँ बनता…"
Feb 24
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-94
"प्रकृति के अतिरिक्त दोहन से द्रोह ही जन्मेगा,दुनिया नहीं पनपेगी.........अच्छी लघुकथा हेतु बधाई लीजिए, आदरणीया नयना जी। हां,टंकण जनित त्रुटियां ध्यान आकृष्ट करती हैं।"
Jan 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-94
"विकास को विनाश की ओर बढ़ता देख सब डर गए......संदेशपरक लघुकथा हुई है।बधाई लीजिए। हां,भाषागत त्रुटियों,विराम चिन्हों के लोप का निवारण लाजिमी है।"
Jan 31

Profile Information

Gender
Male
City State
Mumbai
Native Place
E 52 Krishna Apt , Patna
Profession
Service
About me
A poet/ Writer

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कर्तव्य-बोध(लघुकथा)

कर्तव्य-बोध

मरे कौवे ली लाश तीन दिनों से उस पॉश कॉलोनी के बीचोबीच गुजरनेवाली सड़क पर पड़ी थी। गाड़ियाँ गुजरतीं,उसे रौंदतीं। लोग आते। चले जाते। दो लोग अपने अच्छी नस्ल के कुत्तों को सायंकालीन प्राकृतिक क्रिया से निबटारा कराने के लिए भ्रमण के बहाने वहाँ से गुजरे। कौवे की शेष बची लाश पर अकस्मात एक का पैर पड़ गया।नाक-भौं सिकोड़ते हुए वह गुर्राया,

कैसे लोग इधर रहते हैं! सड़ी लाश के परखच्चे उड़ रहे हैं। किसी को कोई चिंता ही नहीं।

नगर…

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Posted on November 10, 2022 at 9:28am — 4 Comments

किसका बच्चा(लघुकथा)

किसका बच्चा

सँवरी के नाक-नक्श तीखे हैं। मुँह का पानी थोड़ा फीका पड़ा है,तो क्या? उसे दूल्हे के लिए कभी तरसना नहीं पड़ता। चढ़ती जवानी में उसे दिल्ली के दिल वाले दूल्हे का संग मिला। खूब रंगरेलियाँ हुईं।फिर उसे लगा कि उसका दूल्हा किसी और पर फिदा है।स्मृति-पटल पर वे लमहे उभरते, जब उसके हर नाज-नखरे कुबूल होते थे। अब उसे अपने भाव में कमतरी का अहसास हुआ। बिदक गई। दिल्लीवाले को चिढ़ाने के लिए उसने एक ठेंठ भोजपुरिया दूल्हा ढूँढा। उसके संग हो गई।प्यार…

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Posted on November 7, 2022 at 3:14pm — 2 Comments

झाड़-फूँक(लघुकथा)

बुनिया उम्र में बड़ी थी,तो क्या?गोरी चिट्टी,छरहरी थी। कमलू से ब्याह दी गई।अब कमलू अपना पाँच बार फेल हुआ मैट्रिक का इम्तहान संभाले, या बुनिया को निहारे? वह नाराज रहने लगी।

एक शाम बुनिया की तबीयत बिगड़ गई। हाथ-पैर पटकती। सिर दीवार से टकराती। घरेलू डॉक्टर की दवाएँ काम न आईं। चतुरी चाची बोलीं, ‘हवा लगी है।’

फिर क्या करें?’ घरवालों ने पूछा।

ओझा बुलाओ। और…

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Posted on November 2, 2022 at 3:00pm — 2 Comments

संतरी(लघुकथा)

संतरी

कई पहरेदार बदले,पर हालत नहीं बदली। मंदिर के सामान गायब होते रहे। हारकर पंचायत ने काली कुतिया के जने कजरे को संतरी बहाल किया।कारण था कि कजरा रात भर में गाँव के सभी दरवाजों पर भौंक आता था। यह भी तय हुआ कि अब कुत्तों कोसंतरीकहा जाएगा। आदमी पर से भरोसा उठ चुका था।

कजरा काम पर लग गया। रातभर मंदिर के आसपास घूमता। भौंकता। गाँव भर के ‘संतरीभी भौंकते।लेकिन अब नित नई-नई शिकायतें आने लगीं।

मंदिर के…

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Posted on October 27, 2022 at 11:06am — 2 Comments

Comment Wall (7 comments)

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At 12:51pm on January 23, 2020, TEJ VEER SINGH said…

जन्म दिन की हार्दिक बधाई एवम शुभ कामनायें आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।

At 2:33pm on September 28, 2019, dandpani nahak said…
आदरणीय मनन कुमार सिंह जी आदाब बहुत शुक्रिया आपने समय निकाला और मेरा हौसला बढ़ाया मैं ह्रदय से शुक्रगुज़ार हूँ| बहुत शुक्रिया!
At 11:05pm on June 27, 2019, dandpani nahak said…
आदरणीय मनन कुमार सिंह जी बहुत शुक्रिया आपने जो हौसला बढ़ाया है
At 11:03pm on September 17, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
आदरणीय
श्री मनन कुमार सिंह जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
At 8:47pm on May 24, 2015, kanta roy said…
स्वागत आपका दोस्त
At 5:20pm on April 12, 2015, Manan Kumar singh said…
आदरणीय गोपालजी, आपकी मित्रता मेरे लिए अमूल्य है।
At 8:29pm on April 7, 2015, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

आ0 मनन जी

आपकी मित्रता मेरा गौरव है . सादर .

 
 
 

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Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय अमित जी एक और प्रयास देखिएगा सादर हमको फ़ुर्सत ही नहीं कार-ए-जहाँ से मिलती "आपके मिलने…"
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Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय महेंद्र जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
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Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय अजय जी। सादर।"
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Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत-बहुत शुक्रिया। संज्ञान ले लिया गया है। सादर।"
yesterday
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहुत-बहुत शुक्रिया सर। अगली बार पूरा प्रयास रहेगा कि निराश न करूँ। सादर।"
yesterday

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