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किसका बच्चा(लघुकथा)

किसका बच्चा

सँवरी के नाक-नक्श तीखे हैं। मुँह का पानी थोड़ा फीका पड़ा है,तो क्या? उसे दूल्हे के लिए कभी तरसना नहीं पड़ता। चढ़ती जवानी में उसे दिल्ली के दिल वाले दूल्हे का संग मिला। खूब रंगरेलियाँ हुईं।फिर उसे लगा कि उसका दूल्हा किसी और पर फिदा है।स्मृति-पटल पर वे लमहे उभरते, जब उसके हर नाज-नखरे कुबूल होते थे। अब उसे अपने भाव में कमतरी का अहसास हुआ। बिदक गई। दिल्लीवाले को चिढ़ाने के लिए उसने एक ठेंठ भोजपुरिया दूल्हा ढूँढा। उसके संग हो गई।प्यार से उसेठेंठू सरकारकहती।कुछ दिन गुजरे। फिर नए दूल्हे का ठेंठपन उसे खलने लगा। तब उसने दिल्लीवाले दूल्हे से पेंग भिड़ाना शुरू किया। दिल्लीवाला फिर रिझ गया।उसे अब सँवरीदिल्ली सरकारकहने लगी। पुनर्गठबंधन हुआ। कुछ समय चला। फिर टूटा गया। ठेंठू उसे केंचुल बदलनेवाली सर्पिणी कहता है। दिल्लीवाला उसे दबी जुबान से दगाबाज दुल्हन कह कर काम पर लग जाता है।

शादी वगैरह की रेपोर्टिंग करनेवाली खबरनबीश सँवरी से पूछती है,

सँवरी जी, आप फिर से ठेंठू के संग क्यों हो गईं?”

दिल्ली वालासरकारदिल दुखा रहा था।देता कुछ नहीं था। बस ढिंढोरा पीटता कि यह किया,तो वह किया।

पिछली बारठेंठू सरकारका साथ छोड़ने के समय आपने कहा था कि अब कभी उसके साथ नहीं जाएंगी।फिर क्या हुआ?” सवाल हुआ।

वैसा तो मैंनेदिल्ली सरकारका साथ छोड़ने के समय भी कहा था। तो क्या हुआ?’ सँवरी ने छूटते ही सवाल कर दिया।

यह तो आप बताएँगी न कि क्या हुआ?” अखबार वाली ने कुरेदा।

देखिये, यह सब होता रहता है।काम देखिये।सँवरी गुमान से बोली।

काम ही तो दिखता है।ठेंठू सरकारके संग रहते आपके जो बच्चा हुआ, उसे दिल्लीवालेसरकारअपना कहते हैं।खबरनबीश ने सूई चुभोई।

अरे, दिल्लीवाले के संग रहते हुए मेरा जो बच्चा हुआ था, उसेठेंठू सरकारभी तो अपना कहने लगा था।सँवरी ने सधा-सा जवाब दिया।

जय हो सरकार!कहती हुई खबरनबीश चलती बनी।  

"मौलिक एवं अप्रकाशित"                      

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Comment by Manan Kumar singh on November 16, 2022 at 9:21pm

आपका हार्दिक आभार आ. लक्ष्मण जी ।नमन।

Comment by
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 16, 2022 at 6:42pm

आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। राजनीति के रंगबाजों की कलई खोलती अच्छी समसामयिक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।

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