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अजय गुप्ता 'अजेय
  • Male
  • Karnal
  • India
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अजय गुप्ता 'अजेय's Discussions

कैलेंडर

नौ तारीख तक कैलेंडर न आने से असुविधा होती है। यदि पहले से निर्धारित हो और 1-2 तारीख तक कैलेंडर आ जाए तो आसानी हो जाये।उम्मीद है आयोजक इस और ध्यान देंगेContinue

Started Apr 9, 2018

 

अजय गुप्ता 'अजेय's Page

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आप से सहमत हूँ। ग़ज़ल पर उपस्थिति के लिए आपका आभार। //तू न आई तो ये जीना कहाँ आसाँ होगा // पहले ऐसा किया था। पर उसमें बात न लगी। अभी जो लिखा उससे बेहतर सोच नहीं पा रहा था। कोई सुझाव ज़रूर आएगा, ये सोच कर पोस्ट कर दिया।"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय राजेश जी, बहुत ही अलहदा अशआर और शानदार मिसरे। हर शेर के लिए विशेष दाद।"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब तरही मिसरे पर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें. सादर "
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"भाई नीलेश जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। //ये हक़ीक़त कि सफ़र जिस्म का मुश्किल ही रहाउस पे दावा कि सफ़र रूह का आसाँ होगा.// विशेष दाद"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"ऋचा जी, आपकी ग़ज़ल बहुत उम्दा लगी। क्या गिरह लगी है, बढ़िया। और पाँचवा शेर के लिए विशेष दाद।"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"भाई लक्ष्मण जी, काबिले-तारीफ़ ग़ज़ल कही है आपने। शेर-दर-शेर हुस्न चढ़ता सा लगा"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"अच्छी ग़ज़ल हुई है संजय जी। हर शेर में नयापन आया है"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"सम्माननीय भाई अनिल जी, आपकी ग़ज़ल हर बार की तरह बहुत दिलकश लगी। हर शेर उम्दा हुआ है। मक्ते ने ग़ज़ल में अलग ही जान भर दी है। //कैसी बस्ती है सभी काटने को आते हैंहमने समझा था कि घर घर यहाँ इंसाँ होगा// ज़ोरदार //जिस क़दर रोज़ ही इंसान घटे जाते हैंएक दिन…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"ग़ज़ल दिल तेरे ख़्वाब-ओ-ख़यालों से परेशाँ होगातू न आई तो ये जीना कहाँ आसाँ होगा एक दिन पाएगा गुलशन भी तुझी से ख़ुश्बूएक दिन शम'अ के घर तुझ से चराग़ाँ होगा टीस यादों की गिराती हैं यहाँ कैसा क़हरदेखना दर्द ये जब तुम पे नुमायाँ होगा छेड़ना ज़ुल्फ़ कभी…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"लक्ष्मण भाई पिछले आयोजन में यही भूल मुझसे हुई थी। तो इस संबंध में थोड़ी जानकारी जुटाई थी। वो भी OBO के पूर्व की पोस्ट्स में आदरणीय सौरभ जी द्वारा ही वर्णित है। 16-14 के विन्यास में पदांत दो गुरु से हो तो कुकुभ छंद। 16-14 के विन्यास में पदांत तीन…"
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"रचना पर उपस्थिति तथा मूल्यवान सुझावों के लिए आपका अति आभार है सौरभ जी। आपका मार्गदर्शन तथा प्रशंसा सदा प्रेरक का काम करते हैं। पुनः आभार "
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"धन्यवाद अखिलेश भाई। आपके द्वारा इंगित बिंदुओं पर शीघ्र ही कार्य करूँगा"
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"अहा, क्या नया ही स्वरूप निकाला आपने अखिलेश जी। निःसंदेह सभी को साथ लेकर चलना किसी भी दुष्कर कार्य को करने का श्रेष्ठ उपाय है। मौसम है, दम है……यह लय में है पर यहाँ गुरु-गुरु का नियम टूट रहा है। बाक़ी तो सब बहुत अच्छा लगा ही।"
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"शुक्रिया लक्ष्मण भाई "
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"प्रदत्त चित्र पर विभिन्न आयामों को उभारने का सफल प्रयास करती हुई रचना। बहुत अच्छा लिखा लक्ष्मण भाई "
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"निश्चय ही वो पठनीय और संग्रहणीय होंगें। "
Saturday

Profile Information

Gender
Male
City State
Karnal (Haryana)
Native Place
Karnal
Profession
Business
About me
ग़ज़ल, कविता, लघुकथा लेखन में रूचि, 6 स्वतंत्र काव्य संग्रह प्रकाशित, 3 ऑनलाइन पुस्तकें प्रकाशित. एक काव्य संग्रह हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से प्रकाशित. parivartaaajkal.com पर 'अजय की कलम' के शीर्षक से नियमित कॉलम

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अजय गुप्ता 'अजेय's Blog

ग़ज़ल (आदमी सी फ़ितरतें हों आदमी की)

कौशिशें इतनी सी हैं बस शायरी की 

आदमी सी फ़ितरतें हों आदमी की

हद जुनूँ की तोड़ कर की है इबादत

ख़ूँँ जलाकर अपना तेरी आरती की

गोलियों की ही धमक है हर दिशा में

और तू कहता है ग़ज़लें आशिक़ी की!

भूले-बिसरे लफ़्ज़ कुछ आये हवा में

कोई बातें कर रहा है सादगी की

इतनी लंबी हो गयी है ये अमावस

चाँद भी अब शक्ल भूला चांदनी की

बूँद मय की तुम पिलाओ वक़्ते-रुखसत

आखि़री ख्वा़हिश यही है ज़िन्दगी…

Continue

Posted on October 7, 2020 at 5:00pm — 6 Comments

ग़ज़ल (और कितनी देर तक सोयेंगें हम)

पल सुनहरी सुबह के खोयेंगें हम

और कितनी देर तक सोयेंगें हम।

रात काली तो कभी की जा चुकी

अब अँधेरा कब तलक ढोयेंगे हम।

जुगनुओं जैसा चमकना सीख लें 

रोशनी के बीज फिर बोयेंगे…

Continue

Posted on September 19, 2020 at 11:20pm — 16 Comments

एक ग़ज़ल (वैलेंटाइन डे स्पेशल)

एक ग़ज़ल।

**********

बँध गई हैं एक दिन से प्रेम की अनुभूतियाँ

बिक रही रैपर लपेटे प्रेम की अनुभूतियाँ

शाश्वत से हो गई नश्वर विदेशी चाल में

भूल बैठी स्वयं को ऐसे प्रेम की अनुभूतियाँ

प्रेम पथ पर अब विकल्पों के बिना जीवन नहीं

आज मुझ से, कल किसी से, प्रेम की अनुभूतियाँ

पाप से और पुण्य से हो कर पृथक ये सोचिए

लज्जा में लिपटी हैं क्यों ये प्रेम की अनुभूतियाँ

परवरिश बंधन में हो तो दोष किसको दीजिये

कैसे पहचानेंगे…

Continue

Posted on February 14, 2019 at 1:54pm — 4 Comments

एक ग़ज़ल (हिलता है तो लगता ज़िंदा है साया)

हिलता है तो लगता ज़िंदा है साया

लेकिन चुप है, शायद गूँगा है साया

कहने में तो है अच्छा हमराही पर

सिर्फ़ उजालों में सँग होता है साया

सूरज सर पर हो तो बिछता पाँवों में

आड़ में मेरी धूप से बचता है साया

असमंजस में हूँ मैं तुमसे ये सुनकर

अँधियारे में तुमने देखा…

Continue

Posted on February 7, 2019 at 12:38pm — 3 Comments

Comment Wall (4 comments)

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At 7:49pm on September 27, 2019, dandpani nahak said…
आदरणीय अजय गुप्ता जी आदाब बहुत बहुत शुक्रिया हौसला बढ़ाने का ग़ज़ल पसंद आयी तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आपका
At 7:46pm on August 31, 2019, dandpani nahak said…
बहुत बहुत धन्यवाद् भाई साहब अजय गुप्ता जी समय निकाल कर आपने जो मेरा हौसला बढ़ाया है बहुत शुक्रगुज़ार हूँ
At 12:56pm on May 26, 2019, dandpani nahak said…
आदरणीय अजय गुप्ता जी आदाब आपने मेरी ग़ज़ल पढ़ी उसे सराहा उसके लिए बहुत शुक्रिया
At 12:18pm on November 23, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आपका अभिनन्दन है.

ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए

 ग़ज़ल की कक्षा 

 ग़ज़ल की बातें 

 

भारतीय छंद विधान से सम्बंधित जानकारी  यहाँ उपलब्ध है

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