For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sulabh Agnihotri
Share on Facebook MySpace

Sulabh Agnihotri's Friends

  • KALPANA BHATT ('रौनक़')
  • अजय गुप्ता 'अजेय
  • khursheed khairadi
  • seemahari sharma
  • atul kushwah
  • डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव
  • वेदिका
  • Dr.Prachi Singh
  • Arun Sri
  • Aditya Kumar
 

Sulabh Agnihotri's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Kannauj, U.P.
Native Place
Kannauj
Profession
Business
About me
I am a 53 year old Businessman, Interest in Literature

Sulabh Agnihotri's Blog

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) 42

कल से आगे ..........

‘‘दोनों बाहर आओ जरा। कुछ वार्ता करनी है।’’ रावण के सो जाने पर सुमाली ने वजृमुष्टि और मारीच से कहा।

दोनों कुटिया से निकल आये। जो मंथन सुमाली के मस्तिष्क में चल रहा था वहीं इनके मस्तिष्कों में भी चल रहा था। रावण की मनस्थिति लंका के सर्वनाश की द्योतक थी। रावण की अनुपस्थिति में विष्णु के लिये उन्हें पुनः समाप्त करना बच्चों का खेल ही था। विष्णु के लिये उन पर आक्रमण करने के लिये कुबेर के साथ किया घात ही पर्याप्त कारण था। और देखो तो विष्णु की टाँग यहाँ भी अड़ी थी।…

Continue

Posted on August 4, 2016 at 9:14am

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) 41

कल से आगे ..............

सुमाली ठीक एक वर्ष बाद वहीं पहुँच गया जहाँ उसने रावण को छोड़ा था। उसके साथ मारीच और वजमुष्टि भी थे। रावण उस कुटिया में नहीं था। उन्होंने चारों ओर खोजा, थोड़ी ही दूर पर एक दूसरी कुटिया के बाहर बैठा रावण उन्हें दिख गया। वहाँ पहुँचते ही वे चैंक कर रह गये। रावण की गोद में एक छोटी से कन्या थी जो उसकी छाती में दूध खोजने की व्यर्थ प्रयास कर रही थी। सामने एक चिता जल रही थी। रावण का मुँह उतरा हुआ था जैसे उसका सब कुछ लुट गया हो। बाल बिखरे हुये, आँखें लाल जैसे कई…

Continue

Posted on August 3, 2016 at 10:07am

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) 40

कल से आगे ...........

‘‘इतनी देर लगा दी आने में ! जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती।’’ यह चन्द्रनखा थी। उसका यौवन उसके भीतर हिलोरें मार रहा था। अब वह कोई कुछ वर्ष पहले वाली अल्हढ़ बालिका नहीं रही थी, पूर्णयौवना हो गयी थी। भाइयों का अंकुश उस पर था नहीं। एक भाई वर्षों से लंका से दूर था, दूसरा महाआलसी, सदैव नशे की सनक में रहता था और तीसरे को अपने धर्म-कर्म और राज-काज से ही अवकाश नहीं था। भाभियों को उसकी गतिविधियों का पता ही नहीं चलता था, चलता भी तो वह उनका अंकुश मानने को तत्पर ही कहाँ…

Continue

Posted on August 2, 2016 at 9:43am — 2 Comments

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) 39

पूर्व से आगे .........



उसी दिन से जिस दिन वेद ने पिता ने मंगला के महामात्य जाबालि के यहाँ पढ़ने जाने की बात की थी घर में उथल-पुथल मची हुई थी। जैसा अपेक्षित था वैसा ही हुआ था, बल्कि उससे भी बुरा। उसी क्षण से अम्मा ने मंगला के हाथ पीले करने की अनिवार्यता की घोषणा कर दी थी। मंगला, वेद और उनकी भाभी तीनों ही डाँट-फटकार की आशा कर रहे थे। उनके हृदयों में कहीं एक आशा की किरण भी साँस ले रही थी कि शायद बाबा अम्मा को भी राजी कर ही लें। बाबा नाराज तो हुये थे किंतु यह समझाये जाने पर कि यह…

Continue

Posted on August 1, 2016 at 8:39am

Comment Wall (4 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 8:43pm on October 15, 2014, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

सुलभ जी

सर्वश्रेष्ठ लेखन हेतु आपको बधाई i आपकी  कलम  ऐसे ही उर्ज्वस्वित बनी रहे i सादर i

At 12:29pm on October 15, 2014,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय सुलभ अग्निहोत्री जी,
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी "ग़ज़ल" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 10:38pm on August 6, 2013,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…

सुलभ जी आपके गीत बहुत सुन्दर होते हैं| और भी गीतों की प्रतीक्षा है|

At 5:40pm on August 5, 2013, बृजेश नीरज said…

आदरणीय सुलभ जी ओबीओ पर आपका हार्दिक स्वागत है!

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service