For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 2122 2122 2


ज़िन्दगी में हर कदम तेरा सहारा हूँ
नाव हो मझधार तो तेरा किनारा हूँ

तुम भटक जाओ अगर अनजान राहों में
पथ दिखाने को तुम्हें रौशन सितारा हूँ

ज़िन्दगी का खेल खेलो तुम निडरता से
हर सफलता के लिए मैं ही इशारा हूँ

राह जीने की सही तुमको दिखाऊंगा
ज़िन्दगी के सब अनुभवों का पिटारा हूँ

साथ क्यों दूं मैं तुम्हारा सोच मत ऐसा
अंश तुम मेरे पिता मैं ही तुम्हारा हूँ

- दयाराम मेठानी
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 486

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 4, 2021 at 12:56pm

"तुम भटक जाओ अगर अनजान राहों में

  पथ दिखाने को तुम्हें रौशन सितारा हूँ"  बहुत ख़ूब। 

आदरणीय दयाराम मेठाणी जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें। सादर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 24, 2021 at 10:10pm

आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन।गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।

Comment by Dayaram Methani on November 8, 2021 at 1:38pm

आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 8, 2021 at 11:21am

आदरणीय मेथानी जी बहुतख़ूब कहा...इसके लिए हार्दिक बधाई..सादर

Comment by Dayaram Methani on November 7, 2021 at 9:42pm

आदरणीय निलेश जी, ग़ज़ल पर आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला। आपने जो सुझाव दिया है उसका भविष्य में पूरा ध्यान रखूंगा। वैसे निडरता शब्द इतना अधिक प्रचलित है कि उसका प्रयोग करते वक्त इस ओर ध्यान ही नहीं जाता। आपने मुझे इस बाबत सोचने के लिए प्रेरित किया इस हेतु हार्दिक आभार।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 7, 2021 at 7:26pm

आ. दयाराम मेठानी जी,

ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है ..बधाई स्वीकार करें..
निडरता शब्द पर आश्वस्त नहीं हो पा रहा हूँ.. वह बहुत निडर है // उस में बहुत निडरता है ..कौनसा वाक्य सही लगता है??
दरअसल महानता और निडरता को अनावश्यक रूप से ता लगाकर कहा जाने लगा है .. कहीं जावेद अख्तर साहब की भाषा पर चर्चा में यह सुना था मैंने.. मुझे सही भी प्रतीत हुआ..
अंतिम निर्णय आपका होगा..
पुन; बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। आ. नीलेश भाई ने अच्छा मार्गदर्शन किया है। इससे यह…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। यूँ तो पूरी गजल ही लाजवाब हुई है पर ये दो शेर पर अतिरिक्त बधाई…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी नमस्कार बहुत खूब ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार करें सभी शैर बहुत अच्छे…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश नूर जी, ग़ज़ल पर अपकी टिप्पणी के लिए आभार पर कुछ विस्तार से मार्ग दर्शन करते तो अच्छा…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय' जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका अपने समय दिया कुछ त्रुटियों की…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ग़ज़ल का बहुत अच्छा प्रयास है। तीन शेर 4,5, व 6 तो बहुत अच्छे लगे। बधाई…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"अंत आतंक का हुआ तो नहींखून बहना अभी रुका तो नहीं में कुछ ग़ल़त नहीं है। हुआ अपने आप में पूर्ण शब्द…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी टिप्पणी के अनुसार काफिया में कोई कमी हे तो स्पष्ट समझायें। कुछ उदाहरण…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"तौर-ए-इमदाद ये भला तो नहीं  शहर भर में अब इतना गा तो नहीं     मर्ज़ क्या है समझ…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का मतला भरपूर हुआ है। अन्य शेर आयोजन के बाद संवारे जाने की मांग कर रहे…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ दयाराम मैठानी जी। आपके द्वारा इंगित मिसरा ऐसे ही बोला जाता है अतः मैं इसे यथावत रख रहा…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. अजय जी"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service