121 22 121 22 121 22
अगर कभी जो क़रार आये झिझोड़ देना
मेरी उदासी मुझे अकेला न छोड़ देना
बिना तुम्हारे ये ज़िन्दगी अब कटेगी कैसे
जो तू नहीं तो नफ़स की डोरी भी तोड़ देना
जरा सी कोई रहे हरारत न जान बाकी
कि जाते जाते बदन हमारा निचोड़ देना
कभी हमारे ग़मों पे तुझको दुलार आये
वहीं उसी पल कतार भावों की मोड़ देना
तेरे ग़मो का उसे न होगा पता, है मुमकिन
मगर सिरा 'ब्रज' उदासियों का न जोड़…
Posted on April 7, 2021 at 10:30am — 11 Comments
1222 1222 1222 122
ग़मों की दिन-ब-दिन क़िस्मत सँवरती जा रही है
उदासी इस क़दर मुझमें उतरती जा रही है
अभी तो वक़्त है पतझर के आने में,हवा क्यों
चली ऐसी कि मन वीरान करती जा रही है
बहारों ने चमन लूटा मगर बाद-ए-सबा ये
खिज़ाओं पे हरिक इलज़ाम धरती जा रही है
Posted on March 19, 2021 at 10:30am — 14 Comments
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
ज़िन्दगी में सिर्फ़ ग़म हैं और तुम हो
आज फिर से आँखें नम हैं और तुम हो
लग रहा है अब मिलन संभव नहीं है
वक़्त से लाचार हम हैं और तुम हो
रात चुप, है चाँद तन्हा, साँस मद्धम
इश्क़ में लाखों सितम हैं और तुम हो
दिल की बस्ती में अकेला तो नहीं हूँ
नींद से बोझिल क़दम हैं और तुम हो
क्या बताऊँ किसलिये है 'ब्रज' परेशां
वस्ल के आसार कम हैं और तुम हो
(मौलिक एवं अप्रकाशित)…
Posted on February 18, 2021 at 9:30pm — 11 Comments
विधान – 27 मात्रा, 16,11 पर यति, चरणान्त में 21 लगा अनिवार्य l कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत l
ह्रदय बसाये देवी सीता
वन वन भटकें राम
लोचन लोचन अश्रु बावरे
बहते हैं अविराम
सुन चन्दा तू नीलगगन से
देख रहा संसार
किस नगरी में किस कानन में
खोया जीवन सार
हे नदिया हे गगन,समीरा
ओ दिनकर ओ धूप
तृण तृण से यूँ हाथ जोड़कर
पूछ रहे…
Posted on December 10, 2020 at 7:00pm — 8 Comments
स्वागत है आदरणीय , आपको मित्र के रूप में पाना मेरा सौभाग्य है .
आपका अभिनन्दन है.
ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए |
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