For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

dinesh solanki
  • Male
  • mhow, madhya pradesh
  • India
Share on Facebook MySpace

Dinesh solanki's Friends

  • POOJA AGARWAL
  • Shyam Narain Verma

dinesh solanki's Groups

 

dinesh solanki's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
madhy pradesh
Native Place
mhow
Profession
journalist
About me
I am a state government journalist and also i own a newspaper. I know quite a bit about photography and also have worked in a few movies. I also like to write drama.

dinesh solanki's Photos

  • Add Photos
  • View All

Dinesh solanki's Blog

सावन की कसम

सावन की कसम 

कसक  उठी मन में

तार दिल के झनझना दिये.

बारिश की फुहारों ने

तपते बदन को छू

नस नस में तूफ़ान मचा दिये.

उफ़ ! सावन के इस ग़दर ने

प्रियतम की प्यास बढ़ाकर

मस्तिष्क की तरंगों को

कई गुना शून्य लगा दिये.

अब तुम आ जाओ प्रिये

एक एक पल न गुजर रहे ,

तुम्हे सावन की कसम

जो यदि नज़र फेर चल दिये.

 

-दिनेश सोलंकी 

स्वरचित और अप्रकाशित 

Posted on August 9, 2013 at 5:00pm — 7 Comments

स्वर्ग है फिर आपका क्या काम?

स्वर्ग है फिर आपका क्या काम? 

अमरनाथ गुफा हो, बद्रीनाथ, केदारनाथ, मान सरोवर, आदि प्राकृतिक स्थल की यात्रा हो...हर व्यक्ति लौटकर एक ही जवाब देता है......क्या स्वर्ग है. क्या देव भूमि है ...समझ में नहीं आता जब वो देव भूमि है, स्वर्ग है...तो आप वहां क्यों जा रहे हैं? देवों की पवित्र भूमि पर आप धरतीवासी कदम रखकर उनकी भूमि को अपवित्र क्यों कर रहे हो? क्या वहां जाने वाले सभी शुद्ध मन, विचार के होते हैं? क्या जिंदगी में दो नंबर का धन कमाने वाले भ्रष्ट आचरण के लोग वहां जाने से परहेज करते हैं?…

Continue

Posted on July 7, 2013 at 9:22am — 6 Comments

दिल से सुन ओ भाई .... ---------------------------

दिल से सुन ओ भाई ....

---------------------------

किसी की किस्मत पर जलने वालों के

दिलों को ठंडक कहाँ मिलती है,

किस्मत के धनी को इनकी परवाह भी कहाँ होती है.

देख उस खुदा की तरफ जिसने जहाँ बनाया...

तुझे और मुझे खाली हाथ यहाँ भिजवाया.

सद-कर्म से तू मर्म और धर्म का ईमान रख

अपने पे भरोसा कर, नेकी की राह चल.

बुलंदी के रास्ते तो खुद-ब खुद खुल जायेंगे

जलता रहा गर यूँ ही अगर

मातम के दरवाज़े पीढ़ी दर पीढ़ी खुल जायेंगे.

- दिनेश

शुभ…

Posted on June 13, 2013 at 6:10am — 8 Comments

हिंदी का आम के लिए सरल उपयोग हो

प्रिय मित्रों, 

हिंदी में आम पाठकों के लिए क्लिष्ट भाषा का उपयोग नहीं होना चाहिए, ऐसा मेरा मानना है. हिंदी निश्चित ही अपार शब्दों का समंदर है जिसमे सरल से लेकर कठिन, उच्च और बौद्धिक शब्दों की भरमार है. साहित्यकारों, हिंदी प्रेमियों, हिंदी विषय के ज्ञाताओं और हिंदी का ज्ञानार्जन करने वालों के सन्मुख क्लिष्ट भाषा का उपयोग समझ आता है मगर जब आम पाठकों, श्रोताओं, दर्शकों की बात सामने आती है तब कवि को, लेखक को, नेता को, साहित्यकार को,  मीडिया को या कोई भी रचनाकार को आम जनता की मनोस्थिति,…

Continue

Posted on May 31, 2013 at 7:51am — 7 Comments

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
57 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
58 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
58 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
58 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
59 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service