For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिंदी का आम के लिए सरल उपयोग हो

प्रिय मित्रों, 

हिंदी में आम पाठकों के लिए क्लिष्ट भाषा का उपयोग नहीं होना चाहिए, ऐसा मेरा मानना है. हिंदी निश्चित ही अपार शब्दों का समंदर है जिसमे सरल से लेकर कठिन, उच्च और बौद्धिक शब्दों की भरमार है. साहित्यकारों, हिंदी प्रेमियों, हिंदी विषय के ज्ञाताओं और हिंदी का ज्ञानार्जन करने वालों के सन्मुख क्लिष्ट भाषा का उपयोग समझ आता है मगर जब आम पाठकों, श्रोताओं, दर्शकों की बात सामने आती है तब कवि को, लेखक को, नेता को, साहित्यकार को,  मीडिया को या कोई भी रचनाकार को आम जनता की मनोस्थिति, उसके बौद्धिक स्तर का भी बोध करना ज़रूरी है. अन्यथा उसकी रचना, समाचार, आचार-विचार  कितने ही महत्वपूर्ण क्यों न हो, उसका असर एक बौद्धिक समूह के अलावा किसी और पर नहीं पड़ेगा. इससे उन लोगों को भी निराशा होती है जो सुनने-पढने की चाह रखते हैं. हमारे देश में पहले ही हिंदी की दुर्दशा कम नहीं है, कठिन भाषा के उपयोग से आम आदमी दूर होता जाता है. क्षमा याचना सहित 

Views: 434

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 8, 2013 at 9:10pm

आदरणीय दिनेश सोलंकी साहब सादर,यह कहना एकदम उचित नहीं है की भाषा के कुछ शब्दों को, जिन्हें आप क्लिष्ट कह रहे हैं, निकाल बाहर किया जाए.भाषा के सभी शब्दों का उपयोग रचनाओं में होना चाहिए.हाँ सुविधा के लिए शब्दार्थ लिखे जाने की जरूरत को मैं भी महसूस करता हूँ,हम साहित्यिक रचनाओं के पतन को मात्र इस लिए स्वीकार नहीं कर सकते की उसके कुछ शब्द सभी लोगों को ठीक से समझ नहीं आ रहे. रूचि रखने वाले पाठक और श्रोता उसका अर्थ ढूंढ ही लेते हैं.यह हिंदी फिल्मो के कई गीतों के उपयोग हुए शब्दों से हम आसानी से समझ सकते हैं. मगर यहाँ मैं आदरणीय डॉ. वाजपेयी साहब के इस कथन से भी संतुष्ट नहीं हूँ की रचनाओं का शिल्प मात्र क्लिष्ट शब्दों से ही साधता है.अर्थात बोलचाल की भाषा से रचना का शिल्प साधने वाले को हम नाकाबिल कहें यह मुझे तो उचित नहीं लगा. सादर.

Comment by विजय मिश्र on June 3, 2013 at 12:14pm
भाषा सहज और सुबोध हो तथा अपनी बात कहने और समझाने में समर्थ हो ,सार्थक है.
Comment by dinesh solanki on June 3, 2013 at 10:45am

धन्यवाद ब्रजेशजी, आपको याद होगा पहले क्लास 1st  के लिए हिंदी वर्णमाला पुस्तक चला करती थी. आज इस पुस्तक का स्थान अंग्रेजी वर्णमाला ने ले लिया. हर वर्ग का व्यक्ति अपने बच्चे को इंग्लिश सिखाने के लिए इस क़दर पगला रहा है की बच्चे हिंदी में गिनती लिखना बोलना तक भूल गए. इसलिए हिंदी को बचाने के लिए ज़रूरी हैं की उसका सरलतम उपयोग होता बढ़े ताकि हर व्यक्ति आसानी से समझ सके. 

Comment by बृजेश नीरज on June 2, 2013 at 9:34am

आपने जो विचार प्रस्तुत किया है वह निश्चित ही विचारणीय है। हिन्दी को उसका मान दिलाना हम सबका दायित्व है। साहित्य में सरल भाषा को प्रयोग करने का प्रयास करना चाहिए।

मैं एक बात कहना चाहूंगा कि हमें उस मानसिकता से लड़ने की जरूरत है जिसने हिन्दी को दोयम दर्जे पर धकेल दिया है। हम सब के घरों में अंग्रेजी शब्दकोष मिल जाता है लेकिन कितने हैं जिनके घर में हिन्दी शब्दकोष है? कोई भी भाषा तब तक सम्मान नहीं पा सकती जब तक कि उसको बोलने वाले उसे बोलते हुए गौरवान्वित न महसूस करें। कितने ही हिन्दी साहित्यकार आपको अंग्रेजी में भाषण देते हुए मिल जाएंगे। हिन्दी साहित्यिक आयोजनों में मैंने बैनर और पोस्टर तक अंग्रेजी में देखे हैं। अब घर घर में मैडोना और लेडी गागा को सुना जाने लगा है। कितने हैं जो लोकगीत सुनते हैं? अंग्रेजी स्टेटस सिंबल है। हिन्दी पिछड़े होने की निशानी। यह आम लोगों की भी मानसिकता है। इससे जूझने की जरूरत है।

Comment by dinesh solanki on June 2, 2013 at 6:24am

thanx kishanji main dhany hua. 

Comment by dinesh solanki on May 31, 2013 at 9:59pm

डॉ आशुतोष जी इसमें क्षमा की कोई बात नहीं. ये तो विचारों का आदान प्रदान है. आप भी अपनी जगह सही हो सकते हैं. धन्यवाद प्रतिक्रिया के लिए 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on May 31, 2013 at 4:55pm

दिनेश जी आपकी बात में बहुत दम है किन्तु अनेक बार शैल्पिक व्यवस्था के बन्धन क्लिष्ट शब्दों के प्रयोग को विवश कर देते हैं.......और जो शिल्प का ध्यान नहीं रखते वे आपके वचन के अनुसार नियमित रूप से हिन्दी साहित्य और काव्य की दुर्दशा करने में संलग्न तो हैं ही......वे ही आपकी अपेक्षाओं पर खरे उतर सकते हैं........क्षमा प्रार्थी हूँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
yesterday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service