For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Gajendra shrotriya
  • 43, Male
  • Kota , Rajasthan
  • India
Share on Facebook MySpace

Gajendra shrotriya's Friends

  • श्याम किशोर सिंह 'करीब'
  • santosh khirwadkar
  • Mukesh Verma "Chiragh"
  • गिरिराज भंडारी
  • शिज्जु "शकूर"
  • Tilak Raj Kapoor
  • वीनस केसरी
  • Saurabh Pandey
  • योगराज प्रभाकर
  • Er. Ganesh Jee "Bagi"
 

Gajendra shrotriya's Page

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी हो गई। आपने भरपूर ग़ज़ल कही है। सादर बधाई🙏"
Saturday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छे मिसरे बाँधे हैं अजय जी। परन्तु थोड़ा सा और तराशा जाए तो सभी अशआर और ज़ियादा चमकने लगेंगे। आपकी कहन का क्षेत्र बहुत विस्तृत है, लहज़ा भी अच्छा है।बधाई स्वीकारें।"
Friday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"सजावट से रौनक बढ़ेगी भले हीबनेगा मकाँ  से  ये  घर धीरे धीरे// अच्छा शेर है! अच्छे ख़याल बाँधे है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी। लगभग सभी शेर अच्छी कहन में हैं। आदरणीय तिलक राज साहब के उपयोगी सुझावों से लाभ लेकर ग़ज़ल को और निखार लें। बहुत…"
Friday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छी ग़ज़ल कही ऋचा जी। रदीफ़ की कठिनता ग़ज़लकार से और अधिक समय और मेहनत चाहती है। सभी मिसरो को और निखारा जा सकता है।"
Friday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"सुलगता रहा इक शरर धीरे धीरेजलाता रहा वो ये घर धीरे धीरे// अच्छा मतला !! अन्य अशआर भी  अच्छे हुए हैं। मुशायरे के शुभारम्भ के लिए हार्दिक बधाई पूनम जी। "
Friday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपके पूर्वाग्रह-रहित, सहजता से दिए गए मूल्यवान सुझाव किसी भी सच्चे   रचनाकर्मी को अनुचित नहीं लग सकते आदरणीय। इस मुशायरे के सफल संचालन के लिए आपको बधाई और धन्यवाद🙏"
May 25
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"हार्दिक आभार आदरणीय।"
May 25
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"जो कुछ इस मंच से सीखा है, लिया है, उसका अंश मात्र भी लौटा सकूं तो स्वयं को धन्य मानूंगा आदरणीय। यह आँगन आत्मीयता  से परिपूर्ण वातावरण में साहित्य सृजन का अनवरत साक्षी बना रहे, बस यही कामना है।"
May 25
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"मेरे प्रयास की सराहना के लिए बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
May 25
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी सराहना और सुझाव दोनों समान रूप से स्वीकार्य है आदरणीय। स्नेहाशीष के लिए आभार।"
May 25
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"//टीस बढ़ती ही गयी, ज्यूँ ज्यूँ दवा लेता गयाउस दवा का नाम क्या था, बस तुम्हारा नाम था// बहुत ख़ूब शेर हुआ है आदरणीय ... सानी मिसरे पर तो गिरहबंदी भी की जा सकती है। "
May 25
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"सादर प्रणाम आदरणीय ! मेरी साधारण कहन को सोने के गहने पहना दिये आपने। मन प्रफ्फुलित हो गया आपका आशीष पाकर। "
May 25
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपका मुखर अनुमोदन मेरे लिए बहुत कीमती है आदरणीय तिलक राज कपूर साहब। आगे भी संजीदा प्रयास हेतु प्रतिबद्ध हूँ।सादर।"
May 25
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"हार्दिक आभार आदरणीय अजेय जी। आपकी टिप्पणी मेरे प्रयास को वांछित आश्वासन देकर आगे के लिए भी प्रेरणा दे रही है। शुक्रिया।"
May 25
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"बहुत शुक्रिया आदरणीय शिज्जू शकूर साहब। आपकी विस्तृत टिप्पणी उत्साहवर्धक और प्रेरक है।"
May 25
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपसे दाद पाकर बहुत प्रसन्नता हुई आदरणीय। आपने सटीक विश्लेषण किया है।"
May 25

Profile Information

Gender
Male
City State
kota Rajsthan
Native Place
rajsthan
Profession
Teacher at state govt. Rajasthan

Gajendra shrotriya's Photos

  • Add Photos
  • View All

Gajendra shrotriya's Blog

इक ही दिन काफ़ी नही है - ग़ज़ल

मातृ-दिवस विशेष

-----------------------------

2122/ 2122/2122/212

इक ही दिन काफ़ी नही है ममता के सम्मान को

कम पड़ेंगे सौ जनम भी, माँ तेरे गुणगान को

जो बना देती है क़ाबिल एक नन्हीं जान को

है ज़रूरत माँ कि ममता की बहुत इंसान को

लाख लानत भेजिए उस सरफिरे नादान को

माँ को खुद से दूर करके ढूँढे जो भगवान को

माँ का दिल इससे बड़ा है जिसमें तुम रहते मियाँ

नाज़ से देखो न अपने बंग्ले आलीशान…

Continue

Posted on May 12, 2019 at 12:30pm — 3 Comments

मेरी दस्तार ख़ानदानी है- ग़ज़ल

2122/1212/22

------------------------------

हार तूफ़ान से न मानी है

कश्ती ने तैरने कि ठानी है



मेरी पलकों पे ये जो पानी है

ऐ मुहब्बत तेरी निशानी है



हमने माना बहुत पुरानी है

पर बहुत ख़ूब ये कहानी है



दिल पे चस्पां है जो नही मिटती

यूूँ तेरी हर शबीह फानी है



राख मैं कर चुका तेरे ख़त को

याद लेकिन मुझे ज़बानी है



हर किसी दर पे ये नही झुकती

मेरी दस्तार ख़ानदानी है



पहली बारिश है तिफ़्ल बन…

Continue

Posted on January 9, 2019 at 11:59am — 16 Comments

चेह्रा फ़क़त हसीं न हो दिल भी हसीं रहे - तरही ग़ज़ल

221  2121 1221 212



राह- ए- बदी से हम कभी वाक़िफ़ नहीं रहे 

फिर भी तेरे निशाने पे वाइज़ हमीं रहे     

कर ग़ौर अपने तौर-तरीकों पे एक बार

चहरा फ़क़त हसीं न हो दिल भी हसीं रहे 



दिल के दियार की ज़रा रौनक बहाल हो

गर इस मकाँ में आप सा कोई मकीं रहे

कर इश्क या जगा दे तसव्वुफ़ तेरी रज़ा

ऐ दिल तेरे खिलाफ़ कभी हम नहीं रहे 



अब भी यहीं हैं फूल कली चाँद सब मगर

दिलकश तुम्हारे बाद ये उतने नहीं रहे



दिल के…

Continue

Posted on December 6, 2017 at 8:30pm — 12 Comments

दिल बड़ा अपना बनाने की ज़रूरत आज है-ग़ज़ल

2122 /2122/ 2122 /212



दिल बड़ा अपना बनाने की ज़रूरत आज है

टूटते रिश्ते बचाने की ज़रुरत आज है



प्यार जितना है जताने की ज़रूरत आज है

अपनापन खुलकर दिखाने की ज़रूरत आज है



हँसते आँगन में पसर जाए न सन्नाटा कहीं

सब गिले शिकवे भुलाने की ज़रूरत आज है



दिल के रिश्तों को ज़ुबाँ से तोड़ना मुमकिन कहाँ

अपनों को अपना बनाने की ज़रूरत आज है



घर बनाना है अगर मज़बूत फिर खुद को हमे

नींव का पत्थर बनाने की ज़रूरत आज है



अपने हक़ की बात करना… Continue

Posted on November 5, 2017 at 7:00pm — 20 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 7:22pm on April 6, 2014,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय गजेन्द्र श्रोतिया जी,
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी प्रस्तुति  ग़ज़ल ("ओबीओ लाइव तरही मुशायरा" अंक 45 में प्रस्तुत) को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |

आपको प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |


शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी

संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक 

ओपन बुक्स ऑनलाइन

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
17 hours ago
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service