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Tilak Raj Kapoor
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Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी लौटा हूं। यहां शाम है और भारत में तरही समाप्ति का समय हो चला है। प्रस्तुत ग़ज़लों पर मेरे कहे को सहजता से लिया गया, इसके लिए हृदय से आभारी हूं। तरही…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"मुश्किल में हूँ मैं मुझको बचाने के लिए आ है दोस्ती तो उसको निभाने के लिए आ 1 यही बात इन्हीं शब्दों के साथ अन्य रूप में देखें: मुश्किल में फँसी हूँ मैं, बचाने के लिये आ तू दोस्त अगर है तो निभाने के लिये आ। इस पर यह कहा जा सकता है कि दोस्ती निभाई जाती…"
Saturday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अभी समय मॉंगती है। बहुत से शेर अच्छे शेर होते-होते रह गये हैं। मेरा दृष्टिकोण प्रस्तुत है। आराम  गया  दिल का  रिझाने के लिए आ हमदम चला आ दुख वो मिटाने के लिए आ। देख लीजिये, किसी ने रिझाया तो रहा सहा आराम भी चला जायेगा। दूसरी…"
Saturday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"यूँ तो ग़ज़ल देखने में अच्छी है फिर भी मेरा दृष्टिकोण प्रस्तुत है। मुझसे है अगर प्यार जताने के लिए आ। वादे जो किए तू ने निभाने के लिए आ।। यूँ तो मतला देखने में ठीक लगता है मगर दोनों पंक्तियों का संबंध थोड़ा उलझा हुआ है। प्रथम पंक्ति में हम प्यार…"
Saturday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"तरही की ग़ज़लें अभ्यास के लिये होती हैं और यह अभ्यास बरसों चलता है तब एक मुकम्मल शायर निकलता है। आरंभ बह्र, रदीफ़ काफ़िया का निर्वाह भी काफ़ी माना जाता है मगर फिर वाक्य रचना के सिद्धान्तों से होते हुए बात कहन तक पहुँचती है।  कुछ सरल उदाहरण दे…"
Saturday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"एक बात होती है शायर से उम्मीद, दूसरी होती है उसकी व्यस्तता और तीसरी होती है प्रस्तुति में हुई कोई त्रुटि। किसी शायर को पढ़ते पढ़ते उससे उम्मीद बढ़ती जाती है लेकिन पढ़ने पर यह भी समझ आ जाता है व्यस्तता के कारण समय नहीं दिया जा सका या कोई त्रुटि…"
Saturday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी हुई। बाहर भी निकल दैर-ओ-हरम से कभी अपने भूखे को किसी रोटी खिलाने के लिए आ. दूसरी पंक्ति में शब्द स्थान परिवर्तन मात्र से प्रवाह भिन्न होता रोटी, किसी भूखे को, खिलाने के लिए आ. . इक उम्र से मैं तुझ को रिझाने में लगा हूँ //तू भी तो कभी…"
Saturday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी निबाही है आपने। मेरे विचार:  भटके हैं सभी, राह दिखाने के लिए आ इन्सान को इन्सान बनाने के लिए आ।१। * वाह, क्या खूबसूरत मतला हुआ। वाह। धरती पे तेरी देख कयामत की नजर है तू ऐसी नजर आज बुझाने के लिए आ।२। * नज़र के साथ बुझाने की बात जम…"
Saturday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी है, लेकिन कुछ बारीकियों पर ध्यान देना ज़रूरी है। बस उनकी बात है। ये तर्क-ए-तअल्लुक भी मिटाने के लिये आ मैं ग़ैर हूँ तो ग़ैर जताने के लिये आ/१ इसमें तर्क-ए-तअल्लुक को मिटाने की बात स्पष्ट नहीं हुई, तर्क-ए-तअल्लुक अपने आप में रिश्ता…"
Friday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"ये ही खाना यूँ पहनना ऐसे चलना चाहिए औरतों पर इस तरह का सुर बदलना चाहिए इसे यूँ भी कह सकते हैं कि इस तरह खाना, पहनना और चलना चाहिये औरतों पर ....... सर झुकाकर ज़ुल्म के जो साथ चलते हो सुनो (हैं सुनें) रक्त ही है गर नसों में तो उबलना चाहिए (रक्त की…"
Jul 27
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"ठोकरें खाकर नई अब राह चलना चाहिए आदमी को कर्म के सांचे में ढलना चाहिए। अनुभव से उद्भूत मार्गदर्शन लिये एक अच्छा शेर हुआ। — मेहनतकश की सदा होगी भरी झोली यहाँ, अब पसीने की महक तन पर उबलना चाहिए। इस शेर पर थोड़ा और प्रयास की आवश्यकता थी उदाहरण के…"
Jul 27
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"इस बार के तरही मिसरे के कारण कुछ ग़ज़ल प्रेमियों को आयोजन से दूर रहना पड़ा, इसका पूर्ण उत्तरदायित्व स्वीकार करते हुए इसके लिये मैं हृदय से खेद व्यक्त करता हूँ विशेषकर इसलिये कि इससे मंच की समृद्ध परंपरा और गरिमा टूटी है। इस का निराकरण समय…"
Jul 27
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"हर शेर खूबसूरत है। गिरह का शेर भी खूबसूरत हुआ, इसमें जो दोष है उसमें आपका कोई दोष नहीं, वह तो दिये गये मिसरे के कारण है। "
Jul 27
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"दोस्तों के वास्ते घर से निकलना चाहिए सिलसिला यूँ ही मुलाक़ातों का चलना चाहिए १ खूबसूरत शेर हुआ है जुदा हर एक इंसाँ शख़्सियत भी है अलग क्यों किसी के वास्ते खुद को बदलना चाहिए २ एक अच्छे शेर में शायर का चिंतन उभर कर आना चाहिये, वह बात इस शेर में है जी…"
Jul 27
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"रात से मिलने को  दिन  तो यार ढलना चाहिए खुशनुमा हो चाँद को फिर से निकलना चाहिए।१। इसकी प्रथम पंक्ति यूँ भी हो सकती है ‘रात के स्वागत में आखिर दिन तो ढलना चाहिये’। ऐसा करने से ‘यार’ शब्द की आवश्यकता नहीं रहती जो भरती…"
Jul 27
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"इसमें एडमिन की सहायता लगेगी आपको।"
Jul 27

Profile Information

Gender
Male
City State
Bhopal, MP
Native Place
Bhopal
Profession
State Govt. Service

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At 1:02pm on July 26, 2015, Santlal Karun said…

आदरणीय, सादर अभिवादन ! जन्म-दिन पर सहृदय शुभ कामनाएँ !

At 1:30am on July 26, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें....

At 12:42pm on July 20, 2015, Ravi Shukla said…

आदरणीय तिलक जी

सादर प्रणाम

ग्रजल की कक्षा में आपके लेख पढ़ रहा हूॅं बहुत सी जानकारी मिली आभार

10 आलेख के बाद मुझे और पोस्‍ट दिखाई नही दी

क्‍या वे कक्षा में उपलब्‍ध है या नही

और भी जानकारी चाहता हॅूं क्‍योंकि बह्र के बारे में अभी भी मैं मुतमईन नहीं हूँ इसकी मुझे और जानने की जरूरत है  । साथ ही कुछ आलेख में आपने जुज आदि का भी जिक्र किया था उसके बारे में भी जानना है । आशा है मार्ग दर्शन मिलेगा तो शौक को सहारा मिलेगा ।

सादर ।

At 7:43pm on January 11, 2015, Rahul Dangi Panchal said…
आदरणीय तिलक राज जी आप वे जानकारी मुझे भी भेजने का कष्ट करें तो बडी मेहरबानी होगी जो जानकारी आपने आदरणीय मिथिलेश जी को भेजने की बात की है! सादर!
मेरी ई मेल आई डी है
" panchal92rahul@gmail.com"
आपने कहा था!
"मिथिलेश जी
आप अपना ई-मेल आई डी मुझे भेज दें। मैं आपको एकजाई सभी बह्र और उनकी मुज़ाहिफ़ शक्‍लें भेज देता हूँ। "
At 9:21pm on July 26, 2014,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…


At 7:33pm on April 24, 2014, Sushil Sarna said…

आदरणीय तिलक राज जी , नमस्कार -ये आपसे मेरे प्रथम परिचय है - सर ग़ज़ल विधा में मात्राओं का वर्गीकरण मेरी समझ में नहीं आ रहा - ग़ज़ल लिखता हूँ लेकिन मात्रा भार में पिछड़ जाता हूँ - हिन्दी में लघु और गुरु समझ में आती है लेकिन ग़ज़ल में ?? आपसे अनुरोध है की मेरी प्रेषित ग़ज़ल जो निम्न प्रकार से है उसकी मात्रा/अरकान से समझा देंगे तो आपकी कृपा होगी -

आबाद हैं तन्हाईयाँ ..तेरी यादों की महक से
वो गयी न ज़बीं से .मैंने देखा बहुत बहक के
कब तलक रोकें भला बेशर्मी बहते अश्कों की
छुप सके न तीरगी में अक्स उनकी महक के
सुर्ख आँखें कह रही हैं ....बेकरारी इंतज़ार की
लो आरिज़ों पे रुक गए ..छुपे दर्द यूँ पलक के
ज़िंदा हैं हम अब तलक..... आप ही के वास्ते
रूह वरना जानती है ......सब रास्ते फलक के
बस गया है नफ़स में ....अहसास वो आपका
देखा न एक बार भी ......आपने हमें पलट के
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

At 8:50am on October 7, 2013, Abhinav Arun said…

हार्दिक स्वागत और सादर प्रणाम आदरणीय ! स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त हो यही कामना है !!

At 9:03am on July 26, 2013, लक्ष्मण रामानुज लडीवाला said…

जन्म दिन की हार्दिक शुभ कामनाए | प्रभु आपको नए आयाम स्थापित करने दिनोदिन प्रगति का 

मार्ग प्रशस्त करने में सक्षमता प्रदान करे |

At 3:30pm on June 29, 2013, Dr Babban Jee said…

परम आदरणीय निकोर एवं कपूर साहेब ........दरअसल आपने मुझे अपने अनुगृहीत किया अपनी जमात में जगह देकर / आपका आशीर्वाद बना रहे , यही एक छोटी सी चाहत है/ श्रधा के साथ

At 3:12pm on June 29, 2013, Dr Babban Jee said…

परम आदरणीय निकोर एवं कपूर साहेब ........दरअसल आपने मुझे अपने अनुगृहीत किया अपनी जमात में जगह देकर / आपका आशीर्वाद बना रहे , यही एक छोटी सी चाहत है/ श्रधा के साथ

 
 
 

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