For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Adesh Tyagi
Share on Facebook MySpace
  • Feature Blog Posts
  • Discussions
  • Events
  • Groups
  • Photos
  • Photo Albums
  • Videos
 

Adesh Tyagi's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
New Delhi
Native Place
Meerut
Profession
Police Officer
About me
A poet by heart

Comment Wall (3 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 2:02am on June 29, 2014, Nilesh Shevgaonkar said…

बहुत खूब ..वाह 

At 1:27am on June 29, 2014, Poonam Matia said…

बहुत उम्दा अशआर आदेश जी .... तरही ग़ज़ल की अवधि ख़त्म हो गयी वर्ना आप  की ग़ज़ल पे चर्चा वहीँ होती 

At 1:07am on June 29, 2014, Adesh Tyagi said…
क़फ़स में ख़ाबे-शजर के सिवा कुछ और नहीं
कि टूटे पंजा-ओ-पर के सिवा कुछ और नहीं

क़फ़स = पिंजरा
शजर = पेड़

मेरी उड़ान की चाहत है बरक़रार अभी
तमन्ना ताक़ते-पर के सिवा कुछ और नहीं

नज़र नज़र की नज़र में भी फ़र्क़ होता है
नज़रशनास, नज़र के सिवा कुछ और नहीं

नज़रशनास = दृष्टि को समझने,जानने या पढने वाला

हमें ये मील के पत्थर, ऐ राहबर, न दिखा
कि शौक़ हमको सफ़र के सिवा कुछ और नहीं

राहबर = मार्गदर्शक

तुम्हीं को देख के खोला है आज व्रत हमने
तुम्हारा चेहरा क़मर के सिवा कुछ और नहीं

क़मर = चन्द्रमा

अज़ल से ही नहीं इस फ़लसफ़े के हम क़ायल
'हयात सोज़े-जिगर के सिवा कुछ और नहीं'

ख़बर तो गर्म थी अच्छे दिनों की आमद की
ख़बर ख़बर थी, ख़बर के सिवा कुछ और नहीं

सनम ने एक भी तो इल्तिजा नहीं मानी
क्या उसके दिल में हजर के सिवा कुछ और नहीं?

सनम = पत्थर (या भगवान की) मूर्ति, प्रेमिका
हजर = पत्थर
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
54 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
55 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"ओह!  सहमत एवं संशोधित  सर हार्दिक आभार "
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"जी, सहमत हूं रचना के संबंध में।"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"शुक्रिया। लेखनी जब चल जाती है तो 'भय' भूल जाती है, भावों को शाब्दिक करती जाती है‌।…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, नए अंदाज़ की ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके संकल्प और आपकी सहमति का स्वागत है, आदरणीय रवि भाईजी.  ओबीओ अपने पुराने वरिष्ठ सदस्यों की…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपका साहित्यिक नजरिया, आदरणीय नीलेश जी, अत्यंत उदार है. आपके संकल्प का मैं अनुमोदन करता हूँ. मैं…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"जी, आदरणीय अशोक भाईजी अशोभनीय नहीं, ऐसे संवादों के लिए घिनौना शब्द सही होगा. "
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सुशील सरना जी, इन दोहों के लिए हार्दिक बधाई.  आपने इश्क के दरिया में जोरदार छलांग लगायी…"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"माननीय मंच एवं आदरणीय टीम प्रबंधन आदाब।  विगत तरही मुशायरा के दूसरे दिन निजी कारणों से यद्यपि…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"आप पहले दोहे के विषम चरण को दुरुस्त कर लें, आदरणीय सुशील सरना जी.   "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service