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Gurpreet Singh jammu
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Gurpreet Singh jammu commented on Gurpreet Singh jammu's blog post तज़मीन बर ग़ज़ल उस्ताद-ए-मोहतरम समर कबीर साहिब
"बहुत शुकिया आदरणीया रचना भाटिया जी। जी जो ग़ज़ल आप ने तज़मीन के लिए चुनी है, बहर वही रहेगी।"
Mar 11
Rachna Bhatia commented on Gurpreet Singh jammu's blog post तज़मीन बर ग़ज़ल उस्ताद-ए-मोहतरम समर कबीर साहिब
"वाह वाह वाह वाह क्या कहने आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी, बेहतरीन तज़मीन की है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें। मैंने यह विधा पहली बार पढ़ी है। आपने कहा रदीफ़ क़ाफ़िया बदल सकते हैं क्या बह्र भी बदल सकते हैं? कृपया बताएँ।सादर।"
Mar 9
Gurpreet Singh jammu commented on Gurpreet Singh jammu's blog post तज़मीन बर ग़ज़ल उस्ताद-ए-मोहतरम समर कबीर साहिब
"बहुत शुक्रिया आदरणीय समर सर जी। ओ बी ओ पर आपकी पुरानी रचनाएं पढ़ते हुए आपके द्वारा पोस्ट की गईं तज़मीन पढ़ीं तो ख़ुद तज़मीन कहने की प्रेरणा मिली। और इसके लिए आपकी ग़ज़ल से बेहतर क्या विकल्प हो सकता था।तज़मीन आपको अच्छी लगी यह जानकर तसल्ली हुई।"
Feb 27
Samar kabeer commented on Gurpreet Singh jammu's blog post तज़मीन बर ग़ज़ल उस्ताद-ए-मोहतरम समर कबीर साहिब
"जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब, नाचीज़ की ग़ज़ल पर आपने अच्छी तज़मीन कही, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें I "
Feb 26
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"सर ये दोनों ही शब्द क्यों दुरुस्त हैं। मूल शब्द क्या है। "
Feb 25
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"जी सर ठीक है जी "
Feb 25
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरनीय नादिर ख़ान जी बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने। आदरणीय अमित जी सुझाव बहुत अच्छे हैं।"
Feb 25
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"वाह आदरणीय ज़ैफ़ जी बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने।"
Feb 25
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"नमस्कार आदरणीय सुरेंद्र इंसां जी, आपके द्वारा दी गई शेर में तो रंग 21 पर और किर्या वाला रँग 2 पर लिया गया है।"
Feb 25
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"जी बहुत शुक्रिया सर जी"
Feb 25
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"लैला मजनूँ   हीर रांझा   सब  फ़ना  होते रहे इश्क़ लेकिन इस जहाँ में जाविदाँ बनता गया     वाह वाह यह शेर बहुत पसंद आया। इस खुबसुरत ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय अमित जी। "
Feb 24
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"उस की फ़रियादें अगरचे बेअसर ही थीं मगरसंग-ए-दर पर उसके माथे का निशाँ बनता गया वाह अच्छी ग़ज़ल कही आपने आदरणीय संजय शुक्ला जी। गिरह का शेर अच्छा लगा। लेकिन मतले का भाव मैं भी नहीं समझ पाया. बाकी आदरणीय समर सर ने बहुत अच्छे सुझाव दिए है."
Feb 24
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"इस अच्छी ग़ज़ल के साथ मुशायरे की शुरुआत करने के लिए आपको बहुत बधाई आदरणीय अनिल कुमार सिंह जी. गिरह का शेर बहुत अच्छा लगा. तीसरे शेर का ऊला मिसरा है रंग दी जबसे शहीदों ने ये धरती ख़ून से मेरी जानकारी के अनुसार रंग को अगर आप किसी खास रंग जैसे काला रंग के…"
Feb 24
Gurpreet Singh jammu commented on योगराज प्रभाकर's blog post वो भारत (लघुकथा)
"उफ़्फ़्फ़ क्या कहें। बहुत ही शानदार रचना"
Feb 23
Gurpreet Singh jammu commented on योगराज प्रभाकर's blog post बेग़ैरत (लघुकथा)
"आदरणीय योगराज प्रभाकर सर , OBO पर आपकी पुरानी रचनाएं पढ़ते हुए आज आपकी यह लघु कथा पढ़ी. समझ में नहीं आ रहा इस पर क्या कहूं. बस इस झंझोड़ कर रख देने वाली लघु कथा के लिए बहुत बाउट बधाई आपको।"
Feb 23
Gurpreet Singh jammu commented on Gurpreet Singh jammu's blog post ग़ज़ल
"आदरणीय अजय तिवारी जी, आदरणीय विजय निकोरे जी हालांकि बहुत देर कर दी है मैने लेकिन बहुत शुक्रिया आपका ग़ज़ल पसन्द करने के लिए"
Feb 15

Profile Information

Gender
Male
City State
Patiala Punjab
Native Place
India
Profession
Govt Employee
About me
I love to write, but dont have an ustaad so dont know the rules. Thats why i am here

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तज़मीन बर ग़ज़ल उस्ताद-ए-मोहतरम समर कबीर साहिब

221-1221-1221-122

हालाँकि किया आपने इज़हार नहीं है

ये बात समझना कोई दुश्वार नहीं है

अब छोड़िए इज़हार भी दरकार नहीं है

"ख़ामोश है लब पर कोई तकरार नहीं है

मैं जान गया हूँ तुझे इंकार नहीं है"



ये बात अलग है कि दिल-ओ-जान से चाहूँ

पाने को तुम्हें जान मैं क्या कुछ नहीं कर दूँ

ये भी है हक़ीक़त कि कभी होगा नहीं यूँ

"मैं बेच के ग़ैरत को तेरा प्यार ख़रीदूँ

इस बात पे राज़ी दिल-ए-ख़ुद्दार नहीं है"



भाती है ग़ज़ल सब को, जो भाता हो ग़ज़ल…

Continue

Posted on February 15, 2023 at 3:41pm — 5 Comments

ग़ज़ल - गुरप्रीत सिंह जम्मू

(22- 22- 22- 22)

जिसको हासिल तेरी सोहबत

क्यों चाहेगा कोई जन्नत

ऐ पत्थर तुझ में ये नज़ाकत

हां वो इक तितली की निस्बत

आप ने आंख से आंख मिलाकर

भर दी हर मंज़र में रंगत

दिल धक-धक करने से हटे तो

खोल के पढ़ लूँ मैं उनका ख़त

उसके हुस्न पे हैरां हूँ मैं

रोज ही बढ़ती जाए हैरत

मैं बिकने वालों में नहीं हूँ

यूँ तुमने कम आंकी कीमत

उसको पाना ही पाना है

कैसा मुकद्दर कौन सी…

Continue

Posted on January 29, 2023 at 5:27pm — 6 Comments

ग़ज़ल - गुरप्रीत सिंह जम्मू

22-22-22-22-22-22-22-2

उस लड़की को डेट करूँ ये मेरी पहली ख़्वाहिश है।

और ये ख़्वाहिश पूरी हो जाए बस ये दूजी विश है।

हँसना, शर्माना, भरमाना और फिर ना ना ना करना,

उस लड़की का हर इक नख़रा सचमुच कितना गर्लिश है।

मेरा बांकपना और उसकी मस्ती जब आपस में मिले,

ये जो प्यार हमारा है ये उस पल की पैदाइश है।

मेरे ख़्वाब में आना हो तो छाता लेकर आना तुम,

मेरी आँखों के ख़ित्ते में अक्सर रहती बारिश है।

क्यों न हुई वो मेरी?…

Continue

Posted on December 2, 2021 at 7:39pm — 8 Comments

ग़ज़ल - गुरप्रीत सिंह जम्मू

22-22-22-22-22-2

तुम कोई पैग़ाम कभी तो भिजवाओ।

वरना मेरे कबूतर वापिस दे जाओ।

जिसको तुमने अपने दिल से भुलाया है,

क्या ये वाजिब है खुद उसको याद आओ ?

मैने कहा जब,तुमने दिल को ज़ख़्म दिया,

वो बोले, कितना गहरा है, दिखलाओ।

जब से तुम बिछड़े हो, खुद से दूर हूं मैं,

प्लीज़ किसी दिन मुझ को मुझ से मिलवाओ।

आंखों में हैं ख्वाब भरे, पर नींद उड़ी,

गर ये प्यार नहीं तो क्या है, समझाओ।

'वो' कब के…

Continue

Posted on November 15, 2021 at 11:30am — 6 Comments

Comment Wall (3 comments)

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At 8:13pm on July 27, 2019, dandpani nahak said…
आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी आदाब , बहुत बहुत शुक्रिया
हौसला अफ़जाई का मेरे ग़ज़ल कहने का प्रयास आपको पसंद आया दिल से शुक्रगुज़ार हूँ!
At 4:55pm on August 30, 2016,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी, आप नई चर्चा आरम्भ कर सकते हैं किन्तु ग़ज़ल के सम्बन्ध में "ग़ज़ल की कक्षा" और "ग़ज़ल की बातें" में पूर्व से ही कई चर्चाएँ चल रही है. जहाँ तक मुझे लगता है उन चर्चाओं में ग़ज़ल के लगभग सभी पहलुओं पर चर्चा हुई है और सतत हो रही है. अतः जिस विषय पर चर्चा पूर्व में ही आरम्भ हो चुकी है उसे आप निरंतर कर सकते है. वहीं अपने प्रश्न भी पूछ सकते हैं. गुनीजन स्वमेव ही उत्तर के साथ वहां उपस्थित हो जायेंगे. सादर 

At 10:42pm on August 21, 2016,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आपका अभिनन्दन है.

ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए

 ग़ज़ल की कक्षा 

 ग़ज़ल की बातें 

 

भारतीय छंद विधान से सम्बंधित जानकारी  यहाँ उपलब्ध है

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