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Gurpreet Singh jammu
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Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वाह वाह आदरणीय गजेन्द्र जी, क्या ही शानदार ग़ज़ल कह दी है आपने। इस मुशायरे की बेस्ट ग़ज़लों में से एक। बहुत बढ़िया खयाल और उतनी ही परिपक्वता से उनका निबाह। बहुत खूब जी।"
May 25
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"जी सर, पाठक के तौर पर हाज़िर हूं जी।"
May 25
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"इस बार तो नहीं हो पाएगा सर जी। अगली बार जरूर शिरकत होगी"
May 25
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ने को मिली।ग़ज़ल अच्छी ग़ज़ल हुई है। आदरणीय तिलक राज सर ने बहुत अच्छे सुझाव दिए हैं"
May 25
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय अजय गुप्ता जी, आपका कहन बहुत अच्छा लगा । बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने। बेहतरी के लिए नीलेश सर के सुझावों से सहमत हूं"
May 25
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वाह वाह वाह आदरणीय नीलेश जी, क्या खूबसूरत शायरी हुई है। दूसरे शेर पर कई  सदस्यों असहमति जताई गई है और आप भी अपना पक्ष रख चुके हैं। जहां तक बाकी अशआर का सवाल है बहुत बहुत शानदार शायरी हुई है। वेदना तुम से विरह की एक पल भूले नहींकिन्तु नव…"
May 25
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वाह आदरणीय शिज्जु शकूर जी बहुत  खुबसूरत ग़ज़ल हुई है। बहुत अच्छे मयारी शेर कहे हैं आपने।"
May 25
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वाह क्या माहौल है, क्या ख़ूब चर्चा हो रही है रचनाओं पर। बहुत समय बाद ऐसा माहौल देखा ओ. बी. ओ. पर, जिसमें सभी गुणीजन अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं। मज़ा आ गया। आदरणीय सौरभ सर, नीलेश सर, तिलक राज सर, शिज्जु सर, आप सब obo के सीनियर सदस्यों ने जिस तरह…"
May 25
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसां जी"
Nov 25, 2023
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय निलेश सर जी।"
Nov 25, 2023
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"वाह आदरणीय अमीरुद्दीन जी, बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है जी"
Nov 25, 2023
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"वाह आदरणीय दिनेश कुमार जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल पेश की है आपने। मतले का जवाब नही, बहुत ख़ूब। गिरह भी बहुत बढ़िया लगाई है जी। मैं पत्ता डार से बिछड़ा हुआ हूं     यहां डार है या डाल"
Nov 25, 2023
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई। गिरहबहुत बढ़िया लगाई है जी आपने। आखरी शेर में आप जो कहना चाह रहे हैं वो भाव खुल कर नहीं आ पाया।"
Nov 25, 2023
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय अजय गुप्ता जी बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने, बहुत बधाई आपको। आदरणीय अमित जी के सुझावों से मिसरे और निखर गई हैं।"
Nov 25, 2023
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"अच्छी ग़ज़ल हुई ही आदरणीया रिचा यादव जी। गुणिजनों ने बहुत उपयुक्त सुझाव दिए हैं जी"
Nov 25, 2023
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आपका बहुत धन्यवाद आदरणीया रिचा यादव जी"
Nov 25, 2023

Profile Information

Gender
Male
City State
Patiala Punjab
Native Place
India
Profession
Govt Employee
About me
I love to write, but dont have an ustaad so dont know the rules. Thats why i am here

Gurpreet Singh jammu's Blog

तज़मीन बर ग़ज़ल उस्ताद-ए-मोहतरम समर कबीर साहिब

221-1221-1221-122

हालाँकि किया आपने इज़हार नहीं है

ये बात समझना कोई दुश्वार नहीं है

अब छोड़िए इज़हार भी दरकार नहीं है

"ख़ामोश है लब पर कोई तकरार नहीं है

मैं जान गया हूँ तुझे इंकार नहीं है"



ये बात अलग है कि दिल-ओ-जान से चाहूँ

पाने को तुम्हें जान मैं क्या कुछ नहीं कर दूँ

ये भी है हक़ीक़त कि कभी होगा नहीं यूँ

"मैं बेच के ग़ैरत को तेरा प्यार ख़रीदूँ

इस बात पे राज़ी दिल-ए-ख़ुद्दार नहीं है"



भाती है ग़ज़ल सब को, जो भाता हो ग़ज़ल…

Continue

Posted on February 15, 2023 at 3:41pm — 5 Comments

ग़ज़ल - गुरप्रीत सिंह जम्मू

(22- 22- 22- 22)

जिसको हासिल तेरी सोहबत

क्यों चाहेगा कोई जन्नत

ऐ पत्थर तुझ में ये नज़ाकत

हां वो इक तितली की निस्बत

आप ने आंख से आंख मिलाकर

भर दी हर मंज़र में रंगत

दिल धक-धक करने से हटे तो

खोल के पढ़ लूँ मैं उनका ख़त

उसके हुस्न पे हैरां हूँ मैं

रोज ही बढ़ती जाए हैरत

मैं बिकने वालों में नहीं हूँ

यूँ तुमने कम आंकी कीमत

उसको पाना ही पाना है

कैसा मुकद्दर कौन सी…

Continue

Posted on January 29, 2023 at 5:27pm — 6 Comments

ग़ज़ल - गुरप्रीत सिंह जम्मू

22-22-22-22-22-22-22-2

उस लड़की को डेट करूँ ये मेरी पहली ख़्वाहिश है।

और ये ख़्वाहिश पूरी हो जाए बस ये दूजी विश है।

हँसना, शर्माना, भरमाना और फिर ना ना ना करना,

उस लड़की का हर इक नख़रा सचमुच कितना गर्लिश है।

मेरा बांकपना और उसकी मस्ती जब आपस में मिले,

ये जो प्यार हमारा है ये उस पल की पैदाइश है।

मेरे ख़्वाब में आना हो तो छाता लेकर आना तुम,

मेरी आँखों के ख़ित्ते में अक्सर रहती बारिश है।

क्यों न हुई वो मेरी?…

Continue

Posted on December 2, 2021 at 7:39pm — 8 Comments

ग़ज़ल - गुरप्रीत सिंह जम्मू

22-22-22-22-22-2

तुम कोई पैग़ाम कभी तो भिजवाओ।

वरना मेरे कबूतर वापिस दे जाओ।

जिसको तुमने अपने दिल से भुलाया है,

क्या ये वाजिब है खुद उसको याद आओ ?

मैने कहा जब,तुमने दिल को ज़ख़्म दिया,

वो बोले, कितना गहरा है, दिखलाओ।

जब से तुम बिछड़े हो, खुद से दूर हूं मैं,

प्लीज़ किसी दिन मुझ को मुझ से मिलवाओ।

आंखों में हैं ख्वाब भरे, पर नींद उड़ी,

गर ये प्यार नहीं तो क्या है, समझाओ।

'वो' कब के…

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Posted on November 15, 2021 at 11:30am — 6 Comments

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At 4:55pm on August 30, 2016,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी, आप नई चर्चा आरम्भ कर सकते हैं किन्तु ग़ज़ल के सम्बन्ध में "ग़ज़ल की कक्षा" और "ग़ज़ल की बातें" में पूर्व से ही कई चर्चाएँ चल रही है. जहाँ तक मुझे लगता है उन चर्चाओं में ग़ज़ल के लगभग सभी पहलुओं पर चर्चा हुई है और सतत हो रही है. अतः जिस विषय पर चर्चा पूर्व में ही आरम्भ हो चुकी है उसे आप निरंतर कर सकते है. वहीं अपने प्रश्न भी पूछ सकते हैं. गुनीजन स्वमेव ही उत्तर के साथ वहां उपस्थित हो जायेंगे. सादर 

At 10:42pm on August 21, 2016,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आपका अभिनन्दन है.

ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए

 ग़ज़ल की कक्षा 

 ग़ज़ल की बातें 

 

भारतीय छंद विधान से सम्बंधित जानकारी  यहाँ उपलब्ध है

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"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
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