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देश ये महान है--घनाक्षरी// अलका ललित

घनाक्षरी में आज का प्रयास
***
चेहरा चमक रहा
बटुआ खनक रहा
सबका है मन काला
देश ये महान है

.

योजनाएं बड़ी बड़ी
बनाते है हर दिन
कैसे करना घोटाला
देश ये महान है

.

हर योजना में यहॉ
देश के खजाने पर
हुआ गड़बड़ झाला 
देश ये महान है

.

बेटियां सुबक रही
डर के दुबक रही
राम व रहीम वाला 
देश ये महान है

.

मौलिक व अप्रकाशित

Alka*

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Comment

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Comment by अलका 'कृष्णांशी' on February 7, 2017 at 4:50pm

आदरणीय Dr.Ashutosh Mishra ji  ,उत्साह वर्धक सराहना के लिए सादर धन्यवाद ।  सादर। 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on February 7, 2017 at 4:49pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी  जी  ,उत्साह वर्धक सराहना के लिए सादर धन्यवाद ।  सादर। 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 7, 2017 at 3:35pm

आदरणीया अलका जी रचना पर हार्दिक बधाई सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 6, 2017 at 6:31pm

आदरणीया अलका जी, इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on February 5, 2017 at 7:37pm

आदरणीय मुहम्मद आरिफ  जी  ,उत्साह वर्धक सराहना के लिए सादर धन्यवाद ।  सादर। 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on February 5, 2017 at 7:36pm

आदरणीय अशोक कुमार जी  ,उत्साह वर्धक सराहना के लिए सादर धन्यवाद ।  सादर।  

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on February 5, 2017 at 7:35pm

आदरणीय सौरभ सर ,आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन  के लिए सादर धन्यवाद । सुझाव अनुसार सुधार करती हूँ।  सादर।  

Comment by Mohammed Arif on February 5, 2017 at 6:44pm
आदरणीया अलका जी,आदाब! क्या ख़ूब घनाक्षरी छंद कहा है आपने । अच्छा करारा व्यंग्य है । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Ashok Kumar Raktale on February 5, 2017 at 4:11pm

वाह ! वाह ! बहुत सुंदर घनाक्षरी है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें आदरणीया अलका ललित जी. सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 5, 2017 at 1:14pm

इस सद्प्रयास केलिए हार्दिक बधाइयाँ .. 

कथ्य पर अधिक न कहूँगा, सिवा इसके कि व्यंग्य का पुट सामयिक है.

पहली पंक्ति को यों करें - 

चेहरा चमक रहा
बटुआ खनक रहा
सबका है मन काला
देश ये महान है

विश्वास है, गेयता के सापेक्ष यह सुधार अपेक्षित लग रहा होगा..

शुभ-शुभ

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