For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज के पुजारी बन बैठे भगवान ।

दुनिया में है अपना देश महान

आज के पुजारी बन बैठे भगवान ।

करुणा, दया,और धर्म से वंचित

मानवता को करते ये लज्जित

प्रभु के ऊपर खुद होते सुशोभित

कहते जग में हम सबसे विद्वान  

आज के पुजारी बन बैठे भगवान ॥

शील समाधि प्रज्ञा सबसे वंचित

सभी को पता है इनकी हकीकत

अज्ञानता से चलती है सियासत

वेद ज्ञान से विमुख ये पुरोहित

देश में चहुं दिश फैला अज्ञान

आज के पुजारी बन बैठे भगवान ॥

देव दासी प्रथा खूब थी प्रचलित

काम क्रोध लालच में सब संलिप्त 

वर्ण व्यवस्था समाज में सृजित

मेहनतकस हुआ ज्ञान से वंचित

भूख लाचारी से त्रस्त था इंसान

आज के पुजारी बन बैठे भगवान ॥

राजा के द्वारा समाज था पोषित

धरम के नाम पर जनता शोषित

ऊंच नीच से आधी जनता पीड़ित

गरीबों को लूटते हैं सभी पुरोहित

इन सबसे अंजान स्वयं भगवान 

आज के पुजारी बन बैठे भगवान ॥

ये देश में लाना चाहते मनुस्मृति

देश की प्रगति को करते बाधित

लोगों को कर रहे हैं दिग भ्रमित

ये चिकनी बातों से करते मोहित

मिटाना चाहते देश का संविधान  

आज के पुजारी बन बैठे भगवान ॥ 

काम, क्रोध, लालच दर्प से ग्रसित 

समाज में बढ़ती समता से कुंठित

अज्ञानता का राज हो रहा खंडित 

गरीबों के होते उत्थान से चिंतित

आज देश में फैला है सच्चा ज्ञान

आज के पुजारी बन बैठे भगवान ॥  

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 450

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ram Ashery on February 7, 2017 at 3:07pm

श्री मान  कबीर जी आपने मेरी रचना को सराहा इसके लिए मेरा आपको बहुत बहुत आभार स्वीकार हो 

Comment by Mohammed Arif on February 5, 2017 at 6:29pm
आदरणीय राम आश्रय जी, आदाब! अच्छा करारा व्यंग्य किया है आपने आज के तथाकथित ढोंगियों-पाखंडियों पर । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Samar kabeer on February 5, 2017 at 6:03pm
जनाब राम आश्रय जी आदाब,बहुत अच्छी लगी आपकी कविता,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Ram Ashery on February 5, 2017 at 4:03pm

आपको को बहुत बहुत आभार एवं हृदय से धन्यवाद 

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 5, 2017 at 12:07pm
बहुत सुन्दर प्रस्तुति , सारा सत्य तो शीर्षक में ही निहित है , बधाई, आदरणीय राम आसरे जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service