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क्यारी देखी फूल बिन ,माली हुआ उदास ।
कह दी मन की बात सब, जा पेड़ों के पास ॥
हिन्दी को समृद्धि करन हित, मन में जागी आस ।
गाँव गली हर शहर तक ,करना अथक प्रयास ॥
कदम बढ़ाओ सड़क पर ,मन में रख कर विश्वाश ।
मिली सफलता एक दिन ,सबकी पूरी आश ॥
सूरज चमके अम्बर में , करे तिमिर का नाश ।
अज्ञानता का भय मिटे, फैले जगत प्रकाश ॥
चंदा दमकी आसमान ,गई जगत में छाय ।
हिन्दी पहुंची जन जन में, तब बाधा मिट जाय ॥
हिन्दी हमारी ताज अब, सबको रख कर पास ।
फूटा भांडा ढोंग का ,हुआ तिमिर का नाश ॥
घनी अंधेरी राह में जब राह न दिखती होय ।
हिन्दी साथ में तब चली, राह सुगम तब होय ॥
जब हिन्दी में बात करें, तो गर्व का अनुभव होय ।
गाँव शहर परदेश में , माथा नीच न होय ॥
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण, चहुं दिश हिन्दी आज ।
जाति धर्म के बंधन मिटे, आयी समता आज ॥
दूध और पानी की तरह ,मिल गए सभी समाज ॥
पर्वत सोहे न भाल बिन, नदी बहे बिन नीर ।
देश न सोहे हिन्दी बिन , जीवन रहित शरीर ॥
ध्वज फहराए विश्व में, नभ तक जाए छाय ।
ममता जागे हृदय में , हिन्दी सभी अपनाय ॥
मौलिक एवं प्रकाशित
Posted on March 24, 2018 at 4:42pm — 5 Comments
गर बनाना चाहते हो विकसित
वतन तो करनी होगी मेहनत ।
धरम जाति की दूर करो नफरत
सब आज मिलकर संवार लो किस्मत ।
मजदूर गरीब की किस्मत खोटी
प्रजातन्त्र में भी मिलती न रोटी ।
मरता किसान फसल हुई खोटी
घर में न अन्न कैसे बने रोटी ।
कर्ज में कृषक सरकार है सोती
ललित विदेश में चुन रहा मोती ।
अज्ञान है मिटाना करो सुनिश्चित
हर बालक हो आज करो सुशिक्षित ।
बज गया बिगुल जंग होना बाकी
खत्म हुइ रात सुबह होना बाकी ।
समता समाज में आना बाकी…
Posted on March 23, 2018 at 4:00pm — 6 Comments
सुख
सुख! सुख! लोगों के जीवन में सुख है कहाँ
जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी दुखी हैं यहाँ
सुख हमारे जिंदगी में मृग तृष्णा जैसी है यहाँ
सदा हमसे दूर ही देखने में नजर आती यहाँ
अपने नेताओं को दौलत की खुशबू आती जहां
सभी अपने ईमान को बेचकर टूट पड़ते वहाँ
सभी लोग सुख खरीदने की कोशिस करते जहाँ
माँ बाप भाई बहन पैसे के आगे सब झूठे यहाँ
अपनों से लोग झूठ फरेब धोखा सब करते यहाँ
थोड़ी सुख के लिए लोग अंगारों पर चलते यहाँ
ज़िंदगी की नाव में परिवार…
Posted on January 12, 2018 at 8:00pm — 1 Comment
(माँ रमा बाई को यह कविता समर्पित )
माँ रमा बाई जी को कोटि कोटि वंदन
आओ हम सब करें फूलों से अभिनंदन
वक्त की पुकार समर्पित कर दो तन मन
ज्ञान की ज्योति से प्रकाशित करो वतन
अब समाज में समता लाकर रहेगें हम
नफरत सभी के दिलों से निकाल देगें हम
उनके अधूरे काम को अब पूरा करेगें हम
अज्ञान को संसार से मिटा कर रहेगें हम
जीवन के हर क्षण में याद रहे यह प्रण
टूटे दिलों को जोड़ एक माला बनाएँ हम
खुशियाँ सभी के राह में सदा बिछाएँ…
ContinuePosted on May 27, 2017 at 3:00pm — 2 Comments
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