For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

122 122 122 12

     

कि जब आप उनके कहाने लगे

मुझे सारे वादे बहाने लगे

 

किया चाक दिल था हमारा अभी            

महल ख्वाब का क्यूँ ढहाने लगे

 

यकीं था मुझ्र भूल जाओगे अब   

गमे याद तुम तो तहाने लगे

 

कहा था अगम एक सागर हूँ मैं

गजब है कि सागर थहाने लगे

 

चिता ठीक से जल न पाई अभी

मगर आप गंगा नहाने लगे

(मौलिक/अप्रकाशित)

Views: 653

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 6, 2017 at 12:43pm

आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर, वाह वाह, क्या खूब ग़ज़ल कही है. शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं. मतला और आखिरी शेर का जवाब नहीं. आदरणीय सौरभ सर की बात से सहमत हूँ. सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 6, 2017 at 12:21pm

आदरणीय गोपाल सर अलहदा अंदाज में लिखी इस शानदार ग़ज़ल के लिए धेर सारी बधाई स्वीकार करें ..सादर प्रणाम के साथ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 5, 2017 at 10:11pm

क्या कमाल किया है, आपने आदरणीय गोपाल नारायण जी ! देसज शब्दों के लालित्य का काफ़िया में भरपूर उपयोग किया है ! वाह वाह ! 

मैं तो मतले की बेबाकी पर ही मुग्ध हूँ. दिल से ’हरजाई’ के लिए उठती ’उफ़’ और ’आह’ को आपने शब्दों से खूब बाँधा है. बधाई.. 

लेकिन .. किया चाक दिल था हमारा अभी .. जैसे मिसरे से बचना था. शेर के मिसरे बुनावट में यों गुत्थम्गुत्था हो कर प्रस्तुत नहीं होते.  इसी तरह मुझ्र  कोई शब्द नहीं होता. यह अवश्य ही मुझे को लेकर हुई टंकण-त्रुटि है. 

बहरहाल, इस निराली ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by Samar kabeer on February 5, 2017 at 9:55pm
और जनाब 'ढहाने' या "ढाने" ?
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 5, 2017 at 9:44pm

आ० समर कबीर साहिब /आ०मो० आरिफ साहिब 

थहाना meaning in hindi


[क्रि-स.] - गहराई, गुण आदि की थाह लेना

तहाना meaning in hindi


[क्रि-स.] - किसी वस्तु को तह लगा कर रखना; तह करना; लपेटना

उक्तानुसार ही कहाना का अर्थ कहलाना है . सादर .

Comment by Mohammed Arif on February 5, 2017 at 7:02pm
आदरणीय गोपाल नारायण जी आदाब,कृपया 'कहाने','थहाने','तहाने' शब्दों के अर्थ बताने की कृपा करें ।
Comment by Samar kabeer on February 4, 2017 at 8:59pm
जनाब डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,ग़ज़ल अच्छी हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
कुछ शब्द नये नये से लगे,जैसे 'कहाने','ढहाने','तहाने','थहाने'कृपया इनके अर्थ बताने का कष्ट करें ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 3, 2017 at 11:55am

आ. भाई गोपाल नारायण जी एक अच्छी ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service