Added by Arpana Sharma on April 26, 2017 at 5:39pm — 4 Comments
लिस्ट में से नाम और पता लेकर अमर ने खुद को विजट पर जाने के लिए तैयार कर लिया मोटर साइकल स्टार्ट कर वो सलेमपुर की तरफ निकल पड़ा।
अपना प्रोग्राम उसने ऐसे तैयार किया था कि कम से कम तीन कैंसर पीड़ित मैंबर के किसी फैमली मैंबर से वह मिल सके ।
चलने से पहले लिस्ट क्रम में इक नंबर पर महिंद्र कौर के घर वालों की तरफ से दिए गए नंबर पर उसने फौन लगाया ऐसा करना इस लिए भी जरूरी था कि कोई घर मिल जाए खास करके वह आदमी…
ContinueAdded by मोहन बेगोवाल on April 25, 2017 at 5:13pm — 1 Comment
क़ैद रहा ...
वादा
अल्फ़ाज़ की क़बा में
क़ैद रहा
किरदार
लम्हों की क़बा में
क़ैद रहा
प्यार
नज़र की क़बा में
क़ैद रहा
इश्क
धड़कनों की क़बा में
क़ैद रहा
कश्ती
ढूंढती रही
किनारों को
तूफ़ां
शब् की क़बा में
क़ैद रहा
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on April 25, 2017 at 5:00pm — 11 Comments
2122 1122 1122 22/112
कितने अच्छे थे मेरा ऐब बताने वाले
वो मेरे दोस्त मुझे रस्ता दिखाने वाले
वक्त ने, काश! उन्हें रुकने दिया होता ज़रा
साथ ही छोड़ गए साथ निभाने वाले
मुफ़लिसी मक्र की छाई है सियाही अब भी
पर बताओ हैं कहाँ शम्अ जलाने वाले
अपने क़ातिल से शिकायत नहीं कोई मुझको
कर गए ग़र्क मेरी कश्ती, बचाने वाले
खूब तासीर नज़र आई मुहब्बत की यूँ
रो पड़े जाँ को मेरी फ़ैज़ उठाने वाले
एकता टूटने पाए न कभी, मसनद पर
आके बैठे…
Added by शिज्जु "शकूर" on April 25, 2017 at 11:30am — 19 Comments
एक पौधा हमने रोपा था
सात वर्ष पहले
सोचा था वह
बढेंगा , फूलेगा, फलेगा।
धीरे-धीरे
उसमें आया विकास का
बवंडर
जो हिला गया
चूल-चूल उस वृक्ष के
जिसके लिए हम सोच रहे थे
कि कैसे उसे जड़ से
उखाड़ फेंके
एक ही झटके से उखड़ कर
धराशायी हो गया
हमने चैन की सांस ली
उस तरफ देखा तो
हमारा पौधा जो
अभी नाबालिग बच्चा था
अपनी हरियाली लिए
धीरे-धीरे झूम रहा था
हमें यह देख कर प्रसन्नता हुयी
उससे आशा की…
Added by indravidyavachaspatitiwari on April 25, 2017 at 7:30am — 2 Comments
टिपर-टिपर-टिप
टिपर-टिपर-टिप
पानी की इक बूँद झूम कर
मुस्काई फिर ये बोली...
मैं अलमस्त फकीर
टिपर-टिप
मैं अलमस्त फकीर...
चंचलता जब ओस ढली तो
पत्तों नें भी जोग लिया,
उनके हिस्से जितना मद था
सब का सब ही भोग लिया,
बाँध सकी पर बूँदों को कब
कोई भी ज़ंजीर...
टिपर-टिप
मैं अलमस्त फकीर...
रिमझिम-रिमझिम जब बरसी तो
जीवन के अंकुर फूटे,
अम्बर की सौंधी पाती ने
जोड़े सब रिश्ते टूटे,
बूँदें ही…
Added by Dr.Prachi Singh on April 24, 2017 at 10:00pm — 8 Comments
2122/1122/1122/22
.
ऐसा लगता है फ़क़त ख़ार सँभाले हुए हैं,
शाख़ें, पतझड़ में भी क़िरदार सँभाले हुए हैं.
.
जिस्म क्या है मेरे बचपन की कोई गुल्लक है
ज़ह’न-ओ-दिल आज भी कलदार सँभाले हुए हैं.
.
आँधियाँ ऐसी कि सर ही न रहे शानों पर,
और हम ऐसे में दस्तार सँभाले हुए हैं.
.
वक़्त वो और था; तब जान से प्यारे थे ख़ुतूत
अब ये लगता है कि बेकार सँभाले हुए हैं.
.
टूटी कश्ती का सफ़र बीच में कुछ छोड़ गए,
और कुछ आज भी पतवार सँभाले हुए…
Added by Nilesh Shevgaonkar on April 24, 2017 at 8:59pm — 20 Comments
तेरा मेरा साथ अगर हो जाये
तो जीना मेरा पुख़्ता हो जाये
धूप कभी गर लगे जो मुझको
छांव तेरी जुल्फों का हो जाये
ना कोई वादा ना कोई कसमें
निभाते चलें बस प्यार की रस्में
सांस अधूरी धड़कन अधूरी
जब तुम ना थे तब हम अधूरे
पूरा है अब चाँद फलक पर
अब तू भी पूरा में भी पूरा।
रोहित डोबरियाल"मल्हार"
मौलिक व अप्रकाशित
Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 24, 2017 at 8:24pm — No Comments
आखिर आज शो का दिन आ ही गया| गाँव की चौपाल पर सुरीली तान छेड़ने वाला रामा बहुत घबराया हुआ था| दोस्त के कहने पर, गायकी के शो में जब चयनित होकर आया तो शहर की चकाचौंध देखता रह गया था| होटल के ए सी रूम में उसकी आवाज़ भी बंद हो गयी|
साथी प्रतियोगियों के लिए अजूबा सा रामा, हीन महसूस करता| बस खुसुर-पुसुर और व्यंगात्मक हँसी| लज्जित, अपमानित होकर मन हीनता के बोध से मुरझा-सा गया| उच्चारण और सुर के लिए जो बातें बताई गईं, समझ से परे थीं| बालों का स्टाइल बनाकर, डिजाइनर कपड़े पहनाए गए| असहज हो…
ContinueAdded by Seema Mishra on April 24, 2017 at 5:09pm — 8 Comments
हार गई जिंदगी
चार दिन से ऋचा ड्यूटी पर नहीं जा रही थी, बुखार के साथ शरीर में लाल्गी आने से परेशानी और बढ़ गई थी जिस कारण अब बिस्तर से उठकर चलना भी मुश्किल हो रहा था।
प्रशिक्षण दौरान पढ़ाया गया था कि अगर माता रानी की क्रोपी बढ़ी ऊम्र में हो जाए तो रोग जानलेवा भी हो सकता है ।
यह बात वह पति परमेशर कई बार बता चुकी थी, लेकिन अभी तक कोई जवाब उसके द्वारा नहीं मिल रहा था इक बार ऋचा ने कहा कि वह माँ के घर जा आती है, लेकिन सासू माँ ने इनकार कर दिया…
ContinueAdded by मोहन बेगोवाल on April 24, 2017 at 5:00pm — 1 Comment
पांच मिनट के लिए स्टेशन पर गाड़ी रुकी जनरल बोगी में पहले ही बहुत भीड़ थी उसपर बहुत से लोग और घुस आये जिनमे सजे धजे परफ्यूम की सुगंध बिखेरते चार किन्नर भी थे| कुछ लोगों के चेहरे पर अजीब सी मुस्कान आ गई जैसे की कोई मनोरंजन का सामान देख लिया हो कुछ लोगों ने अजीब सा मुंह बनाया तथा एक साइड को खिसक लिए जैसे की कोई छूत की बीमारी वाले आस- पास आ गए हों|
“अब ये अपने धंधे पर लगेंगे” वहाँ बैठे लडकों के ग्रुप में से एक ने कहा| “हाँ यार आज कल तो ट्रेन में भी आराम से सफ़र नहीं कर सकते अच्छी…
ContinueAdded by rajesh kumari on April 24, 2017 at 12:08pm — 26 Comments
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 23, 2017 at 4:30pm — 18 Comments
2122 1212 22 /112
मेरी साँसें रवाँ - दवाँ कर दे
फिर लगे दूर आसमाँ कर दे
प्यासे दोनों तरफ़ हैं , खाई के
है कोई.. ? खाई जो कुआँ कर दे
वो ठिकाना जहाँ उजाला हो
सब की ख़ातिर उसे अयाँ कर दे
दुश्मनी घुट के मर न जाये कहीं
आ मेरे सामने , बयाँ कर दे
ऐ ख़ुदा, क्या नहीं है बस में तिरे
हिन्दी- उर्दू को एक जाँ कर दे
कैसे देखूँगा मै ये जंग ए अदब
मेरी आँखे धुआँ धुआँ कर…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on April 23, 2017 at 11:11am — 23 Comments
तू ही तो मेरा अपना है
लगता यह इक सपना है
कहता मेरा पागल दिल
बस तेरे लिए धड़कना है
ना मेरे दिल ना मेरे में कोई बुराई है
लगता है किस्मत में ही जुदाई है
चल दिल भी तेरा मैं भी तेरा
यह सपना तू कर दे बस पूरा
अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फ़ेंको,
इस दिल में बड़ी गहराई है
अब अकेला हूँ मैं यारों ….
बस साथ मेरी तन्हाई है
बस साथ मेरी तन्हाई है
"मल्हार"
मौलिक व अप्रकाशित
Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 22, 2017 at 9:06pm — 4 Comments
बेशर्मी से ... (क्षणिका )
अन्धकार
चीख उठा
स्पर्शों के चरम
गंधहीन हो गए
जब
पवन की थपकी से
इक दिया
बुझते बुझते
बेशर्मी से
जल उठा
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on April 22, 2017 at 8:49pm — 11 Comments
Added by Dr Ashutosh Mishra on April 22, 2017 at 5:51pm — 10 Comments
फाइलुन -फाइलुन-फाइलुन-फाइलुन
वक़्ते तन्हाई मेरा गुज़र जाएगा |
तू अगर साथ शब भर ठहर जाएगा |
मुझको इज़ने तबस्सुम अगऱ मिल गई
तेरा मगरूर चेहरा उतर जाएगा |
मालो दौलत नहीं सिर्फ़ आमाल हैं
हश्र में जिनको लेकर बशर जाएगा |
उसके वादों पे कोई न करना यक़ी
वो सियासी बशर है मुकर जाएगा |
देखिए तो मिलाकर किसी से नज़र
खुद बखुद ही निकल दिल से डर जाएगा |
आप खंजर का एहसान लेते है…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on April 22, 2017 at 12:00pm — 13 Comments
नज़र से मेरी नज़र जो मिली तेरी
दिल की धड़कनें कुछ यूँ बढ़ी मेरी
ये दिल जो हो गया है अब तेरा
तू ही बता क्या कसूर इस में मेरा
गा रहा ये दिल तराने अब तेरे
बज रहा हो सितार जैसे दिल में मेरे
ख्यालों में डूबा हूं इस कदर अब तेरे
दिन गये चैन-ओ-सुकून वाले अब मेरे
बेवफ़ाई जो कर गयी नज़रें तेरी
किस्मत ही मुकर गयी जैसे मेरी
तुझे न पा सकूँ तो मेरी क्या कमी है
बस आँखों में जिंदगी भर की नमी है
मेरे दिल…
ContinueAdded by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 21, 2017 at 11:30pm — 2 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on April 21, 2017 at 10:00pm — 5 Comments
2122 1212 22
उसके चेहरे पे कुछ लिखा होगा ।
पढ़ने वालों ने पढ़ लिया होगा ।।
यूँ…
Added by Naveen Mani Tripathi on April 21, 2017 at 10:00am — 8 Comments
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