For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल(यहीं डूब जाने को जी चाहता है )

ग़ज़ल
--------
(फऊलन-फऊलन -फऊलन -फऊलन )

लगी को बुझाने को जी चाहता है |
तुम्हें कब से पाने को जी चाहता है |

यक़ीनन बड़ी मुज़त् रिब है शबे ग़म
मगर मुस्कराने को जी चाहता है |

समुंदर से गहरी हैं आँखें तुम्हारी
यहीं डूब जाने को जी चाहता है |

तेरे नाम में भी बहुत है हलावत
इसे लब पे लाने को जी चाहता है |

तेरे अहदे माज़ी से वाक़िफ़ हैं फिर भी
नयी चोट खाने को जी चाहता है |

मुसलसल मेरा इम्तहाँ लेने वाले
तुझे आज़माने को जी चाहता है |

मुझे याद तस्दीक़ आते हैं जब वो
ग़ज़ल गुनगुनाने को जी चाहता है |


मुज़त्रिब-----बेक़रार
हलावत------मिठास
माज़ी ---गुज़रा हुआ
(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 755

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on May 15, 2017 at 12:05pm

तेरे अहदे माज़ी से वाक़िफ़ हैं फिर भी, नयी चोट खाने को जी चाहता है.. बहुत ख़ूब आदरणीय तस्दीक जी. इस उम्दा ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए. सादर. 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 8, 2017 at 2:28pm
मुहतरम जनाब रवि साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहूत बहुत शुक्रिया
Comment by Ravi Shukla on May 8, 2017 at 10:01am

आदरणीय तस्‍दीक साहब बहुत बढि़या गजल कही है आपने हर शेर पर वाह वाह । दिली दाद और मुबारक बाद पेश है

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 6, 2017 at 10:38pm
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Samar kabeer on May 6, 2017 at 9:42pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 6, 2017 at 5:57am
जनाब ब्रजेश कुमार साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 5, 2017 at 11:48pm
खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय हार्दिक बधाई
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 5, 2017 at 10:00pm
मुहतरम जनाब अनुराग साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 5, 2017 at 9:58pm
मुहतरम जनाब गिरिराज साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 5, 2017 at 8:15pm

आदरनीय तस्दीक भाई , खूबसूरत गज़ल के लिये आपक बधाइयाँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service