For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (19,141)

हाथ मिलाते रहिये

दिल मिले या ना मिले हाथ मिलाते रहिये,

प्यार की रस्म को आगे बढ़ाते रहिये |



अंधेरों मे ही ना गुजर जाय जीवन का सफ़र,

प्यार की शमा को दिल मे जलाते रहिये |



रहता यूँ चमन मे बिजलियों के गिरने का डर,

चाहत के फूलों को दिल मे खिलाते रहिये |



रोने गाने मे हो ना जाएँ सारी उमर तमाम,

उलफत के जाम को खुद पीकर पिलाते रहिये |



चले है जब तो मिल ही जाएगी मंज़िल हमको

अलबिदा कहते हुए हाथ हिलाते रहिये |

  • Dr.Ajay Khare…
Continue

Added by Dr.Ajay Khare on January 10, 2013 at 2:30pm — 3 Comments

प्रहार

प्रहार 

दहक उठे अंगारे धरती हुई रक्त से फिर पग पग  लाल 

जूझ पड़े वीर बाँकुरे झुके नहीं हँस  कटा दिए निज भाल
माँ  के लहराते आँचल में कायर  अरि  कंटक नित फंसाते 
धन्य है  भारत वीर भूमि जहाँ  बलिदानी पलकन चुनते जाते 
अरि मर्दन करने को खड़े रहते सीमा  पर प्रहरी  सीना  ताने 
हर बार लड़े  हर बार मिटे…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 10, 2013 at 2:01pm — 6 Comments

मुक्तिका: क्या कहूँ?... संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:

संजीव 'सलिल'

*

क्या कहूँ कुछ कहा नहीं जाता.

बिन कहे भी रहा नहीं जाता..



काट गर्दन कभी सियासत की

मौन हो अब दहा नहीं जाता..



ऐ ख़ुदा! अश्क ये पत्थर कर दे,

ऐसे बेबस बहा नहीं जाता.



सब्र की चादरें जला दो सब.

ज़ुल्म को अब तहा नहीं जाता..



हाय! मुँह में जुबान रखता हूँ.

सत्य फिर भी कहा नहीं जाता..



देख नापाक हरकतें जड़ हूँ.

कैसे कह दूं ढहा नहीं जाता??



सर न हद से अधिक उठाना तुम…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on January 10, 2013 at 10:30am — 5 Comments

मुक्तिका : संजीव 'सलिल'

मुक्तिका :

नया आज इतिहास लिखें हम

संजीव 'सलिल'


*

नया आज इतिहास लिखें हम.

गम में लब पर हास लिखें हम..



दुराचार के कारक हैं जो

उनकी किस्मत त्रास लिखें हम..



अनुशासन को मालिक मानें

मनमानी को दास लिखें हम..



ना देवी, ना भोग्या मानें

नर-नारी सम, लास लिखें हम..



कल की कल को आज धरोहर

कल न बनें, कल आस लिखें हम..

(कल = गत / आगत / यंत्र / शांति)



नेता-अफसर सेवक…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on January 10, 2013 at 10:00am — 4 Comments

कट गई है लहर

                           कट  गई  है  लहर

            जाने क्यूँ कुछ ऐसा-ऐसा लगता है

            कि  जैसे  कट  गई  लहर  नदी  से,

            वापस न लौट सकी है,

            और ज़िन्दगी इस कटी लहर में धीरे-धीरे

            तनहा  तिनके  की  तरह …

Continue

Added by vijay nikore on January 9, 2013 at 6:00pm — 7 Comments

कभी तो पास में आकर सदा सुनो दिल की

==========ग़ज़ल===========

कभी तो पास में आकर सदा सुनो दिल की
ज़रा सी चाह और ये इल्तजा सुनो दिल की

कहीं भी आप रहो हो न कोई दर्दो गम
जुबाँ से मेरे निकलती दुआ सुनो दिल की

छलक गए है जो प्याले निगाह मिलते ही
यूँ ले रही है नज़र क्या रजा सुनो दिल की

ग़ज़ब हुनर जो लिए खेलते हो तुम दिल से
कभी कभी ही सही बेबफा सुनो दिल की

अगर मगर तो हमेशा बजूद में होगा
कभी तो "दीप" यूँ ही बेवजा सुनो दिल की

संदीप पटेल"दीप"

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on January 9, 2013 at 4:27pm — 7 Comments

दामिनी के नाम

आदिकाल से नारी स्वयं में है पहचान,
क्यों कर अबला बनी है सर्वशक्तिमान,
दुर्गा अहिल्या शबरी सावित्री रूप भाता,
दुष्ट दलन श्रृष्टि कर्ता दुःख भंजन माता,
बहना बेटी भार्या बन परिवार में आती,
उड़ेल स्नेह कई रूपों में संस्कार जगाती,
धरती सा सीना इसका वात्सल्य की मूर्ति,
त्याग समर्पण स्नेह से करती इच्छा पूर्ति,
नाहक पुरूष पुरुषार्थ दिखाते लज्जा न आती,
न कोई और रिश्ता हो ये माता तो कहलाती|

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
९-१-२०१३

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 9, 2013 at 4:00pm — 10 Comments

सुन ले कायर पाकिस्तान

सुन ले कायर पाकिस्तान

नहीं झुकेगा हिन्दुस्तान



बात से पहले समझायेंगे

तुम क्या हो ये बतलायेंगे

भारत के वीरों का गहना 

संयम शांति जतलायेंगे 



अगर समझ फिर भी न पाया 

मारें थप्पड़ खींचें कान ....................... 



गीदड़ की न चाल चलो तुम 

छुप छुप कर न वार करो तुम 

शेरों से लड़ने के खातिर

कुछ हाथी तैयार करो तुम 



बच्चा बच्चा वीर यहाँ का

हमको है खुद पर अभिमान .................................



घुसपैठी को आज तजो…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on January 9, 2013 at 3:54pm — 7 Comments

गीत

हँस-हँस कर करते हैं आँसू ,सुख दुःख का व्यापार ,

बाहर वाली चौखट दुखती , चुभते वन्दनवार !!



मुरझाकर भी हर पल सुरभित ,पात-पात साँसों का,

मन को मजबूती देता है ,संबल कुछ यादों का !

क्षण भर हँसता,बहुत रुलाता,कुछ अपनों का प्यार ,

सारी उमर बिता कर पाया,यह अद्भुत उपहार ..!!



सिहरन नस-नस में दौड़े जब,हाँथ हवा गह जाती,

गुजरी एक जवानी छोटी, बड़ी कहानी गाती !

यूँ तो गँवा चुके हैं अपनी,सज धज सब श्रृंगार ,

है अभिमान अभी तक करता,नभ झुककर सत्कार…

Continue

Added by भावना तिवारी on January 9, 2013 at 2:00pm — 8 Comments

दोहा सलिला: गले मिले दोहा यमक

दोहा सलिला:

गले मिले दोहा यमक

संजीव 'सलिल'

*

मनहर ने मन हर लिया, दिलवर दिल वर मौन.

पूछ रहा चितचोर! चित, चोर कहाँ है कौन??

*

देख रही थी मछलियाँ, मगर मगर था दूर.

रखा कलेजा पेड़ पर, कह भागा लंगूर..

*

कर वट को सादर नमन, वट सावित्री पर्व.

करवट ले फिर सो रहे, थामे हाथ सगर्व..

*

शतदल के शत दल खुले, भ्रमर करे रस-पान.

बंद हुए शतदल भ्रमर, मग्न करे गुण-गान..

*

सर हद के भीतर रखें, सरहद करें न पार.

नत सर गम की गाइये,…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on January 9, 2013 at 11:30am — 6 Comments

इंतज़ार ..

इन दिनों 

जैसे ही सूरज 
झील में पनाह लेता है 
पंछियों के झुण्ड 
और भेड़ों की रेवड़ 
अपने अपने घर 
कुछ जल्दी लौटती है 
........
सांवली सी 
कोमल 
स्निग्ध शाम  
पहाड़ों की सीढ़ियों पर 
पैर जमाये 
धीरे से  उतरती है 
कितने लम्हे 
कोहरे की चादर लपेटे  
सामने ठहरते हैं 
तुम्हारी एक  पुकार के 
इंतज़ार…
Continue

Added by rajluxmi sharma on January 9, 2013 at 8:15am — 10 Comments

नर्म से अहसास बन लें

हर तरफ हैं रंग कितने 

आओ चुन लें 

 

भाव के मोती बिछे हैं…

Continue

Added by seema agrawal on January 9, 2013 at 7:32am — 12 Comments

" खुशकर "

जिस तरह दिनकर चमकता
व्योम में,
अलविदा कहता निशा को,
बादलों के झुण्ड को
पीछे धकेले ।

काश होता एक सूरज
ख़ुशी का भी ।

कोई तापता धूप सुबह की,
कोई बिस्तर डाल देता दोपहर के घाम में ।
खुशनुमा गरमी भी होती
कम व ज्यादा,
पूष से ज्येष्ठ तक ।
और पसीना भी निकलता,
इत्र सा ।

काश कल्पा हो उठे साकार,
एक 'खुशकर' हो भी जाये
दिवाकर सा ।।

Added by आशीष नैथानी 'सलिल' on January 8, 2013 at 7:30pm — 6 Comments

भौंरों के गुंजार से भी उठ रहा गहरा धुआं

पिंजड़े होकर सजग
देखते हैं आड़ से
धातुमय आवेग ताने
बढ़ रहा क्‍या भार से
एकरंगी ताल-पोखर
सांवली परछाईयां…
Continue

Added by राजेश 'मृदु' on January 8, 2013 at 11:30am — 4 Comments

ज़ख्म चेहरे से दिखाना दर्द की है ज़िद पुरानी ............

जब हुई रुसवा तरन्नुम से ग़ज़ल इस ज़िन्दगी की 

आंसुयों ने नज़्म लिखी रख दिया उनवान पानी 



आइनों से शर्त रख दी मुस्कराहट की लबों पे 

इसलिए झूठी ग़मों की कर रहा मैं तर्जुमानी 



और भी अब बढ गयी दुश्वारियां मेरे सफ़र की 

पत्थरों को ढूँढती फिरती मेरी किस्मत दीवानी 



गर ये नादाँ सब्र होती तो मुनासिब था "अजय" …

Continue

Added by ajay sharma on January 7, 2013 at 11:00pm — 3 Comments

इस आसमान पर अधिकार तुम्हारा भी है...

ईश की अनुपम कृति मानव

और उसकी जननी तुम

फिर क्यों हो प्रताड़ित , अपमानित

पराधीन, मूक , गुमसुम ?

खुश होना तो कोई पाप नहीं

मुस्कुराने की इच्छा स्वार्थ नहीं!

नए विचारों की उड़ान भरो

शिक्षा का स्वागत करो !

जीवन न जाय व्यर्थ यूँ ही...

सदियों के बंधन से मुक्ति चाहिए ?

विद्रोह तो होगा, न घबराओ

निर्भय बनो, मानसिक सबलता लाओ !

रात बहुत गहरी हो चुकी

भोर का संदेसा दे चुकी !

मुस्कुराओ, पंख फैलाओ

उड़ने को तैयार हो जाओ

क्योंकि

इस आसमान पर…

Continue

Added by Anwesha Anjushree on January 7, 2013 at 6:00pm — 5 Comments

संकल्प

हाईकू (१७ वर्ण, ५,७,५.)

भारतवर्ष

नारी देवी रुप है,

देवों में आस्था.

...........

तुम युवा हो,

माताएं व्यथित हैं,

सोना मना है,

..............

यौन शोषण,

सब संकल्प करें,

अब फांसी दो.

...........

पुलिस हा हा..

नारी असुरक्षित,

सब सुधरें.

..........

सभ्य समाज,

यह भी संभव है,

प्रण कर लें.

...............

बीता बरस,

युवा जाग गया है,

उम्मीद…

Continue

Added by Ashok Kumar Raktale on January 6, 2013 at 7:00pm — 9 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
रे मन करना आज सृजन वो / डॉ. प्राची

रे मन करना आज सृजन वो

भव सागर जो पार करा दे l

निश्छल प्रण से, शून्य स्मरण से

मूरत गढ़ना मृदु सिंचन से,

भाव महक हो चन्दन चन्दन

जो सोया चैतन्य जगा दे l

रे मन करना आज सृजन वो

भव सागर…

Continue

Added by Dr.Prachi Singh on January 6, 2013 at 11:00am — 59 Comments

मैंने कुछ पंख जोड़ रखे हैं

मैंने कुछ पंख जोड़ रखे हैं 

कुछ रंगीन कुछ बदरंगे हैं

ज़रा हलके से हैं ये थोडे से 

फूलों के संग ही मोड़ रखे हैं



मेरे पंखों में खुशबू फूलों की

उड़ेंगे संग में सुरभि की तरह

मन की उड़ान से अब क्या होगा

सच में उड़ना है बोल सच्चे हैं

कोई कहता है ज्ञान सागर है 

मगर चिंतन में डुबकियां ही नहीं

कोई उड़ता है हवा बाजों सा

कहीं बैसाखियों…

Continue

Added by SUMAN MISHRA on January 5, 2013 at 11:30pm — 2 Comments

वो दिन कितने प्यारे थे

वो दिन कितने प्यारे थे

गाँव गाँव और

शहर शहर में 

प्रेम पगे गलियारे थे ......

स्वार्थ नहीं

इक अपनापन था

परहित में

जीवन-यापन था

अमन चैन के

रंग में रंगे 

आलोकिक भुनसारे थे ..........

कोई बुराई

नहीं करता था 

अविश्वास

सदा मरता था 

दोस्त दोस्त से

आस लगाये 

राग द्वेष अंधियारे थे ............

इक होती थी

सबकी राय

कोई अपनी

नहीं चलाय

संग में

जब तब 

होती मस्ती …

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on January 5, 2013 at 3:30pm — 6 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार बहुत खेद है पहली बार ये गलती हुई मुझसे सादर एक कोशिश की है__ सादर चोट पहले…"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सुधार और बेहतरी की पुनः कोशिश करूंगी सादर"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार अच्छे मतले के साथ ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश जी नमस्कार बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय जयहिंद जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए  गुनीजनों की टिप्पणी…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। सुझाव के बाद अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल में गिरह का शेर रह गया। "
13 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई। "
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service