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उमड़ते विचार ..

टूटती सी ताल है ,भेड़िये की खाल है ..
चीख भी न सुन सके ,कानों का ये हाल है।।
बात तो तपाक सी ,गंदली नापाक सी ..
रोम रोम जल उठे ,'तीन पात ढाक' सी ..
गंगा निर्मल कहाँ ,प्रण में अब बल कहाँ ..
स्वच्छ जलधार हो ,कोई भी हल कहाँ?
स्वदेश है पुकारता ,स्वजनों से हारता ,
हिन्द के लिए कहाँ ,स्वयं कोई वारता ?
कुर्सी में गोंद है, उठना मोहाल है
मोटी सी तोंद है,गीदड़ सा हाल है ..
किसको पुकारते,किस पथ निहारते ?
अपनों पे घात को ,चुप से स्वीकारते ..
कोई परिवर्तन हो,कभी आत्म मंथन हो ..
सत्य ह्रदय में जागे ,पुनः हिन्द वंदन हो ..

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Comment

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Comment by Lata R.Ojha on January 17, 2013 at 2:32am

 Rajesh kumari ji बहुत बहुत धन्यवाद आप का :)


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 14, 2013 at 8:43am

इस खूबसूरत प्रवाह युक्त समसामयिक रचना हेतु बहुत बहुत बधाई लता जी 

Comment by Lata R.Ojha on January 14, 2013 at 3:15am

Er. Ganesh Jee "Bagi  ji, SANDEEP KUMAR PATEL ji , Saurabh Pandey ji  और   PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA ji बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का  !

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 13, 2013 at 4:21pm

कोई परिवर्तन हो,कभी आत्म मंथन हो ..
सत्य ह्रदय में जागे ,पुनः हिन्द वंदन हो

आदरणीया लाता जी सादर 

बहुत बढ़िया बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 13, 2013 at 3:54pm

अंतरगेयता से पगी इस कविता के लिए हृदय से धन्यवाद, आदरणीया लता जी.एक अरसे बाद आपको इन पन्नों में देखना सुखद लगा.

इन पंक्तियों के लिए विशेष बधाई स्वीकार करें -

स्वदेश है पुकारता ,स्वजनों से हारता ,
हिन्द के लिए कहाँ ,स्वयं कोई वारता ?

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 13, 2013 at 10:06am

सच कहा
ये उमड़ते विचार हर किसी के मन में लोट रहे हैं
लेकिन ये सब कुछ लोग व्यक्त करते हैं
कुछ नहीं
बधाई हो


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 12, 2013 at 8:14pm

//कोई परिवर्तन हो,कभी आत्म मंथन हो ..
सत्य ह्रदय में जागे ,पुनः हिन्द वंदन हो ..//

प्रत्येक भारतीय के दिल की बात कह दी है आपने, अच्छी रचना आदरणीया लता जी, बधाई हो |

Comment by Lata R.Ojha on January 12, 2013 at 7:06pm
Comment by अरुन 'अनन्त' on January 12, 2013 at 11:06am

आदरणीया बेहद मार्मिक प्रस्तुति, समाज में हर दिन बढ़ती बुराइयों का सुन्दर विवरण, हार्दिक बधाई .

Comment by सूबे सिंह सुजान on January 12, 2013 at 11:03am

aatma manthan jaroor ho.......

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