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Lata R.Ojha's Blog (58)

ख़ाक में मिल जाएगा..

कोई कितना चाह ले , शक्ति से क्या वो जीतेगा
शक्ति का एक मौन भी ,उसपर कहर सा बीतेगा
तोड़ क्या पाएगा कोई शक्ति का फिर हौसला
पूज के शक्ति स्वरूपा क्या वो अब बच पाएगा ?
अपने पैरों पर कुल्हाड़ी खुद ही उसने मार ली
घाव अब नासूर होगा कब तलाक सह पाएगा
कब्र में हों पैर जिसके ,आग से है खेलता
कोई क्या काँधे चढ़ेगा ,स्वयं चित में जल जाएगा
दम्भी अभिमानी का दम्भ ,ख़ाक में मिल जाएगा

  मौलिक / अप्रकाशित

Added by Lata R.Ojha on April 12, 2014 at 10:30am — 4 Comments

कुछ ख़ास लिए आई होली

कुछ ख़ास लिए आई होली 

मौसम भी अब रुख बदल रहा 
कभी सर्द  लगा , कभी गर्म रहा 
बेमन सा सब ,बेस्वाद हुआ 
चलते चलते ज्यों ठिठक रहा 
ऐसे में रंग को संग लिए 
उत्साह लिए आई होली ..
दुर्भाव गया ,न भेद रहा 
न क्रोध रहा ,न खेद रहा 
शत्रु भी मिल कर मित्र…
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Added by Lata R.Ojha on March 24, 2013 at 11:30pm — 9 Comments

उमड़ते विचार ..

टूटती सी ताल है ,भेड़िये की खाल है ..

चीख भी न सुन सके ,कानों का ये हाल है।।

बात तो तपाक सी ,गंदली नापाक सी ..

रोम रोम जल उठे ,'तीन पात ढाक' सी ..

गंगा निर्मल कहाँ ,प्रण में अब बल कहाँ ..

स्वच्छ जलधार हो ,कोई भी हल कहाँ?

स्वदेश है पुकारता ,स्वजनों से हारता ,

हिन्द के लिए कहाँ ,स्वयं कोई वारता ?

कुर्सी में गोंद है, उठना मोहाल है …

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Added by Lata R.Ojha on January 12, 2013 at 3:00am — 10 Comments

'दरख़्त'



ताबूत  बनाते  हैं  दरख्तों  से   

या  'दरख़्त' को  कब्र  हैं देते ..

किसी  का  तो  जनाज़ा  है …

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Added by Lata R.Ojha on April 10, 2012 at 1:30am — 2 Comments

सबकुछ कह जाने दो ..

है बड़ी बात तो बड़ी बात ही रह जाने दो ..

मेरी बातों को मेरी बातों में बह जाने दो ..
लफ्ज़ कितना भी कहें कहते कहाँ हैं सबकुछ ..फिर भी ..
आज लफ्ज़ - ब- लफ्ज़ मुझे सबकुछ कह जाने दो…
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Added by Lata R.Ojha on March 22, 2012 at 1:58pm — 11 Comments

ओ बी ओ का नव रूप ..

कितने वक़्त के बाद आई यहाँ ..

जैसे…
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Added by Lata R.Ojha on March 4, 2012 at 2:30am — 11 Comments

अमावस जैसे .. .



शब्द चुप से हैं ,कुछ अरसे से..
मन है व्याकुल सा  ,भाव तरसे से ..
घुमड़ते हुए से बादल बरसते ही नहीं  ..
जाने क्या…
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Added by Lata R.Ojha on October 31, 2011 at 8:49am — 4 Comments

खामोशियाँ...

खामोशियाँ..

चुभते टीसते  नासूर दे जाती हैं..
अनचाहे ही चुभन यादों में उग आती है ..…
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Added by Lata R.Ojha on September 25, 2011 at 11:42pm — 2 Comments

विरह की पीड़ा

कुछ कह न सके तुम, चुप सह न सके हम .

खामोशियों में टूट गया दिल ये  बेचारा 
आहें दबी रहीं, चाहें दबी रहीं..
बिन तुम्हारे हमसे जिया…
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Added by Lata R.Ojha on September 14, 2011 at 12:00am — 10 Comments

ऐ मेरे वतन के लोगों ....

 

 

 

फिर नज़दीक आती स्वतंत्रता दिवस की एक और वर्षगाँठ और मन  में उठते सवालों का बवंडर ,क्या यह पूर्ण स्वतंत्रता है  या क्या येही स्वतंत्रता है ? की जब जिसे चाहो लूट लो ,मार दो ,उजाड़ दो ? या फिर ..आज शहीदों को नमन करो कल भूल जाओ ? या फिर गरीबों की सहायता करने के झूठे वादे करो ,अपना मतलब साधो और…

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Added by Lata R.Ojha on August 10, 2011 at 10:00pm — No Comments

आईना मेरा ..

  यू तो हम आईने पे मरते थे,

फिर भी हम आईने से डरते थे   

रोज़ किस्से हज़ारो बातें भी…
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Added by Lata R.Ojha on July 1, 2011 at 12:30am — 8 Comments

मेरी माँ .

ये नहीं कहूँगी की याद आ गई, क्योंकि उनको तो कभी भूलती ही नहीं, हाँ उनकी कमी का फिर से एहसास हुआ जब हर ओर माँ के अनुपम स्वरूपों को देखा आज मदर्स डे पर |



सुबह सुबह मुझे भी मेरे बच्चों की ओर से प्यार भरी मुस्कानों के साथ स्वयं बनाया हुआ कार्ड और उपहार मिला :)

सुख और दुःख का अजीब संगम था वो पल..नहीं ..सिर्फ वो पल नहीं ..आज का दिन ही शायद, तब माँ के लिए कोई निर्धारित दिन नहीं था किन्तु माँ थीं मेरे पास..आज वो नहीं, हाँ सशरीर तो नहीं किन्तु उनकी दी शिक्षा, संस्कार और स्नेह सदा ही…

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Added by Lata R.Ojha on May 8, 2011 at 3:30pm — 2 Comments

या हैं मौन...

आज एक ही ढर्रे पे चलना चाहता  है कौन?

सभी को है चाह परिवर्तन की, मुखर हो या मौन |



खोजते है कोई द्वार या रास्ता चाहे…
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Added by Lata R.Ojha on May 7, 2011 at 11:30pm — 11 Comments

करना रुखसत मुझे तो यूं करना ..

करना रुखसत मुझे तो यूं करना ..

मेरे शब्दों को साथ कर देना..

मेरे स्वप्नों को हार कर देना..

गीत जो संग संग गाए थे..…

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Added by Lata R.Ojha on April 20, 2011 at 11:00pm — 7 Comments

वो.

 

बरसते नभ से नीर को सहर्ष अपनाते हैं...

नैन बरसें तो रूठ जाते हैं..

प्रीत को तौलते हैं जो लफ़्ज़ों में..वो.…

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Added by Lata R.Ojha on April 18, 2011 at 10:30pm — No Comments

दोष मेरा क्या ??

 

ओस की कुछ बूँदें बिना बताए ले आई थी,

लोग अश्क समझ बैठे तो दोष मेरा क्या?
कुछ किरचें और चुभन कांच की घुल गयी ओस में..…
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Added by Lata R.Ojha on April 15, 2011 at 11:00pm — 2 Comments

विलीन ...

यूंही अचानक ..ना जाने कब ..



किस मोड़ पे तुम्हारी यादों से टकरा गयी..
और ..बीतती हुई ज़िन्दगी  फिर से लौट के ..
यादों के झरोखों…
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Added by Lata R.Ojha on April 14, 2011 at 5:00pm — 2 Comments

तो करें एक प्रयत्न हम ??

विलुप्त होते हैं जीव,

विलुप्त होता है जल...

विलुप्तप्रायः असंख्य प्राणी आजकल..
विलुप्त नहीं होते  क्यों अब भी…
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Added by Lata R.Ojha on April 11, 2011 at 4:30pm — 2 Comments

'अन्ना की लहर

आज नहीं चेते तो आखिर कब जागेंगे..??
कब हम आखिर हक़ से ,अपना हक़ मांगेंगे..??
कबतक देखेंगे राह किसी नयी आंधी की..??
बाट जोहेंगे कबतक हम एक नए गाँधी की ?
आओ आगे हाथ मिलाके साथ हों खड़े..
अन्ना हमारी खातिर आमरण अनशन पे हैं अडे..
नीव हिला दें दुनिया को दिखा दें..
'एक स्वर एक बात ' से भ्रष्टाचार मिटा दें.


आइये इस 'अन्ना की लहर ' को सुनामी बना दें ..
देश से भ्रष्टाचार की गुलामी हटा दें..

Added by Lata R.Ojha on April 8, 2011 at 4:57pm — 4 Comments

एक और मुश्किल..

अनगिनत विचारों में से एक विचार चुन पाना  है  मुश्किल ..

विचार चुन भी लो तो उसको शब्दों में पिरोना भी है एक मुश्किल..
 …
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Added by Lata R.Ojha on March 28, 2011 at 3:30pm — 5 Comments

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