For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मकर संक्रांति पर्व है,बीस तेरहा साल,

संगम घाट प्रयाग का,बजे शंख अरु थाल/

 

शाही सवारी चलती,होती जय जयकार,

चलते साधू संत है, करें अजब श्रृंगार/

 

प्रथम शाही स्नान करे, महाकुम्भ शुरुआत,

साधू संत नहा रहे,क्या दिन अरु क्या रात/

 

भीड़ भरे पंडाल हैं,गूंजे प्रवचन हाल,

श्रोता शिक्षा पा रहे,झुका रहे हैं भाल/

 

जुटे कोटिशः जन यहाँ,लेकर उर आनंद,

पाय   रहे  प्रसाद सभी, खाएं परमानंद/

Views: 728

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 16, 2013 at 9:23am

बहुत सुन्दर महाकुम्भ के दर्शन कराते दोहे ,सभी दोहे शानदार हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं आपको 

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 16, 2013 at 8:50am

हार्दिक आभार आदरणीय भाई संदीप जी.

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 16, 2013 at 8:49am

वाह! वाह! लड़ीवाला साहब सादर प्रणाम. आपने आनंद को और भी बढ़ा दिया है. सच है आद. अरुण निगम जी के दोहों कि तो बात ही क्या है.बहुत ही बढ़िया हैं.हार्दिक आभार.

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 16, 2013 at 8:46am

आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम,हार्दिक आभार. महाकुम्भ इलाहाबाद में निर्विघन सम्पन्न हो कोटि कोटि जन पुण्य लाभ पायें.हार्दिक शुभकामनाएं.सादर.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 15, 2013 at 4:00pm
बहुत सुन्दर सर जी 
महाकुम्भ की छटा ही निराली है बहुत बहुत बधाई सहित शुभकामनाएं
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 15, 2013 at 11:24am

मकर संक्रांति पर्व पर महाकुम्भ के प्रथम स्नान के दिन आदरणीय सौरभ जी की रचना के बाद आपके दोहों ने मन मोह लिया, दोहों में यथार्थ वर्णन बेहद पसंद आया और फिर भाई अरुण कुमार निगम के दोहों ने और छटा बिखेर दी । ओबीओ चैनल पर ऑन लाइन रहने का पूरा आनंद आ गया । भले कुम्भ स्नान न कर पाए पर सुखद अहसास करने के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारे भाई श्री अशोक रक्तालेजी-

मकर संक्रांति पर्व है, सूर्य उत्तरायण जान,   
उत्तरायण सूर्य का , सत शास्त्रीय विज्ञान ।
 

इसी मकर संक्रांति को, जो चाहे  कल्याण,            

प्रयाग कुम्भ में डुबकी, लेकर करो स्नान ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2013 at 11:13pm

आदरणीय अशोकजी, महाकुंभ को समर्पित सभी दोहे उस महान आयोजन का बखान हैं.

इस दोहे ने वास्तव में सटीक शब्द चित्र खींचा है -

भीड़ भरे पंडाल हैं,गूंजे प्रवचन हाल,
श्रोता शिक्षा पा रहे,झुका रहे हैं भाल/

आज पहला स्नान था. आपको सपरिवार शुभकामनाएँ.

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 14, 2013 at 10:51pm

मिलजुल कर रहना सदा, हर खाई को पाट
मीठा-मीठा बोल कर , सबको तिल गुड़ बाँट ||..................अहा हा हा ............ क्या बात है.

आदरणीय निगम साहब सादर, तिल गुड घ्या गोड गोड बोला, बहुत सुन्दर दोहा छन्दों में प्रतिक्रया संक्रान्ति, लोहड़ी और बीहू सब को समेटे सुन्दर दोहों में मन मोह लिया है. क्या कहूँ बधाई या आभार.बस यूँ ही स्नेह बनाए रखें. हर हर गंगे.

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 14, 2013 at 10:44pm

आदरणीय अलबेला साहब सादर, हार्दिक आभार. आपने वक्त निकालकर दोहे पर नजरें इनायत की. पुनः आभार.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on January 14, 2013 at 10:31pm

मकर-संक्रांति पर्व की शुभकामनायें

मौसम के दोहे...

जाने को है शिशिर ऋतु , आने को ऋतुराज
आग जला कर झूम लें,हम तुम मिलकर आज ||

सूर्य उत्तरायण हुए , मकर – संक्रांति पर्व
जन्में भारत - देश में , हमें बड़ा है गर्व ||

मिलजुल कर रहना सदा, हर खाई को पाट
मीठा-मीठा बोल कर , सबको तिल गुड़ बाँट ||

सरसों झूमें झाँझ ले , गेहूँ गाये गीत
चना नाचता मस्त हो , तिल तो बाँटे प्रीत ||

मटर मटकता बावरा , मूंगफली मुस्काय
मुँह मसूर का खिल उठा, मौसम खूब सुहाय ||

नेह रेशमी डोर फिर , माँझे का क्या काम
प्रेम – पतँगिया झूमती ,ज्यों राधा सँग श्याम ||

ऋतु आवत – जावत रहे , पतझर पाछ बसन्त
प्रेम – पत्र कब सूखता ? इसकी आयु अनन्त ||

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर , जबलपुर (मध्यप्रदेश)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service