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व्यक्तिगत जीवन की व्यस्तताओं व विवशताओं के कारण पूर्व की भाँति न तो लिख पा रहा हूँ और न ही प्रतिक्रिया ही प्रकट कर पा रहा हूँ किन्तु ओबीओ पर पोस्ट रचनायें प्रतिदिन नियमित तौर पर पढ़ रहा हूँ. हाँ !…Continue
Started this discussion. Last reply by Saurabh Pandey Jul 21, 2015.
सपना-अरुण निगम (मदिरा सवैया)ब्याह हुये बत्तीस सुहावन साल भये नहिं भान हुआ नित्य निरंतर जीवन में पल का पहिया गतिमान हुआ छाँव कभी अरु धूप कभी हर मौसम एक समान हुआ शब्द सधे सुर-ताल सजे यह जीवन…Continue
Started this discussion. Last reply by Dr.Vijay Prakash Sharma Jun 11, 2014.
एक ग़ज़ल.......
122 122 122 122
नजर है तो पढ़िए गजल झुर्रियों में
ये चेहरा कभी है रहा सुर्खियों में।
वतन को सजाने के वादे किए थे
सदा आप उलझे रहे कुर्सियों में।
मसीहा समझ के था अगुवा बनाया
मगर आप भी ढल गए मूर्तियों में।
चढ़ाया हमीं ने उतारेंगे हम ही
पलक के झपकते, यूँ ही चुटकियों में।
अरुण के इशारे समझ लें समय है
नसीहत को गिनिए नहीं धमकियों में।।
(मौलिक व अप्रकाशित)☺
Posted on August 4, 2018 at 8:00pm — 5 Comments
एक सामयिक ग़ज़ल.....
(१२२ १२२ १२२ १२)
समाचार आया नए नोट का
गिरा भाव अंजीर-अखरोट का |
दवा हो गई बंद जिस रात से
हुआ इल्म फौरन उन्हें चोट का |
मुखौटों में नीयत नहीं छुप सकी
सभी को पता चल गया खोट का |
जमानत के लाले उन्हें पड़ गए
भरोसा सदा था जिन्हें वोट का |
नवम्बर महीना बना जनवरी
उड़ा रंग नायाब-से कोट का |
मकां काँच के हो गए हैं अरुण
नहीं आसरा रह गया ओट का…
ContinuePosted on November 11, 2016 at 4:30pm — 4 Comments
आम हूँ बौरा रहा हूँ
पीर में मुस्का रहा हूँ
मैं नहीं दिखता बजट में
हर गज़ट पलटा रहा हूँ
फल रसीले बाँट कर बस
चोट को सहला रहा हूँ
गुठलियाँ किसने गिनी हैं
रस मधुर बरसा रहा हूँ
होम में जल कर, सभी की
कामना पहुँचा रहा हूँ
द्वार पर तोरण बना मैं
घर में खुशियाँ ला रहा हूँ
कौन पानी सींचता…
ContinuePosted on March 1, 2015 at 2:00pm — 14 Comments
पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या होते हैं चाँद सरीखे, या तारों जैसे होते हैं.
बेटा ! दिन तो दिन होते हैं ,गिनती के पल-छिन होते हैं
अच्छे बीतें तो सुखमय हैं, वरना ये दुर्दिन होते हैं.
पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या होते हैं दूध-मलाई , या माखन जैसे होते हैं.
बरसों से मैं सुनते आया, स्वप्न सजीले बुनते आया
लेकिन देखे नहीं आज तक, अच्छे दिन कैसे होते हैं
पापा पापा बतलाओ…
ContinuePosted on November 23, 2014 at 11:00pm — 10 Comments
आदरणीय अरूणकुमार निगमजी, हमने अपनी नजरोंसे आपकी क़लमकार कमाल देख लिया है ! बहुत ही प्रभावि रचना केलिये साधुवाद स्विकार करें ?
आ० अरुण जी ,मित्रता निवेदन स्वीकार कीजिये मुझे मेसेज भेजने में सहूलियत होगी |
३ फरवरी तक माह की सर्वश्रेष्ठ रचना तथा सक्रिय सदस्य का नाम मुझे मेसेज करने की कृपा करें धन्यवाद .
मेरा मित्रता निवेदन स्वीकार करने के लिए आपका हार्दिक आभार!
आदरणीय आपके पास मेरा मित्रता निवेदन बहुत लम्बे अरसे से लंबित है!
आदरणीय अरूण जी:
ओ बी ओ कार्यकारिणी टीम में शामिल होने के लिए आपको हार्दिक बधाई।
विजय निकोर
// चलो छत्तीसगढ़ से एक तारा और उभरा है
तुम्हारा नाम अब आये अरुण के नाम से पहले.//......
आदरणीय आपकी इस टिप्प्णी से अन्दाज़ा हुआ , आप भी छ्तीस गढ के हैं , बहुत खुशी हुई !! मै भी छतीस गढ से हूँ , भिलाई स्टील प्लांट मे हूँ !! सादर !!
..
बहुत बहुत धन्यवाद तथा आपको जन्मदिन कि हार्दिक शुभकामनायें.........
भाई अरुण कुमार निगम जी, जन्म दिन की शुभ मंगल कामनाएं -
जन्म दिवस पर आपको, खुशियाँ मिले हजार
मन की बगिया भी रहे, जीवन भर गुलजार |
कृपा करे माँ शारदा, सदा बहे रसधार,
माँ से ही सबको मिले,सच्चा प्यार दुलार |
आपके द्वारा सरिता जी की पोस्ट पर दोहों सम्बन्धी टिप्पणी से मेरे भी कुछ सवाल हल हुए ....आभार
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