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अमि तेष
  • Male
  • शिवपुरी, मध्य प्रदेश
  • India
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Amitesh

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Gender
Male
City State
shivpuri (MP)
Native Place
shivpuri
Profession
student
About me
I m not wise like Chanakya. i m not a winner like Alaxgender. I m not Ram,Rahim or Crist. I m not Earth,Sky,Air,Fire and Water.I m not sun, moon or any other planet. I m not a animal or any object of the world. But I m space. where is every thing. I m Amitesh,I m Ajim and I m The One Who is Infinite ................

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अमि तेष's Blog

कोई सपना भटक रहा है मेरी आँखों में.............

कोई सपना भटक रहा है मेरी आँखों में

पल पल चन्दन महक रहा है मेरी आँखों में

दरिया, नदिया, ताल नहर सब भीगे भीगे है

कब से बादल लहक रहा है मेरी आँखों में

पल भर बतियाता है फिर ओझल हो जाता हैं

किसका चेहरा झलक रहा है मेरी आँखों में

गालिब, की ग़ज़लों सी नाजुक एक कली को देख

कोई हिरना फुदक रहा है मेरी आँखों में

एक ग़ज़ल बातें करती है टुकड़ों में मुझसे

तन्हा मिसरा फटक रहा है मेरी आँखों…

Continue

Posted on November 11, 2013 at 9:00pm — 9 Comments

मेरी आह के बाद ....

सुनो,

तुम तो जानती ही हो ....

मेरी ग़ज़ल,

मेरी कविताओं ...

के हर अलफ़ाज़ को ...

और ये भी,

कि ये दुनियाँ कितनी रुखी है ...

ये जमाने भर तल्खी,

अक्सर घाव कर देती है,

मुझ पर ...

फिर तितलिया ..

वक्त के साथ साथ,

फीकी पड़ जाती है,

चुभते है नाश्तर बन के रंग...

और एक कसक लिए मैं,

जमाने के दरार वाले इस पहाड़ के पीछे,

करता हूँ तुम्हारा इन्तजार ..

तुम देखना,

एक दिन ये दुनियाँ,

ताजमहल के साथ भरभरा कर,

गिर…

Continue

Posted on June 11, 2013 at 3:11am — 15 Comments

इश्क में हो गये है शेर सब

इश्क में हो गये है शेर सब 
शेरनी की गरज पर ढेर सब 

है बनी शायरी अब फुन्तरू 
आम से हो गये है बेर सब 

हां कलम भी कभी हथियार थी 
चुटकुला अब, समय का फेर सब 

जे छपे, वे छपे, हम रह गये 

चाटने में हुई है देर सब 

खो गये मीर, ग़ालिब, मुसहफ़ी 
लिख रहे है खुदी को जेर सब 
~अमितेष 
मौलिक व अप्रकाशित 

फुन्तुरु - मजाक 
मीर - मीर तक़ी 'मीर'

ग़ालिब - असद उल्लाह खां ग़ालिब 
मुसहफ़ी - शैख़ गुलाम हम्दानी मुसहफ़ी 

Posted on June 4, 2013 at 11:19pm — 10 Comments

यह तेरी अर्जी है.....

यह तेरी अर्जी है
या फिर खुदगर्जी है

सिल ही देंगी गम को
सांसे भी दर्जी है

मैं तुम से रूठा हूँ
तुहमत ये फर्जी है

दिल मेरा है सोना
बहता गम बुर्जी है

गर्दिश, ग़ज़लें, गश्ती
यह मेरी मर्जी है 
~अमितेष
("मौलिक व अप्रकाशित")

Posted on January 26, 2013 at 1:13pm — 9 Comments

Comment Wall (7 comments)

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At 12:19pm on May 10, 2011, Veerendra Jain said…

Wishing you a very Happy Birthday.. Amitesh ji...

May GOD fulfill all your dreams this year...

At 8:34am on May 10, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 3:11pm on March 28, 2011, Veerendra Jain said…
Amitesh ji...sorry to say...but aap kyu mera gender change kar rahe hain , i m very happy being male....!!!! hahaha...
At 12:02pm on January 16, 2011, Raju said…
At 10:37am on January 16, 2011, PREETAM TIWARY(PREET) said…
At 11:03pm on January 15, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 6:08pm on January 15, 2011, Admin said…
 
 
 

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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