For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी आह के बाद ....

सुनो,
तुम तो जानती ही हो ....

मेरी ग़ज़ल,
मेरी कविताओं ...
के हर अलफ़ाज़ को ...

और ये भी,
कि ये दुनियाँ कितनी रुखी है ...
ये जमाने भर तल्खी,
अक्सर घाव कर देती है,
मुझ पर ...

फिर तितलिया ..
वक्त के साथ साथ,
फीकी पड़ जाती है,
चुभते है नाश्तर बन के रंग...

और एक कसक लिए मैं,
जमाने के दरार वाले इस पहाड़ के पीछे,
करता हूँ तुम्हारा इन्तजार ..

तुम देखना,
एक दिन ये दुनियाँ,
ताजमहल के साथ भरभरा कर,
गिर पड़ेगी मेरे सीने पर ....
और मेरी आह,
उस दरार के रास्ते से,
उतर जायेगी तुम्हारे दिल में......

सुनो,
तुम तो जानती ही हो ....
मेरी ग़ज़ल,
मेरी कविताओं ...
के हर अलफ़ाज़ के बीच ...
एक खामोशी है ...
जिस पर फ़कत तुम्हारा हक है ....

तुम इसे जरुर चुन लेना,
मेरी आह के बाद ....

सुनो,
तुम जानती तो हो ना ....
~अमितेष

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 672

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on June 19, 2013 at 9:57am

अमि तेष भाई 

सुन्दर भावाभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई 

समीक्षार्थ कुछ बातें अवश्य कहूँगा ...

कई जगह टंकण त्रुटि के कारण पढ़ने का लुत्फ़ कम होता रहा 

//
के हर अलफ़ाज़ को ... ... (अल्फ़ाज़ की जगह लफ्ज़ होना चाहिए)

तितलिया ..??

दुनियाँ, ??

वैसे भाव इतने गहरे हैं की रचना हमें डूबने नहीं देती ....

है न विरोधाभास ,,, गहराई हमें डूबने नहीं देती ... हा हा हा 

Comment by अमि तेष on June 14, 2013 at 10:48pm

Abid ali mansoori jee, aman kumar jee, Shyam Narain Verma jee, vijayashree jee,  coontee mukerji jee, Vinita Shukla jee , बृजेश नीरज jee , Sumit Naithani jee , Roshni Dhir jee,  vijay nikore jee , Rajesh Kumar Jha jee व Jitendra Pastariya jee ............... उत्साह बढाने का शुक्रिया ....
..............वैसे मुझे यहाँ समीक्षा का इन्तजार था ..............

Comment by vijayashree on June 14, 2013 at 8:48pm

सुंदर अभिव्यक्ति.........बधाई

Comment by coontee mukerji on June 14, 2013 at 1:14am

बहुत सुंदर / सादर

Comment by Vinita Shukla on June 13, 2013 at 3:05pm

दिल को छू लेने वाली सुन्दर रचना. बधाई.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 13, 2013 at 7:42am

बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति! बधाई!

Comment by बृजेश नीरज on June 12, 2013 at 10:20pm

बहुत ही सुंदर रचना! बधाई।

Comment by Sumit Naithani on June 12, 2013 at 12:46pm

बहुत ही सुंदर रचना

Comment by Roshni Dhir on June 12, 2013 at 12:05pm

मेरी कविताओं ...
के हर अलफ़ाज़ के बीच ...
एक खामोशी है ...
जिस पर फ़कत तुम्हारा हक है ...

बहुत अच्छे अमि तेष जी ..

Comment by vijay nikore on June 12, 2013 at 10:28am

भाव अच्छे लगे। बधाई।

सादर,

वि्जय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service