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coontee mukerji
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coontee mukerji's Discussions

ओ.बी.ओ.लखनऊ चैप्टर- समाचार
2 Replies

ओ बी ओ लखनऊ चैप्टर की मासिक गोष्ठी रविवार दिनांक 22.06.2014 को 37, रोहतास एंक्लेव, फैज़ाबाद रोड स्थित स्थान पर इस महीने की गोष्ठी का आयोजन किया गया था. आदरणीय मधुकर अष्ठाना जी की अध्यक्षता और कानपुर…Continue

Started this discussion. Last reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव Jun 26, 2014.

ओपन बुक्स ऑनलाईन, लखनऊ चैप्टर समाचार
4 Replies

ओबीओ लखनऊ चैप्टर   "साहित्य समाज का दर्पण होता है " ..लेकिन इंसान जब तक अपनी पूरी गतिविधियों के साथ उसके सम्मुख खड़ा नहीं होता है तब तक उसकी छवि उसमें नहीं झलकती है. एक अच्छा साहित्य एक अच्छे समाज और…Continue

Started this discussion. Last reply by PRAMOD SRIVASTAVA May 29, 2014.

ओ.बी.ओ. लखनऊ चैप्टर की मासिक काव्य-गोष्ठी - अप्रैल 2014, एक प्रतिवेदन
11 Replies

ओ.बी.ओ. लखनऊ चैप्टर की मासिक काव्य-गोष्ठी - अप्रैल 2014, एक प्रतिवेदन      स्कूल में हम बच्चों को एक पेड़ लगाने के लिए कहा गया था. हमने एक पौधा लगा दिया. अध्यापक के कहने पर कि ‘यह तो पौधा है, पेड़…Continue

Started this discussion. Last reply by vandana May 30, 2014.

 

coontee mukerji's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
lucknow, uttar pradesh
Native Place
brisee verdiere, mauritius
Profession
housewife
About me
originally from mauritius, married to dr sharadindu mukerji in india, write in hindi

Coontee mukerji's Blog

वह लड़की

वह लड़की!

मैं उसे बदलना चाहती थी

उसे पुराने खोह से निकालकर

पहनाना चाहती थी एक नया आवरण.

उसके बाल लम्बे होते थे

अरण्डी के तेल से चुपड़ी

भारी गंध से बोझिल

वह ढीली-ढाली सलवार पहनती थी

वह उस में नाड़ा लगाती थी

उसके नाखून होते थे मेँहदी से काले

एकाध बार सफ़ेद किनारा भी दिख जाता.

वह चलती थी सर झुकाये.

वह चुप रहती

मगर....उसके मन में सागर की लहरों

का सा होता घोर गर्जन.

आँखों में हरदम एक तूफ़ान लरजता

उसकी…

Continue

Posted on July 22, 2014 at 9:12pm — 10 Comments

गा कोयल...

गा कोयल गा...

गीत प्रेम के

गा कोयल.....



मन के सुप्त तारों को जगा.

प्रकृति के वक्ष के आर-पार

अनु विस्फ़ोटक के सप्त स्वर में

अपनी गायन शक्ति भर

तीव्र सुर में गा कोयल......

ग्रीष्म की तपती धूप है

कर बादलों का आह्वान

बादल कुछ ऐसा बरसे

तरल हो धरती का कण-कण

निकले सीप से मोती

सुख-समृद्धि की बरसात हो

गा कोयल.....

बनी रहे आम्रतरु की जड़ें

वसंत में मंजरी खिली रहे

मिटे घर घर से मौत की…

Continue

Posted on June 4, 2014 at 6:08pm — 10 Comments

तुम और मैं

तुम और मैं कितनी सदियों से

हाँ, कितने जन्मों से,

कितने चेहरे और रूप लिये

कभी भूले से, कभी अंजाने से.

एक युग में कभी तृण बन के

अमृत जल से बरसे कहीं,

नभ में तारे बन के चमके कभी

कितनी कहानियाँ सुनी अनसुनी रहीं.

किसका सफ़र था जो हवा बन के

गुज़र रहा था पात पात

एक गुलाब खिला था वन में

कुछ महक थी बसी मकरंद में.

एक एहसास था मन के कोने में

वह ढूँढ़ रहा था एक ठाँव,

कितने बसेरे मिले थे…

Continue

Posted on May 31, 2014 at 1:00pm — 9 Comments

गोधूली में

गोधूली में

बहुत ही कोमल स्वर में

दर्द से भरे हुए,

सूरज जब डूब रहा होता है

मैं जानती हूँ ज़िंदगी!

तुम मेरे लिये गाती हो.

छत से सूखे कपड़े उठाती हुई

बेचैन

मैं ठिठक जाती हूँ.

कुछ पल, कुछ अनबूझे सवाल

मंडराते हैं मेरे आस पास

चिड़ियों की तरह

जो दाना चुगकर, गाना गाकर

लौट जाते हैं अपने घोंसले में.

सांझ

रह जाती है कुँवारी

रात घिर आती है ज़मीं पर

गगन से उतरता है एक चाहत भरा धुंध

और-

पसर जाता है सरसों के खेत…

Continue

Posted on May 5, 2014 at 2:00pm — 10 Comments

Comment Wall (20 comments)

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At 12:55am on January 25, 2014, RAMESH YADAV said…

बहुत ही अच्छी रचनाएं है. बधाई

At 7:08pm on January 21, 2014, Alka Gupta said…

बहुत ही सुन्दर समस्त रचनाएँ है ...कुंती मुखर्जी जी

..............सादर वन्दे 

At 9:49pm on January 4, 2014, नादिर ख़ान said…

अदरणीया कुंती जी, जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं!

At 11:36am on January 4, 2014, vijay nikore said…

जन्म दिन मुबारक ! आपका हर दिन मंगलमय हो।

 

सादर,

विजय निकोर

At 10:27am on January 4, 2014,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 9:30am on January 4, 2014, जितेन्द्र पस्टारिया said…

" जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें आदरणीया आपको"

At 5:25pm on December 13, 2013, Dr Dilip Mittal said…

 क्षणिकाये पसंद आने के लिये  धन्यवाद 

At 5:53pm on December 4, 2013, Dr Dilip Mittal said…

 सादर आभार 

At 7:39am on June 17, 2013, D P Mathur said…

आदरणीया कुंती जी आपको रचनाएं पसंद आई , आपका धन्यवाद !

At 9:13am on June 1, 2013, annapurna bajpai said…

हमारी मित्र मंडली मे आपका स्वागत है कुंती जी ।

 
 
 

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