For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Raju
  • Male
  • Bihar
  • India
Share on Facebook MySpace

Raju's Friends

  • R. K. PANDEY "RAJ"
  • Er. Ambarish Srivastava
  • raj jalan
  • Akshay Thakur " परब्रह्म "
  • Manoj Bhawuk
  • आशीष यादव
  • Neelam Upadhyaya
  • Prabhakar Pandey
  • Khushboo
  • Bijnesh Kumar Singh
  • योगराज प्रभाकर
  • Kanchan Pandey
  • Prashant Pandey
  • Krishna Kant Pandey
  • satish mapatpuri

Raju's Discussions

"OPINION ABOUT LIFE"
3 Replies

Good evening to all of you.............In my opinion..........."Life is just like Mathematical Operations in which we add friends,subtract enemies, multiply hapiness and divide sorrow"I request you…Continue

Started this discussion. Last reply by Raju Apr 6, 2010.

"Shortcuts for Computer"
4 Replies

1.CTRL+C (Copy)2.CTRL+X (Cut)3.CTRL+V (Paste)4.CTRL+Z (Undo)5.DELETE (Delete)6.SHIFT+DELETE (Delete the selected item permanently without placing the item in the Recycle Bin)7.CTRL while dragging an…Continue

Started this discussion. Last reply by Amrendra Kumar Apr 5, 2010.

 

Raju's Page

Profile Information

City State
NEW DELHI
Native Place
NEW DELHI
Profession
student
About me
I m simple guy

Raju's Photos

  • Add Photos
  • View All

Raju's Videos

  • Add Videos
  • View All

Raju's Blog

“तुम्हारा एहसास”

तुम साथ नहीं हो

लेकिन फिर भी

ऐसा लगता है

कि तुम यहीं हो

फुलों में, हवाओ में

पतझड़ में, बहारों में

घटाओ…

Continue

Posted on January 21, 2011 at 10:09am — 4 Comments

तुम वही हो

तुम वही हो
जिसके लिए मैने स्वपन बुने है
तुम वही हो
जिसकी धुन मैने गुने है
तुम वही हो
जिसके लिए ह्रदय मे स्पंदन है
तुम वही हो
जिसके लिए मन में बँधन है
तुम वही हो
जिसके बिना आँखो मे नमी सी थी
तुम वही हो
जिसकी जीवन में कमी सी थी

Posted on January 14, 2011 at 11:17pm — 4 Comments

यादें

कल आँखे खोली दुनिया में
कल को रुखसत हो जाएंगे
संग चले जो कह कर अपना
सब बेगाने हो जाएंगे
साथ तुम्हारा भी ना होगा
वादे सारे खो जाएंगे
दिल में दी थी जगह जिन्होने
क्या फिर बांहे फैलाएंगे?
हाँ, पर जिनको दी मुस्कानें
भुल नहीं हमको पाएंगे
रह ना सकेंगे इस दुनिया में
यादों में हम रह जाएंगे।।

"रिचा भारती"

Posted on July 25, 2010 at 4:22pm — 3 Comments

""सफलता का दर्पण""

करो जीवन मे जो प्रण,

पुरा करने को उसे,

कर दो तन-मन सब कुछ अर्पण।





राह मे आए चाहे कितनी भी कठिनाइयां,

चाहे हँसती रहे तुमपर सारी दुनिया,

अगर पक्का है तुम्हारा इरादा,

तोड़ सकते हो तुम हर बाधा,

सदा रखो स्वयं पर नियंञण,

अस्वीकार कर दो लोभ का हर निमंञण,

ज्यों-ज्यों लक्ष्य के प्रति बढेगा आर्कषण,

चिड़िया की तरह तिनका तिनका उठाना होगा,

तुम्हे रात-दिन अपना पसीना बहाना होगा,



हिम्मत मेहनत और लगन से

पुर्ण किया जो तुमने…
Continue

Posted on June 19, 2010 at 12:46pm — 5 Comments

Comment Wall (5 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 11:05am on February 7, 2011, अमि तेष said…
Thank you
At 1:30pm on January 26, 2011, Rajendra Swarnkar said…

********************************

गणतंत्र दिवस की  शुभकामनाएं !

********************************

राजेन्द्र स्वर्णकार

swarnkarrajendra@gmail.com

http://shabdswarrang.blogspot.com
जयहिंद

At 10:24pm on January 23, 2011, Rajendra Swarnkar said…
आभार !
At 9:18pm on March 27, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

At 9:11pm on March 27, 2010, Admin said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service