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मान है सम्मान गर दौलत नगद है .. हद है,
लोभ बिन इंसान कब करता मदद है .. हद है,

हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों,
सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,

स्वाद चखते थे कभी हम स्नेह की बातों का,
आज जहरीली जुबां कड़वा शबद है .. हद है,

कौन अपना है पराया हमे क्या मालुम,
प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है,

भूल मुझको जो गई यादों के हर लम्हों से,
जिंदगी उसके की ख्यालों की सुखद है .. हद है.

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 13, 2013 at 4:17pm

भाव बढ़िया 

बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 13, 2013 at 3:26pm

साफ़ कहूँ ? मन प्रसन्न नहीं हुआ, अरुन अनन्तजी. बुरा न लगे, ग़ज़ल के अश’आर और मशक्कत चाह रहे थे. आपने ज़ल्दबाज़ी कर दी.

२१२२ २१२२ २१२२ २२  के वज़्न पर मिसरे कहे. तक्तीह करें. कुछ इधर-उधर हो गये हैं. दूसरे, व्याकरण के अनुसार ’हर’ या ’प्रत्येक’ के बाद एकवचन की संज्ञा आती है. इस लिहाज़ से आखिरी शेर के उला को देख लें.

स्वाद चखते थे कभी हम स्नेह की बातों का,
आज जहरीली जुबां कड़वा शबद है .. हद है,

इस शेर के लिए बधाई.. .

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 13, 2013 at 10:58am

आदरणीय मित्रवर संदीप जी, आपकी वाह वाह दिल को हार्दिक प्रसन्न करती है. आभार

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 13, 2013 at 10:57am

आदरणीया बागी सर प्रणाम, इस मिसरे में है शब्द मिसिंग है, बाकी के शे'र आपको पसंद आये मेरे लिए सुखद की बाद है.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 13, 2013 at 10:00am

हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों,
सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,

वाह वाह वाह
बधाई क़ुबूल करिए
आदरणीय गणेश सर जी की बातों से सहमत हूँ


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 12, 2013 at 7:57pm

//कौन अपना है पराया---- हमे क्या मालुम//

इस मिसरा में कुछ मिसिंग है, क्या कहते हैं ?

//जिंदगी उसके की ख्यालों की सुखद है .. हद है.//

इस मिसरा में बात कुछ निकल नहीं रही |

बाकी सभी शेर मुझे अच्छे लगें, बधाई स्वीकार करें |

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 12, 2013 at 3:53pm

बसंत जी आभार, सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 12, 2013 at 3:53pm

आदरणीय लक्ष्मण सर आपको रचना पसंद आई, मेरे लिए हर्ष की बात है आपका आशीष मिला आभार.सादर

Comment by बसंत नेमा on January 12, 2013 at 2:40pm

bahut badiyaa arunji

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 12, 2013 at 2:23pm
वाह अरुण भैया हद है, जो लिखा पसंद है ,
 हद है हर बात में हद है, बड़ी जद्दोजहद है 

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