देवता ! मुझे शरण दो !
अस्सी साल की बुढ़िया ,
लाठी टेकती आयी ,
गुहार करने
मंदिर आंगन द्वार .
हाथ उठाकर ,
घण्टी भी बजा न सकी .
जर्जर काया जीवन से त्रस्त ,
और दुखित -
अपनों से सतायी हुई, उपेक्षित .
माँग रही थी मृत्यु का वरदान ,
पर – देवता सोये थे निश्चिंत .
कम्पित कर जोड़े ,
साथ न दे रही थी
थर्राती वाणी.
‘’ मैया ! घर जाओ ‘’ बोले पुजारी
‘’ कहाँ जाऊँ बेटा, कहीं नहीं कोई ‘’.
जो कुछ था लूट लिया…
Added by coontee mukerji on May 4, 2013 at 7:13pm — 8 Comments
वाह रे खुदा!
हैरान हूँ तेरी खुदाई देखकर;
तेरी मेरी भावना से
मानव की पाटी खाई देखकर|
ना उसे मिला कुछ
ना ही कुछ इसे मिला;
फिर क्या बकवास नहीं
दुश्मनी का ऐसा सिला?
चिराग जला करे घर रोशन
अपने घर की मुंडेरों से;
तो क्या खता, गर रहबर कोई
बचाए खुद को ठोकरों से?
पर नहीं, बिलकुल नहीं
मानव को यह सुहाता नहीं;
अपना घर रोशन भले ना हो
दूसरे को रास्ता दिखाना भाता…
ContinueAdded by Usha Taneja on May 4, 2013 at 5:50pm — 13 Comments
दोस्तों इस मंच पर अपनी पहली रचना पोस्ट कर रहा हूँ........
गिन रहे हैं जिस तरह से आती-जाती सांस को हम......
उस तरह तुमने कभी क्या अपनी साँसों को गिना है ?…
ContinueAdded by KAVI DEEPENDRA on May 4, 2013 at 1:01pm — 10 Comments
मृत्युंजयी
रणभेरी बज उठी प्रिय!,
मैं मस्तक तिलक लगाऊॅ।
भारत मां को स्वतंत्र कराया,
मिलकर सोलह श्रृंगार किया।
प्यारी सद्भावना देवी को,
मैं श्रध्दा सुमन चढ़ाऊॅ।।--- रणभेरी....
देश की खातिर जिये अभी तक,
क्षमा-दान सब उत्सर्ग किया।
आ गई परीक्षा की घड़ी,
मैं शौर्य गीत ही गाऊॅ ।।--- रणभेरी...
दुनियां में अमन चैन रखने को,
सीटीबीटी बहिष्कार किया ।
परमाणु सम्पन्न देशों…
ContinueAdded by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 3, 2013 at 9:54pm — 10 Comments
कैसे बन जाता कोई नपुंसक
कैसे हो जाती खामोश जुबान
कैसे हज़ारों सिर झुक जाते
कैसे बढते क़दम रुक जाते
कुंद कर दिया गया दिमाग
पथरा गई हैं संवेदनाएं
किसी साज़िश के तहत
खत्म कर दी गई हैं संभावनाएं
मैंने कहा साथी!
क्या हुआ कि बंद हैं राहें
गूँज रही हर-सू आहें-कराहें
क्या हुआ कि खो गई दिशाएँ
क्या हुआ कि रुक गई हवाएं
याद करो,
हमने खाई थी शपथ
विपरीत परिस्थितियों में
हम झुकेंगे…
ContinueAdded by anwar suhail on May 3, 2013 at 7:57pm — 9 Comments
बिंदु में लंबाई, चौड़ाई और मोटाई नहीं होती
बना दो इससे गदा को गंदा, चपत को चंपत, जग को जंग, दगा को दंगा
मद को मंद, मदिर को मंदिर, रज को रंज, वश को वंश, बजर को बंजर
कोई सवाल करे तो कह देना
ये बिंदु नहीं हैं
ये तो डॉट हैं जो हाथ हिलने से गलत जगह लग गए
केवल लंबाई होती है रेखा में
चौड़ाई और मोटाई नहीं होती
खींच दो गरीबी रेखा जहाँ तुम्हारी मर्जी हो
कोई उँगली उठाये तो कह देना ये गरीबी…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 3, 2013 at 7:55pm — 12 Comments
सरबजीत शहीद हुए, सत्ता करे न काम
छोड़ गया दो बेटियाँ, जो देगी अंजाम |
याद करो इतिहास को, और इंदिरा नाम,…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 3, 2013 at 5:30pm — 22 Comments
तब से मेरी भारत माँ, बदहाल बहूत हैं.
मजबूर खामोशियों के तह में भूचाल बहूत…
Added by Noorain Ansari on May 3, 2013 at 4:00pm — 14 Comments
क्या है
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 3, 2013 at 10:00am — 14 Comments
Added by rajesh kumari on May 3, 2013 at 10:00am — 35 Comments
सुनो स्त्री !
पुरुष स्पर्श की भाषा सुनो !
और तुम देखोगी आत्मा को देह बनते !
तेज हुई सांसों की लय पर थिरकती छातियाँ
प्रेम कहेंगी तुमसे -
संगीत और नृत्य के संतुलन को !
सामंजस्य जीवन कहलाता है !
(ये तुम्हे स्वतः ज्ञात होगा)
सम्मोहन टूटते है अक्सर -
बर्तन फेकने की आवाजों से !
आँगन और छत के लिए आयातित धुप
पसार दी जाती है ,
शयनकक्ष की मेज पर !
रंगीन मेजपोश आत्ममुग्धता का कारण हो सकते है…
ContinueAdded by Arun Sri on May 3, 2013 at 9:49am — 21 Comments
कारगिल के बाद
वीरों ने दिया प्राणों का, बलिदान व्यर्थ न हो जाए।
हर बार घात को मात भी दी। टेढ़ी चालें कर दी सीधी।
पर हारें कूटनीतिक बाजी। करते युद्धविराम राजी राजी।।
आगे बढ़ते विजयी-कदम, वापिस कभी न हो पाएं।
वीरों ने दिया प्राणों का, बलिदान व्यर्थ न हो जाए।।
लालों के खून की जो लाली। करती सीमाओं की…
ContinueAdded by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा on May 3, 2013 at 6:00am — 5 Comments
गीत वो गा रहे // कुशवाहा //
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गीत वो गा रहे
प्रचार देखते रहे
पुष्प झरें मुखार से
तलवार देखते रहे
------------------
मंच था सजा हुआ
चमचों से अटा हुआ
गाल सब बजा रहे
भिन्न राग थे गा रहे
सुन जरा ठहर गया
भाव लहर में बह गया
चुनाव है था विषय
आतुर सुनने हर शय
शब्द जाल फेंक वे
जन जन फंसा रहे
गीत वो गा रहे
प्रचार देखते रहे
पुष्प…
ContinueAdded by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 2, 2013 at 9:01pm — 10 Comments
तुमने जो भी बात कही थी
सबको माना तेरे बाद
हो गई अपनी पीर पराई
हँस के जाना, तेरे बाद
बोझिल राते खुल के बोलीं
दिन बतियाया तेरे बाद
तेरे रहते था मैं बूढ़ा
खिली जवानी तेरे बाद
तुझे देख जो बादल गरजे
जमकर बरसे तेरे बाद
हो गई सारी दरिया खारी
रो-रो जाना, तेरे बाद
तेरे रहते दर-दर भटका
मंजिल पाई तेरे बाद
हाथों की वो चंद लकीरें
बनीं मुकद्दर तेरे बाद
यह भी तेरी…
ContinueAdded by राजेश 'मृदु' on May 2, 2013 at 4:46pm — 15 Comments
वीर छंद (३१ मात्राएँ/ १६ मात्राओं पर यति, १५ मात्राओं पर पूर्ण विराम/ अंत गुरु लघु)
सरबजीत भव पार गया है ---छोड़ गया वह देश जहान।
अमर शहीदो से मिलने वह-- चला गया देकर फरमान। …
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 2, 2013 at 3:00pm — 22 Comments
(1)
कब मैंने तुमसे
वादा किया था कोई
अपने को मैंने कब बंधन में बाँधा
जो किया , तुमने ही किया
हर सुबह आलस्य तजकर
पूजा की थाल सजा
अरूणोदय होता तेरे दर्शन से .
(2)
मिथ्या लगी
जग की सारी बातें
जब मैंने तुमसे प्रीत की
अब क्रोध करूँ या मान करूँ
या करूँ अपने आप पर दया
रीति रिवाजों के नाम पर
खींच दी तुमने सिंदूर की लम्बी रेखा
भाग्य ने लिख दी माथे पर मृत्युदण्ड
चेहरे पर घूँघट खींचकर .
(3)…
Added by coontee mukerji on May 2, 2013 at 11:30am — 17 Comments
तुमको जो प्रतिकूल लगे हैं
वे हमको अनुकूल लगे
और तुम्हें अनुकूल लगे जो
वे हमको प्रतिकूल लगे...............
हम यायावर,जान रहे हैं…
Added by अरुण कुमार निगम on May 2, 2013 at 10:27am — 41 Comments
!!! लखनऊ शहर !!!
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!!
नवाबी सुरूर,
बागों की हूर
हुस्न औ शबाब,
हजरत आदाब।
अमनों शहर मजहबी सजदा।
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!1
मस्जिद आजान
मंदिर रस गान
अमृत औ नीरज
साहित्य धीरज।
शायर कवि कहते बेपरदा।
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!2
भूल भुलईया
दिलकुशा छइयां
गंजो का गंज
बागों का ढंग।
यहां हरियाली रहती फिदा।
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!3
गलियों की महक
अहातों की चहक
पतंगी जुनून
फाखता…
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 2, 2013 at 9:23am — 18 Comments
जो जुटाते अन्न, फाकों की सज़ा उनके लिए।
बो रहे जीवन, मगर जीवित चिता उनके लिए।
सींच हर उद्यान को, जो हाथ करते स्वर्ग सम,
नालियों के नर्क की, दूषित हवा उनके लिए।
जोड़ते जो मंज़िलें, माथे तगारी बोझ धर,…
ContinueAdded by कल्पना रामानी on May 2, 2013 at 8:53am — 34 Comments
Added by manoj shukla on May 2, 2013 at 7:00am — 12 Comments
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