For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Noorain Ansari
Share on Facebook MySpace

Noorain Ansari's Friends

  • Anita Maurya
  • Shashi Ranjan Mishra
  • SYED BASEERUL HASAN WAFA NAQVI
  • Hilal Badayuni
  • धर्मेन्द्र कुमार सिंह
  • Vikash Pandey
  • Abhinav Arun
  • Shakur Khan
  • Avanish Tiwari
  • Meera Trivedi
  • Manoj Kumar Jha
  • Prabhakar Pandey
  • sanjiv verma 'salil'
  • Satyendra Kumar Upadhyay
  • Pankaj Trivedi
 

Noorain Ansari's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
New Delhi
Native Place
Gopalganj, Bihar
Profession
Software Developer and Lyricst
About me
********************.

Noorain Ansari's Blog

गज़ल: पूछने पे अगर आये तो सवाल बहूत है.

पूछने पे अगर आये तो सवाल बहूत है.

तेरे काले करतूतों की मिशाल बहूत है.


सियासत तूने जबसे गोद ली बेईमानों कों,

तब से मेरी भारत माँ, बदहाल बहूत हैं.

 

हमारी वोट से तुम नोट का बिस्तर सजाते हो,
हमारी सब्र और तुम्हारे ऐश के 5 साल बहूत है


बेबस,मजलूमों के आहों का सौदा करनेवालों,

मजबूर खामोशियों के तह में भूचाल बहूत…

Continue

Posted on May 3, 2013 at 4:00pm — 14 Comments

ग़ज़ल :दो कदम ही सही साथ,चलकर के देखों.

दो कदम ही सही साथ,चलकर के देखों.

हम गरीबों की हालात, चलकर के देखों.



ऊँचे महलों से बारिस का मज़ा लेनेवालों,

तंग गलियों की बरसात,चलकर के देखों.



संसद के सोफे क्या समझेगे गावों का मर्म,

बेबस जनता की मुश्किलात,चलकर के देखों.



सुहागन से सदा बेवा का दर्द जाननेवालों,

कभी बिरह में एक रात, जलकर के देखों.



झूठे कसमों से इन्तखाब जीत जानेवालों,

छली जनता का जज्बात,चलकर के देखों.



ऐशों-आराम तय करते है मुकद्दर किल्लतों का,

सता से बाहर अपनी…

Continue

Posted on November 22, 2012 at 3:13pm — 4 Comments

कविता : हालत हो गयी है अपनी भूटान की तरह.

आमदनी घट रही है,होंठों से मुस्कान की तरह.

और खर्चे बढ़ रहे है, चौराहे पे दूकान की तरह.

भले ही रहते है यारों हम आलीशान की तरह.

पर हालत हो गयी है अपनी भूटान की तरह.



अरे किस से सुनाये दर्द,जब सबका यही हाल है.

ये बेबस जिंदगी उधार की,बस जी का जंजाल है.

बड़ी मुश्किल से लोग,हंसने का रस्म निभाते है.

वरना चुटकुले भी आँखों में आंसू भर के जाते है.

खुशिया लगती है सुनी,मातम के सामान की तरह.

और हालत हो गयी है अपनी, भूटान की तरह.



महंगाई के…

Continue

Posted on September 27, 2012 at 9:30am — 6 Comments

कविता: कहा आ गया है, हे भगवन मेरा भारत देश महान.

आज लड़ रहे है भाई-भाई,बन के हिन्दू मुसलमान.

कहा आ गया है, हे भगवन मेरा भारत देश महान.



काबा और कैलाश के रोज मुद्दे उछल रहे है.

इनके आंच पे गावं-नगर-कसबे जल रहे है.

सिसक रही है इंसानियत,खोकर अपना आत्मसम्मान.

कहा आ गया है, हे भगवन मेरा भारत देश महान.



इस्मत लूटी जा रही है,सरेआम आज नारी की.

बढ़ रही है रोज आबादी, गुंडे बलात्कारी की.

बेबस लाचार जनता की,बड़ी मुश्किल में है प्राण.

कहा आ गया है, हे भगवन मेरा भारत देश महान.…



Continue

Posted on August 22, 2012 at 8:00am — 1 Comment

Comment Wall (5 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 3:25pm on January 2, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 7:26pm on October 17, 2010, SYED BASEERUL HASAN WAFA NAQVI said…
salam bhai ap ki shairi qabile tareef hai mubarak ho.
At 3:35pm on September 30, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 3:22pm on September 30, 2010, Admin said…

At 3:06pm on September 30, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service