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सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी
  • 70, Male
  • भिलाई , (छत्तीस गढ़ )
  • India
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गिरिराज भंडारी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"आदरणीय मयंक भाई ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा हुआ है , गुणी जन आवश्यक सलाह दे चुके है , ख़याल करिएगा "
yesterday

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गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"आदरणीय नीलेश भाई , हमेशा की तरह आपकी ग़ज़ल बेहतरीन लगी , हर एक शेर  उम्दा हुए हैं  पड़े जो बेंत मुझे उस की, दौड़ पड़ता हूँमैं जैसे हूँ कोई घोड़ा ये मन सवार मेरा.    -- ये शेर मेरे लिए बहुत ख़ास  है  बधाई आपको "
yesterday

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गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , अच्च्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक बधाइयां .. म्म्तले  का उला  आग में जिसके ये दुनिया जल रही है    या   आग में जिसकी  ये दुनिया जल रही है सानी  वह सियासत कब तनिक निश्छल रही है।…"
yesterday

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गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय नीलेश भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सलाह के लिए आपका आभार  आपकी दोनों सलाह अच्छी हैं , स्वीकार है , आवश्यक सुधार  कर लूंगा , आभार आपका "
Tuesday

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गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय रवि भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. गिरिराज जी समर सर ग़ज़ल पर कह ही चुके हैं. बादल वाले शेर को यूँ कर के देखें... बूँद जो बारिश में टपकी सर पे तेरे     एक पल पहले तलक बादल रही है.. इक समस्या कोशिशों से हल हुई पर  इक समस्या अब भी  पीछे चल रही है.बहुत…"
Tuesday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भाई जी  ग़ज़ल पेश करने के लिये आपको बहुत बहुत बधाई । चरचा  पढने से ेओझल काफिये के शेर में आदरणीय समर साहब के सुझाव से शेर अच्छा हो गया है । पुनः बधाई ।"
Tuesday

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गिरिराज भंडारी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय तिलक राज भाई , ओबीओ मंच  की मूल भावना को फिर से ताज़ा करने के लिए आभार आपका | आपकी कही ये बात -सभी सदस्यों को यह बात स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि यह पटल एक व्यवस्था है, व्यक्ति नहीं और किसी व्यक्ति की श्रेष्ठता का प्रचार तंत्र भी…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ओ बी ओ  टीम प्रबंधन  के सभी आदरणीय  सदस्यों  को मेरा सादर नमस्कार आदरणीय सौरभ भाई , सही समय में सही और स्पष्ट शब्दों में बात रखने के लिए आपका आभार | ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178  के दरमियान…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई "
Saturday

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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अजय भाई , आपका बहुत शुक्रिया "
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीया रिचा जी आपका बहुत आभार "
Saturday

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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"तरही ग़ज़ल  का आयोजन जो पहले  १०० - २००  पेज  तक पहुँच जाता था उसका  ८ -१० पेज पर सिमट जाने  के लिए  शायद  आदरणीय अमित भाई  की भाषा  का बड़ा हांथ  है"
Saturday

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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरर्नीय नीलेश भाई , आपने वो सब कुछ कह दिया जो मेरे मन में  थी , आपसे सहमत होते हुए एक बात और कहना चाहता हूँ अमित जी से बिना हिन्दी  के , कर्ता  , क्रिया , सहायक  क्रिया , कर्म , संज्ञा , सर्वनाम , संयोजक शब्द…"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय नीलेश भाई . ग़ज़ल पर उपस्थिति के लिए आपका  आभार आदरणीय अमित जी की बात समझ में आ गयी है , मूसीकी  को मौसीकी  लिखे जाने के लिए कह रहा था क्यों कि उन्होंने  सलाह  दी थी कि  सही शब्द मूसीकी है …"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अमित भाई ,  अब मुझे समझ आ गया है , आप मौसीकी   की  मात्रिकता पर  सलाह दे रहे थे , अर्थात  मौसीकी  को २२२  में बांधना चाहिए  और मैं उस पर जिद कर रहा था जिसे आपने बोल्ड लेटर में  लिख कर…"
Saturday

Profile Information

Gender
Male
City State
bhilai
Native Place
khairagarh
Profession
अवकाश प्राप्त , भिलाई स्टील प्लांट कर्म चारी
About me
I like to express thoughts through geet ,gazal

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गिरिराज भंडारी's Blog

ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )

२१२२    २१२२      २१२

गुफ़्तगू चुप्पी इशारा सब ग़लत

बारहा तुमको पुकारा सब ग़लत

 

ये समंदर ठीक है, खारा सही

ताल नदिया वो बहारा सब ग़लत

 

रोज़ डूबे, रोज़ लाया खींच कर

एक दिन क़िस्मत से हारा, सब ग़लत

 

एक क्यारी को लबालब भर दिये

भोगता जो बाग़ सारा, सब…

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Posted on April 30, 2025 at 11:00am

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है  

********************************

२१२२    २१२२     २१२२ 

'मन के कोने में इक इच्छा पल रही है'

पर वो चुप है, आज तक निश्चल रही है

 

एक  चुप्पी  सालती है रोज़ मुझको

एक चुप्पी है जो अब तक खल रही है

 

बूँद जो बारिश में टपकी सर पे तेरे    

सच यही है बूंद कल बादल रही…

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Posted on April 19, 2025 at 5:46pm — 6 Comments

ग़ज़ल - हम रह सकें ऐसा जहाँ तलाश रहा हूँ ( गिरिराज भंडारी )

22   22   22   22   22   2 

तू पर उगा, मैं आसमाँ तलाश रहा हूँ

हम रह सकें ऐसा जहाँ तलाश रहा हूँ

 

ज़र्रों में माहताब का हो अक्स नुमाया

पगडंडियों में कहकशाँ तलाश रहा हूँ

 

खामोशियाँ देतीं है घुटन सच ही कहा है    

मैं इसलिये तो हमज़बाँ तलाश रहा हूँ

 

जलती हुई बस्ती की गुनहगार हवा अब    

थम जाये वहीं,.. वो बयाँ तलाश रहा हूँ

 

मैं खो चुका हूँ शह’र तेरी भीड़ में ऐसे

हालात ये, कि ज़िस्म ओ जाँ तलाश रहा…

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Posted on November 7, 2017 at 8:22am — 35 Comments

तरही ग़ज़ल - " पहले ये बतला दो उस ने छुप कर तीर चलाए तो '‘ ( गिरिराज भंडारी )

22  22  22  22  22 22  22 2

वो जितना गिरता है उतना ही कोई गिर जाये तो

उसकी ही भाषा में उसको सच कोई समझाये तो

 

सूरज से कहना, मत निकले या बदली में छिप जाये

जुगनू जल के अर्थ उजाले का सबको समझाये तो

 

मैं मानूँगा ईद, दीवाली, और मना लूँ होली भी   

ग़लती करके यार मेरा इक दिन ख़ुद पे शरमाये तो

 

तेरी ख़ातिर ख़ामोशी की मैं तो क़समें खा लूँ, पर  

कोई सियासी ओछी बातों से मुझको उकसाये तो

 

कहा तुम्हारा मैनें माना,…

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Posted on October 29, 2017 at 6:11pm — 25 Comments

Comment Wall (46 comments)

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At 12:02pm on May 11, 2020, TEJ VEER SINGH said…

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी को जन्म दिन की हार्दिक बधाई एवम असीमित शुभ कामनायें। ईश्वर सदैव सुख, शाँति और समृद्धि प्रदान करें। स्वस्थ रहें। दीर्घायु बनें।जीवन में हमेशा उन्नति के पथ पर अग्रसर रहें।

 

At 7:03pm on January 3, 2016, Sushil Sarna said…

नूतन वर्ष 2016 आपको सपरिवार मंगलमय हो। मैं प्रभु से आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने की कामना करता हूँ।

सुशील सरना

At 9:17am on May 11, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आदरणीय गिरिराज सर,  आपको जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें !

आपके स्वस्थ, शांतिमय, सुखी एवं उज्जवल जीवन की कामना करता हूँ.

At 9:40am on April 21, 2015, Dr. Vijai Shanker said…
आपका ह्रदय से स्वागत है , सादर।
At 11:15am on January 4, 2015, दिनेश कुमार said…
Shukriya sir ji
At 8:17am on October 10, 2014, somesh kumar said…

आदरणीय 

           आप को इस मंच पे पाकर सुखद अहसास हुआ |निसन्देह शुरु से आप के मार्गदर्शन के कारण ही मैं f -बुक पे लगतार लिखने और आगे बढ़ने का साहस जुटा सका हूँ |कई दिनों से आप का आशीष न मिलने से मेरे लेखन-कर्म में बिखराव आने लगा है |अभी यहीं से विदित हुआ की आप सम्पूर्ण परिवार समेत वायरल फ़ीवर से जूझ रहे हैं |सम्पूर्ण परिवार के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ |आप की रचनाओं से हमेशा मार्गदर्शन मिलता है |आप को और आप की सुंदर भावपूर्ण रचनाओं को प्रेम |

At 9:43pm on September 5, 2014, Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' said…

भंडारी जी ,

आपकी एक से एक उच्च कोटि की  रचनाएँ पढ़कर मन आनंद से भर गया....भावों की सहज अभिव्यक्तियों से सजी ....जीवन की सच्चाइयों से सामना कराती ......अपने युग का बोध कराती ..........................................गंगा धर शर्मा 'हिंदुस्तान'

At 1:33pm on April 2, 2014, Neelam Madiratta said…

अप का शुक्रिया ..हार्दिक आभार ...नीलम 

At 3:54pm on March 21, 2014, Mukesh Verma "Chiragh" said…

धन्यवाद

At 7:58pm on March 10, 2014, अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव said…

छोटे भाई,

सात दोहे को  "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना"  से  सम्मानित किया गया है।

यह जानकर  प्रसन्नता हुई, हृदय से बधाई 

 
 
 

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"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.ग़ज़ल तक आने, पढने और…"
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Nilesh Shevgaonkar commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
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