For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बृजेश कुमार 'ब्रज'
  • Male
  • noida
  • India
Share on Facebook MySpace

बृजेश कुमार 'ब्रज''s Friends

  • Om Parkash Sharma
  • DR ARUN KUMAR SHASTRI
  • Afroz 'sahr'
  • शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"
  • नाथ सोनांचली
  • बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
  • सुरेश कुमार 'कल्याण'
  • Samar kabeer
  • डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव
  • C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"
  • SALIM RAZA REWA
  • vijay nikore

बृजेश कुमार 'ब्रज''s Groups

 

बृजेश कुमार 'ब्रज''s Page

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ। इसमें थोड़ा बहुत बदलाव कर इसे और सुंदर बनाया जा सकता है। जैसे - आह बुरा हो कान्हा उसका जिसने  रीत चलाई .... शेष शुभ शुभ..."
Jul 2
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या "प्रेम" से नहीं है। बल्कि किसी का बुरा मनाने से है। हम तो किसी को कोसते हुए भी कहते हैं कि " ओ तेरा भला हो"। फिर ये बुरा चाहना ही सभी को खल रहा…"
Jun 17
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु वो संबंध में व्यापार भी करते रहे दुख विरह स्वीकार करके प्रेम के सम्मान मेंअश्रु का नेपथ्य में सत्कार भी करते रहे शांति का हो पथ प्रदर्शित इसलिये…"
Jun 16
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि रोजमर्रा की ज़िन्दगी में हम 'भगवान' को कोसते ही तो रहते थोड़ी ज्यादा बरसात हो "हे भगवान कितना पानी?" गर्मी हो "हे प्रभु इतनी…"
Jun 16
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अच्छी रचना हुई है ब्रजेश भाई। बधाई। अन्य सभी की तरह मुझे भी “आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा” अतिरंजित लग रही है। हालाँकि रचनाकार की दृष्टि से आप इसके लिए बहुत स्पष्टीकरण दे चुके हैं पर पाठक की दृष्टि से देखना भी आवश्यक हो जाता है।  बिना…"
Jun 14
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागा अर्थ प्रेम का है इस जग में आँसू और जुदाई आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा कैसी रीत चलाई सूर्य निकलता नित्य पूर्व से पश्चिम में ढल जाता कब से डूबा सूर्य हृदय काअब भी नजर न आता धीरे धीरे बढ़ता जाए अंतस में अँधियारा दिशाहीन पथहीन जगत में भटक रहा बंजारा अभी शेष है कितनी पीड़ा बोलो कुछ पुरवाई आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा कैसी रीत चलाई ओ दक्षिण को जाते पंछी उनसे इतना कहना तुम बिन साँसें छीज रहीं यूँ नींद बिना ज्यूँ रैना अपलक देखूँ राह तुम्हारी नैन हमारे हारे कब आओगे बाट…See More
Jun 12
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय नीलेश जी "समझ कम" ऐसा न कहें आप से साहित्यकारों से सदैव ही कुछ न कुछ सीखने को मिल जाता है।   'कृष्ण' से पहले प्रेमी जिनका संसार अनुसरण करे 'महादेव' हैं लेकिन उनके प्रेम में 'नियति' विरह नहीं…"
Jun 11
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय गिरिराज जी सदैव आपके स्नेह और उत्साहवर्धन को पाकर मन प्रसन्न होता है। आप बड़ो से मैं पूर्णतया सहमत हूँ लेकिन "आह बुरा हो" एक विशेष समय और मनोस्थिति से उत्पन्न है। उससे बेहतर और सटीक कुछ मेरी समझ नहीं आया। सादर.... "
Jun 11
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना की विस्तृत समीक्षा के लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार व्यक्त करता हूँ। "कहीं नजर नहीं आता" में वाकई भूलवश मात्राभार अधिक हो रहा है उसे सुधार करता हूँ साथ ही "विचारे" शब्द को भी "हमारे" से…"
Jun 11
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. बृजेश जी मुझे गीतों की समझ कम है इसलिए मेरी टिप्पणी को अन्यथा न लीजियेगा.कृष्ण से पहले भी कई प्रेमियों ने अपनी प्रेयसियों को छोड़ा होगा अत: रीत शुरू करने की बात अपील नहीं करती लग रही है.फिर कृष्ण द्वारिका जा बसे थे अत: दक्षिण को पश्चिम कर लें…"
Jun 11

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अनुज बृजेश , प्रेम - बिछोह के दर्द  केंदित बढ़िया गीत रचना हुई है , हार्दिक बधाई आदरणीय रावि भाई जी सलाहों के मई भी सहमत हूँ , ख़ास तौर पर '' आह बुरा हो '' के प्रयोग से , द्खियेगा अगर आप भी सहमत हों तो | "
Jun 10
Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय बृजेश जी प्रेम में आँसू और जदाई के परिणाम पर सुंदर ताना बाना बुना है आपने ।  कहीं नजर नहीं आता   में मात्रा अधिक हो रही है जिससे  लय  भंग है ।  ऐेसे ही बिचारे शब्द को आपन ेअपने बोलचाल के  लहजे…"
Jun 9
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागा अर्थ प्रेम का है इस जग में आँसू और जुदाई आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा कैसी रीत चलाई सूर्य निकलता नित्य पूर्व से पश्चिम में ढल जाता कब से डूबा सूर्य हृदय काअब भी नजर न आता धीरे धीरे बढ़ता जाए अंतस में अँधियारा दिशाहीन पथहीन जगत में भटक रहा बंजारा अभी शेष है कितनी पीड़ा बोलो कुछ पुरवाई आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा कैसी रीत चलाई ओ दक्षिण को जाते पंछी उनसे इतना कहना तुम बिन साँसें छीज रहीं यूँ नींद बिना ज्यूँ रैना अपलक देखूँ राह तुम्हारी नैन हमारे हारे कब आओगे बाट…See More
Jun 5
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश जी क्या ही शानदार कहन है शेर दर शेर रवानगी अद्भुत है...."
Jun 4
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं ...."
Jun 4
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर बेमिसाल...."
Jun 4

Profile Information

Gender
Male
City State
noida
Native Place
jhansi

बृजेश कुमार 'ब्रज''s Blog

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागा



अर्थ प्रेम का है इस जग में

आँसू और जुदाई

आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

कैसी रीत चलाई



सूर्य निकलता नित्य पूर्व से

पश्चिम में ढल जाता

कब से डूबा सूर्य हृदय का

अब भी नजर न आता



धीरे धीरे बढ़ता जाए

अंतस में अँधियारा

दिशाहीन पथहीन जगत में

भटक रहा बंजारा



अभी शेष है कितनी पीड़ा

बोलो कुछ पुरवाई

आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

कैसी रीत चलाई



ओ दक्षिण को…

Continue

Posted on June 5, 2025 at 12:30pm — 10 Comments

ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'

बह्र-ए-मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ

मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन

1212  1122  1212  112/22 

 

किसे जगा के बताएं उदास हैं कितने

सितारे,चाँद, हवाएं  उदास  हैं कितने

न कोई आह लबों पे न ही सदा कोई

ख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितने

सुदूर सरहदों पे इक ग़ज़ल सिसकती है

ख़ुशी के गीत न गाएं, उदास  हैं कितने

 

क़ज़ा खड़ी है यहीं सामने शिफ़ा लेकर

हमीं न दार पे  जाएं, उदास हैं कितने



रखो न ज़ेहन को अय जान…

Continue

Posted on May 5, 2025 at 2:30pm — 19 Comments

ग़ज़ल...मैं नहीं हूँ

बहरे रमल मुसद्दस सालिम

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन

2122 2122 2122



सिर्फ उसकी याद आयी मैं नहीं हूँ

या'नी मेरे साथ में भी मैं नहीं हूँ



वो जमीं पे चाँद जैसी और उसकी

कू-ब-कू है रौशनाई मैं नहीं हूँ



गीत उसका राग उसके बज़्म उसकी

वो ग़ज़ल में भी समाई मैं नहीं हूँ



वो नहीं तस्वीर मेरी अय मुसव्विर

और जो तुमने बनायी मैं नहीं हूँ



जिस छुअन का हो रहा अहसास तुमको

वो हवा की है रवानी मैं नहीं हूँ

(मौलिक एवं… Continue

Posted on December 27, 2023 at 6:40pm — 2 Comments

ग़ज़ल

212 212 212 212

मैं उसी मोड़ पर सोचता रह गया

वो गया याद का सिलसिला रह गया



उसके होंठो पे कुछ बात सी रह गयी

मेरे मन में भी कुछ अनकहा रह गया



देख कर सब मुझे बात करने लगे

हाय क्या शख़्स था और क्या रह गया



आज फिर आँखों में है नमी अज़नबी

आज फिर आइना ताकता रह गया



मिट गया प्यार मायूस नाकाम हो

प्यार का दर्द लेकिन बचा रह गया



कहकहों से भरी चाँद की महफ़िलें

इक चकोरा उसे टेरता रह गया



दोस्त दामन बचाकर बिछड़ते…

Continue

Posted on April 21, 2023 at 8:00am — 2 Comments

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 6:59pm on October 24, 2017, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

स्वागत है आदरणीय ,  आपको मित्र के रूप में पाना मेरा सौभाग्य है .

At 11:43pm on November 17, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आपका अभिनन्दन है.

ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए

 ग़ज़ल की कक्षा 

 ग़ज़ल की बातें 

 

भारतीय छंद विधान से सम्बंधित जानकारी  यहाँ उपलब्ध है

|

|

|

|

|

|

|

|

आप अपनी मौलिक व अप्रकाशित रचनाएँ यहाँ पोस्ट (क्लिक करें) कर सकते है.

और अधिक जानकारी के लिए कृपया नियम अवश्य देखें.

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतुयहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

 

ओबीओ पर प्रतिमाह आयोजित होने वाले लाइव महोत्सवछंदोत्सवतरही मुशायरा व  लघुकथा गोष्ठी में आप सहभागिता निभाएंगे तो हमें ख़ुशी होगी. इस सन्देश को पढने के लिए आपका धन्यवाद.

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
6 hours ago
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
11 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
13 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
21 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
Sunday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service