मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन
1212 1212 1212 1212
निगाह में उदासियां छुपा हुआ अज़ाब था
डरावनी सी रात थी बड़ा अजीब ख्वाब था
दिखी नहीं कली कहीं ख़ुशी से कोई झूमती
लबों लबों कराह और आँख आँख आब था
चमन में छा रही थीं बेशुमार बदहवासियां
न टेसुओं पे नूर था न सुर्खरू गुलाब था
मिला न साथ दे सका जो चाहिए मिला नहीं
थी चार दिन की ज़िंदगानी दर्द बेहिसाब था
फ़ुज़ूल थे सवाल और चीखना फ़ुज़ूल…
ContinuePosted on October 10, 2019 at 12:30pm — 7 Comments
बहरे मज़ारिअ मुसम्मन मक्फ़ूफ़ मक्फ़ूफ़ मुख़न्नक मक़्सूर
मफ़ऊलु फ़ाइलातुन मफ़ऊलु फ़ाइलातुन
ये वक़्त के फ़साने सब पैतरे हैं छल के
तुम भी बिखर न जाना यूँ मेरे साथ चल के
उस डायरी में तुमको कुछ भी नहीं मिलेगा
कुछ बन्द गीत के हैं कुछ शे'र हैं ग़ज़ल के
ये याद भी नही है शोला थ याकि शबनम
हालाँकि उस बला ने देखा तो था मचल के
अब क्या तुम्हें बताएं किस बात का गुमां है
कल रात चाँद मेरी छत पे गया टहल के
किस बात से…
ContinuePosted on October 1, 2019 at 12:00pm — 8 Comments
मंच को प्रणाम करते हुए ग़ज़ल की कोशिश
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फाइलुन
लालफीताशाही कितनी मिन्नतों को खा गई
ये व्यवस्था ढेर सारे मरहलों को खा गई
ये कहा था साहिबों ने घर नये देंगे बना
साब की दरियादिली भी झोपड़ों को खा गई
अब तरक़्क़ी की बयारें इस क़दर काबिज़ हुईं
पेड़ तो काटे जड़ों से कोपलों को खा गई
कुछ गवाही दे रही है मयक़दे की रहगुज़र
मयकशी हँसते हुये कितने घरों को खा गई
भूख से बेहाल…
ContinuePosted on September 19, 2019 at 2:29pm — 10 Comments
छा रहा नभ में अँधेरा
जुगनुओं ने सूर्य घेरा
नेह भावों से निचोड़ूँ दीप मैं घर घर जलाऊँ
वेदना तुझको बुलाऊँ
रो दिए वीरान पनघट
टूट के बिखरे हुए घट
हैं बहुत मुश्किल समय के ये थपेड़े सह न पाऊँ
वेदना तुझको बुलाऊँ
अश्रुओं से सिक्त वीणा
न कहूँ अंतस की पीड़ा
रिक्त भावों से पड़े तो किस तरह ये गीत गाऊँ
वेदना तुझको बुलाऊँ…
Posted on April 7, 2019 at 10:30am — 8 Comments
स्वागत है आदरणीय , आपको मित्र के रूप में पाना मेरा सौभाग्य है .
आपका अभिनन्दन है.
ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए |
| | | | | | | | |
आप अपनी मौलिक व अप्रकाशित रचनाएँ यहाँ पोस्ट (क्लिक करें) कर सकते है. और अधिक जानकारी के लिए कृपया नियम अवश्य देखें. |
ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतुयहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे | |
||
ओबीओ पर प्रतिमाह आयोजित होने वाले लाइव महोत्सव, छंदोत्सव, तरही मुशायरा व लघुकथा गोष्ठी में आप सहभागिता निभाएंगे तो हमें ख़ुशी होगी. इस सन्देश को पढने के लिए आपका धन्यवाद. |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2019 Created by Admin.
Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |