For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Nilesh Shevgaonkar
  • Male
  • Indore
  • India
Share on Facebook MySpace

Nilesh Shevgaonkar's Friends

  • Ajay Tiwari
  • Subodh Bajpai
  • Hemant kumar
  • Gurpreet Singh jammu
  • Anuj
  • अजय गुप्ता 'अजेय
  • मनोज अहसास
  • Krish mishra 'jaan' gorakhpuri
  • Samar kabeer
  • Hari Prakash Dubey
  • harivallabh sharma
  • Amit Kumar "Amit"
  • लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
  • गिरिराज भंडारी
  • Saarthi Baidyanath
 

Nilesh Shevgaonkar's Page

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. अजय जी.आपकी दाद से हौसला बढ़ा है.  उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो तो  यह मिसरा ग़ज़ल को भारीपन से बचाने के लिए मज़ाहिया लहजे में कहा गया है.सादर "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत अशआर। मज़ा या गया। पगला जाएंगें सब। आश्चर्य से, कौतुक से, हैरानी से। क्या क़ाफ़िये लगाए, कैसे पिरोये। वाह, वाह। बहुत खूब नूर भाई। //उस के हुनर पर किस को शक़…"
Friday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा, मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा. . इश्क़ के रस्ते पर चलना है तेरी मर्ज़ी; लेकिन सुन इस रस्ते को श्राप मिला है राही पगला जाएगा. . उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो तो ज़ख़्म हमारे सीते…See More
Friday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"शुक्रिया आ. रवि सर "
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. रवि शुक्ला जी. //हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा मे ंअहसास को मूर्त रूप से साम्य   मुझे कुछ असहज उपमा लगी । //सर! थोडा वक़्त मेरे जैसे बदचलन के साथ बिताइए..आपको भी चेहरों में पुरवाई का आभास होने लगेगा 😂😂😂आभार "
Thursday
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"वाह वाह आदरणीय नीलेश जी पहली ही गेंद सीमारेखा के पार करने पर बल्लेबाज को शाबाशी मिलती है मतले से हमारी मुराद वही है । बहुत खूब । आखिरी शेर भी बहुत बढ़िया कहा  इस ग़ज़ल के लिये आपको बहुत बहुत बधाई "
Thursday
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह वाह आदरणीय  नीलेश जी उम्दा अशआर कहें मुबारक बाद कुबूल करें । हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा मे ंअहसास को मूर्त रूप से साम्य   मुझे कुछ असहज उपमा लगी ।  जाते जाते उस का बोसाजुर्म के बाद सफ़ाई जैसा..ज़ह’न है मानों शह्र का…"
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. गिरिराज जी मैं आपकी ग़ज़ल के कई शेर समझ नहीं पा रहा हूँ.. ये समंदर ठीक है, खारा सही ताल नदिया वो बहारा सब ग़लत... यहाँ समंदर, ताल नदी के साथ बसन्त ऋतु (बहारा) का सम्बन्ध मैं नहीं समझ पा रहा.. रोज़ डूबे, रोज़ लाया खींच कर एक दिन क़िस्मत से हारा, सब…"
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अजय जी "
Thursday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"बहुत बेहतरीन ग़ज़ल। एक के बाद एक कामयाब शेर। बहुत आनंद आया पढ़कर। मतले ने समां बांध दिया जिसे आपके हर शेर ने रवानी दी है। सौरभ जी के सुझाव दुरुस्त लगे। दूध-मलाई वाले शेर पर काफ़ी चर्चा हो चुकी है। और मेरा भी यही विचार है कि आप उसे बोलते समय बेशक़ निभा…"
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध और मलाई की तुलना गोष्ट और नाख़ुन से नहीं हो सकती.. मटेरियल बेस अलग है ..आप ने कह दिया, मैंने स्पष्टीकरण दे दिया .. अब जिसे जैसा सोचना है ..स्वतंत्र…"
Wednesday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे गोश्त से नाख़ुन। हाँ मगर दोनों को अलग किया जा सकता है, जबकि क़ुदरती तौर पर तो आपस में जुड़े ही होते हैं, :-)) ...सादर।"
May 9
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
May 8
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है सादर "
May 8
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
May 8
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी शे'र  मे'यारी हुए हैं, सिर्फ़ "दूध मलाई" वाले तक मेरी रसाई नहीं हो सकी है। "
May 8
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
May 6
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आ. बृजेश ब्रज जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है. बधाई स्वीकार करें.मतले के ऊला में ये सर्द रात, हवाएं  उदास  हैं कितने रात और हवा दोनों स्त्रीलिंगी हैं अत: उदास हैं कितनीं आना चाहिए शायद.शेष शुभ सादर "
May 6
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. सौरभ सर,अजय जी ने उर्दू शब्दों की बात की थी इसीलिए मैंने उर्दू की बात कही.मैं जितना आग्रही उर्दू शब्दों के प्रति हूँ उतना ही हिंदी के शब्दों के प्रति भी हूँ. मेरी हाल की कोई ग़ज़ल मंच पर देख लें जहाँ मैंने दीया को दिया लिख दिया हो या दीपावली…"
May 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय, धन्यवाद.  अन्यान्य बिन्दुओं पर फिर कभी. किन्तु निम्नलिखित कथ्य के प्रति अवश्य आपज्का ध्यान चाहूँगा.  //धागे ज़ख़्मों के उधड़े हैं .... यहाँ पर भी मेरे पढ़ते अथवा सोचते समय जो पॉज आता है वो ज़ख़्मों पर अधिक फोकस करता है.// उर्दू गजल…"
May 5

Profile Information

Gender
Male
City State
Indore-MP
Native Place
Indore-MP
Profession
Civil Engineer

Nilesh Shevgaonkar's Photos

  • Add Photos
  • View All

Nilesh Shevgaonkar's Blog

ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.

ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा,

मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा.

.

इश्क़ के रस्ते पर चलना है तेरी मर्ज़ी; लेकिन सुन

इस रस्ते को श्राप मिला है राही पगला जाएगा.

.

उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो तो

ज़ख़्म हमारे सीते सीते दर्ज़ी पगला जाएगा.  

.

उस को समुन्दर जैसी छोटी मोटी जगहें भाती हैं

इन आँखों में आएगा तो पानी पगला जाएगा.

.

जिससे बदला लूँगा उस को इतना याद करूँगा मैं

मेरे नाम की लेते लेते…

Continue

Posted on May 15, 2025 at 2:59pm — 2 Comments

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा

वो चेहरा पुरवाई जैसा.

.

तेरा होना क्यूँ लगता है

गर्मी में अमराई जैसा.

.

तेरे प्यार में तर होने दे

मुझ को माह-ए-जुलाई जैसा.

.

जोबन आया है, फिसलोगे

ये रस्ता है काई जैसा.

.

साथ हैं हम बस कहने भर को

दूध हूँ मैं वो मलाई जैसा.  

.

जाते जाते उस का बोसा

जुर्म के बाद सफ़ाई जैसा.

.

ज़ह’न है मानों शह्र का एसपी  

और ये दिल बलवाई जैसा.

.

तेरा आना पल दो पल को

सरकारी…

Continue

Posted on May 3, 2025 at 4:22pm — 17 Comments

ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा

1212 1122 1212 112/22

 .

गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा

नशा उतार ख़ुदाया नशा उतार मेरा.

.

बना हुआ हूँ मैं जैसा मैं वैसा हूँ ही नहीं   

मुझे मुझी सा बना दे गुरूर मार मेरा.

.

ये हिचकियाँ जो मुझे बार बार लगती हैं

पुकारता है कोई नाम बार बार मेरा.  

.

मेरी हयात का रस्ता कटा है उजलत में

मुझे भरम था फ़लक को है इंतज़ार मेरा.

.

पड़े जो बेंत मुझे उस की, दौड़ पड़ता हूँ

मैं जैसे हूँ कोई घोड़ा ये मन सवार मेरा.

.…

Continue

Posted on April 29, 2025 at 3:30pm — 12 Comments

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.

तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो.

.

ये रौशन ज़मीरी अमल एक माँगे

नदामत के अश्कों से दिल का वुज़ू हो.

.

जो तख़लीक़ सब की सभी से जुदा है

भला राह मुक्ति की क्यूँ  हू-ब-हू हो.

.

कभी हो ख़यालात से ज़ह’न ख़ाली

ख़लाओं से भी तो कभी गुफ़्तगू हो.

.

वो मुल्हिद नहीं हो मगर ये है मुमकिन

उसे बस सवालात करने की ख़ू हो.

(मुल्हिद--नास्तिक) (ख़ू -आदत)

.

निलेश "नूर"

मौलिक/…

Continue

Posted on September 18, 2024 at 4:51pm — 5 Comments

Comment Wall (7 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 2:21pm on September 16, 2017, Afroz 'sahr' said…
आदरणीय निलेश जी आपने ख़ाकसार की बात की ताईद की बहुत आभार प्रकट करता हूँ !सादर
At 9:50pm on March 3, 2017, Hemant kumar said…
आदरणीय सर प्रणम ! मै ओ बी ओ मे काफीया पढ़ रहा हूं पर पल्ले कुछ भी नही पड़ रहा है ।
सर आपसे विनम्र आग्रह है काफीया निर्धारण पर पुनः प्रकाश डालने की अनुकंपा करें ।सादर..
At 2:37am on June 29, 2014, Adesh Tyagi said…
जनाबे-मोहतरम निलेश शेव्गाँवकर साहब, अल्फ़ाज़े-तहसीन का तहे-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।
At 4:47am on November 11, 2013, Abhinav Arun said…

महीने का सक्रिय सदस्य (Active Member of the Month)चुने जाने पर आ. नीलेश जी आपको दिली मुबारकबाद !

At 1:45pm on November 7, 2013, केवल प्रसाद 'सत्यम' said…

आ0 नीलेश भाई जी, आपको महीने का सकिय सदस्य चुने जाने पर आपको हार्दिक बधाई।  सादर,

At 1:14pm on November 6, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी
said…

आदरणीय नीलेश भाई , सक्रिय सदस्य चुने जाने के लिये आपको हार्दिक बधाईयाँ  !!!!!!

At 12:32pm on November 6, 2013,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करे | कृपया अपना पता और नाम (जिस नाम से ड्राफ्ट/चेक निर्गत होगा), बैंक खता विवरणी एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |

सादर । 


आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी उत्साहवर्धन करती टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार "
39 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय शिज्जू शकीर जी हर एक दोहे पर समीक्षात्मक टिप्पणी  सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक…"
42 minutes ago
Shabla Arora left a comment for गिरिराज भंडारी
"आभार आदरणीय 🙏🙏"
44 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोरआ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर // वाह.. मूरख मनुआ क्या तुझे…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"धन्यवाद प्रतिभा जी"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"धरती की बहुएं हवा, सागर इसका सेठ।सूरज ने बतला दिया, क्या होता है जेठ।।// जेठ को गजब रोचक ढंग से…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, उचित है। बहुत बढिया "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहे सिरजे आपने, करते जल गुणगान। चित्र हुआ है सार्थक, इनमें कई निदान।। सारे दोहे आपके, निश्चित…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"धूप छांव में यूं भला, बहुत अधिक है फर्क। शिज़्जू भाई कर रहे, गर्मी में भी तर्क।। तृष्णा की गंभीरता,…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बहुत सुगढ़ दोहावली हुई है प्रदत्त चित्र पर। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"मेघ, उमस, जल, दोपहर, सूरज, छाया, धूप। रक्ताले जी आपने, दोहे रचे अनूप।।  नए अर्थ में दोपहर,…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"काल करे बेहाल सा, व्याकुल नीर समीर।मोम रोम सबसे लिखी, इस गर्मी की पीर।। वन को काट उचाट मन, पांव…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service