अम्मा फ़ैल कर जमीन पर बैठी आवाज़ करके चाय सुड़क रही थी I मैं अपने दोनों बच्चों के चेहरों पर, अम्मा को लेकर चिढ साफ़ देख पा रही थी I
" सविता , तू डब्बा भर के मट्ठियाँ क्यों नहीं बना के रख लेती ,I सुबह शाम पकड़ा दिया कर इनके हाथों में I दिन भर तंग करते हैं ये बना वो बना I"
" माँ , इन्हें पसंद नहीं है मट्ठियाँ I"
" पसंद नहीं हैं ? अरे तुम्हारी मम्मा की बुआ , गर्मी की छुट्टियों में आती थी , दो महीने के लिए अपने…
ContinueAdded by pratibha pande on July 6, 2015 at 6:16pm — 12 Comments
1222 / 1222 /1222 / 1222
--------------------------------------------------
जमाना बाज कब आता है हमको आजमाने से
न हो जाना कहीं जख्मी कभी इसके निशाने से
हमेशा जंग वो जीता किये हों सर कलम जिसने
कभी जीता नही कोई भी अपना सर कटाने से
करे जो बात दुनिया की उसी की लोग सुनते हैं
किसी को वास्ता कैसा भला तेरे फसाने से
कभी धेला तलक बांटा नहीं जिसने कमाई का
लगा है बांटने सिक्के वो सरकारी खजाने…
ContinueAdded by Sachin Dev on July 6, 2015 at 3:00pm — 22 Comments
एक दिन वह अपने जर्मन शेफर्ड को सुबह घुमाने ले गई तो गलती से एक व्यक्ति के घर पर बंधा पामेरियन भी था , पामेरियन भौंका तो टाइगर ने जंजीर को तेजी से छुड़ाते हुए पास में बंधे एक पामेरियन को दबोच लिया ।
"टाइगर इधर आओ छोड़ो उसको " बिटिया चिल्लाई
वहां खड़े और लोग भी पामेरियन को बचाने में जुट गये। और उस लड़की को भला बुरा कहने लगे:
"जब आप से कुत्ता नहीं सम्भलता तो इसे पालते क्यों हो ?
तभी किसी ने टाइगर के सर पर तेजी से लोहे की रॉड से…
Added by Pankaj Joshi on July 6, 2015 at 3:00pm — 4 Comments
वो मुझे साथ लेकर गया, उसे चुपचाप इंसान ढूंढना था|
सबसे पहले उसने मिलाया एक नामी शिक्षक से, जो बात करने में तेज़ था, लेकिन खुद नकल कर के उत्तीर्ण होता था|
फिर उसने मिलाया एक बड़े चिकित्सक से, जो अपनी चिकित्सा की पद्धति को सबसे अच्छा कहता और बाकी को बुरा|
फिर मिलाया तीन भिखारीयों से, जो अपने धर्म…
Added by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on July 5, 2015 at 10:28pm — 8 Comments
Added by kanta roy on July 5, 2015 at 9:35pm — 13 Comments
बाबूजी जी के श्राद्ध कर्म में वे सारी वस्तुएं ब्राह्मण को दान में दी गयी जो बाबूजी को पसंद थे. शय्या-दान में भी पलंग चादर बिछावन आदि दिए गए. ऐसी मान्यता है कि स्वर्ग में बाबूजी इन वस्तुओं का उपभोग करेंगे. लोगों ने महेश की प्रशंशा के पुल बांधे।
"बहुत लायक बेटा है महेश. अपने पिता की सारी अधूरी इच्छाएं पूरी कर दी."
"पर दादाजी को इन सभी चीजों से जीते जी क्यों तरसाया गया?"- महेश का बेटा पप्पू बोल उठा.
.
(मौलिक व अप्रकाशित )
Added by JAWAHAR LAL SINGH on July 5, 2015 at 8:30pm — 22 Comments
कम्पनी में गबन के आरोप में वह आज पांच साल की कैद काट कर वह जेल से छूटा तो सीधे दिव्या के घर पहुँचा । दिव्या नहीं मिली । वह काम पर गई थी । उसने उसके मोबाइल पर उसी जगह मिलने का समय दिया जहाँ वह अक्सर मिला करते थे ।
"मुझे भूल जाओ तुम । अब मेरी जिंदगी में तुम्हारे लिये कोई जगह नहीं है ।" सिगरेट सुलगाते ही उसकी आवाज सुनाई दी ।
"पर यह सब तो मैंने तुम्हारी ख़ुशी के लिये किया था ? " सुनते ही उसका दिल रो पडा जैसे ।
"मेरी ख़ुशी या अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिये ....! मेरी ख़ुशी तो…
ContinueAdded by Pankaj Joshi on July 5, 2015 at 5:30pm — 6 Comments
Added by shree suneel on July 5, 2015 at 5:00pm — 38 Comments
एक नदी पर एक पुल था , जिसमे सात पाये थे। एक बार सबसे बीच वाले पाए ने सबसे किनारे वाले पाए से कहा “जानते हो यह पुल मेरी वजह से ही है। नदी की जलधारा का सबसे ज्यादा प्रवाह मैं ही झेलता हूँ। मैं हमेशा पानी में डूबा रहता हूँ, तुमलोगों का क्या किनारे खड़े रहते हो, बरसात में कभी कभी नदी की जलधारा तुम तक पहुँचती है वरना सालो भर ऐसे ही खड़े रहते हो, तुम्हारी उपयोगिता ही क्या है। मेरे कारण ही लाखों लोग इस पुल का प्रयोग कर नदी के आर पार जा पाते हैं । “
किनारे वाले पाये ने कोई जवाब नहीं दिया। कुछ…
Added by Neeraj Neer on July 5, 2015 at 3:00pm — 12 Comments
Added by umesh katara on July 5, 2015 at 12:26pm — 5 Comments
मजहब जिसने इंसानों को आपस में जोड़ा है
आज उसी मजहब ने क्यूँ दिल इंसा का तोडा है
कितनी सुंदर धरती है ये कितने सुंदर मंजर
पर राहों में उल्फत की क्यूँ नफरत का रोड़ा है
जिन की ख्वाइश धन दौलत दुनिया भर की हथिया लें
गर समझें तो आज समझ लें ये जीवन थोडा है
राम नाम जिस पाहन पर वो सागर में उतराए
डूब गया वो राम नाम के बिन जिसको छोड़ा है
तब तक चैन कहाँ पाया है इस इंसा ने जग में
जब…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on July 5, 2015 at 10:34am — 15 Comments
Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on July 4, 2015 at 8:21pm — 9 Comments
“तुम लोग बहू से ही ठीक रहती हो. बात-बात पे वो डांटा करती है न, तभी तुम लोगों का दिमाग ठंढा रहता है ! आ रही है न, गर्मी छुट्टी के बाद.. कल-परसों में.... ,” - तमतमाती हुई सुभद्रा महरी पर बरसती जा रही थी.
“माँजी, साफ तो मैं कर ही रही थी.. ” - महरी ने बात सम्भालना चाहा.
“चुप रहो ! महीने भर का लेना-देना सब बेकार कर दिया. जरा सा कुछ कहा नहीं कि टालना शुरु.. ”
अखबार पर से आँखे उठा कर रमेश ने पत्नी की ओर देखा. इधर तीन-चार दिनों से…
Added by Shubhranshu Pandey on July 4, 2015 at 8:00pm — 10 Comments
Added by Pari M Shlok on July 4, 2015 at 4:19pm — 24 Comments
हर्षिता क्लास की सबसे खुबसूरत लड़की थी, अधम, रंजित और उसकी मित्र मंडली, सभी उससे दोस्ती के लिए लालायित रहते थे किन्तु वह तो बस अपने काम से काम रखती थी. एक दिन हर्षिता को अकेला देख रंजित उससे बोला,
“हर्षिता मैं तुम्हे अपनी बहन बनाना चाहता हूँ क्या तुम मुझे अपना भाई होने का अधिकार दोगी ?”
माँ बाप की इकलौती बेटी हर्षिता रंजित को भाई के रूप में पाकर बहुत ख़ुश हो गयी. अब उसका उठना बैठना रंजित के साथ-साथ उसके दोस्तों के साथ भी होने…
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 4, 2015 at 4:04pm — 30 Comments
पिता की अचानक हुई मौत से वो टूट गया । एकदम ठीक ठाक थे , बस हल्का सा बुखार हुआ और दो दिन में चल बसे । आर्थिक स्थिति तो बदतर थी ही ,पहले माँ और अब पिताजी भी , एकदम से बड़ा हो गया वो । पुरे गाँव में ख़बर हो गयी थी और सब रिश्तेदारों को भी फोन कर दिया गया । चाचा , जो अलग रहते थे घर पर आ गए थे और अंतिम क्रिया की तैयारियों में लग गए थे ।
अंतिम संस्कार करके वापस चलते समय मौजूद सभी लोगों को रिवाज़ के अनुसार भरपेट नाश्ता कराकर वो भी चाचा के साथ ट्रैक्टर पर गाँव चल पड़ा । घर पहुँच कर चाचा ने उसको सारे…
Added by विनय कुमार on July 4, 2015 at 2:03pm — 22 Comments
Added by kanta roy on July 4, 2015 at 1:08pm — 16 Comments
122 122 122 122
पियादे से राजा की फिर मात होगी
सरे सुब्ह लगता है फिर रात होगी
दिशायें जहाँ पर समझ की अलग हैं
वहाँ अब ठिकाने की क्या बात होगी
समझ कर ज़रा आप तस्लीम करिये
वो देते नहीं हक़ , ये ख़ैरात होगी
वही सुब्ह निकली , वही धूप पसरी
नया कुछ नहीं तो , वही रात होगी
यहाँ साजिशों में लगे सारे माहिर
सँभल के, यहाँ पीठ पर घात होगी
बड़ा ख़्वाब जिसका है, दिल भी बड़ा…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on July 4, 2015 at 7:30am — 19 Comments
खिड़कियों में घन बरसते
द्वार पर पुरवा हवा..
पाँच-तारी चाशनी में पग रहे
सपने रवा !
किन्तु इनका क्या करें ?
क्या पता आये न बिजली
देखना माचिस कहाँ है
फैलता पानी सड़क…
Added by Saurabh Pandey on July 4, 2015 at 2:00am — 38 Comments
" सर , मैं हस्पताल पहुँच गया हूँ , कवर करता हूँ एक्सीडेंट की स्टोरी "|
" अच्छा तो आपने देखा उनको , सामने देखकर कैसा लगा ? रिपोर्टर की आवाज़ ने उसके दर्द में इज़ाफ़ा कर दिया |
" अरे इतने बड़े स्टार से मुलाक़ात तो हो गयी , लोग तो तरसते हैं दूर से भी एक झलक पाने के लिए , कुछ बताईये ", और भी कुछ कह रहा था वो लेकिन दर्द और क्रोध के उबाल में उसने रिपोर्टर का माइक छीन कर फेंक दिया |
" स्टार , स्टार लगा रखा है , मेरी टूटी हड्डियाँ तुम्हे नहीं दिखती , दफा हो यहाँ से "|
मौलिक एवम…
Added by विनय कुमार on July 3, 2015 at 8:42pm — 10 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |